यह अभ्यास चार दिन तक चलेगा और इसका उद्देश्य समुद्र में दोनों देशों की नौसैनिक और वायु क्षमताओं को मजबूत करना तथा समुद्री सुरक्षा और सामरिक समन्वय को बढ़ाना है.यूके का CSG वर्तमान में ऑपरेशन हाईमास्ट के तहत आठ महीने की तैनाती पर है.
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पश्चिमी हिंद महासागर में यूनाइटेड किंगडम के कैरियर स्ट्राइक ग्रुप (CSG) ने अपने प्रमुख विमानवाहक पोत एचएमएस प्रिंस ऑफ वेल्स (HMS Prince of Wales) के नेतृत्व में भारतीय नौसेना के साथ अभ्यास ‘कोंकण’ की शुरुआत की है. इस अभ्यास का उद्देश्य उच्च समुद्र में दोनों देशों की नौसैनिक और वायु क्षमताओं को मजबूत करना, सामरिक समन्वय बढ़ाना और समुद्री सुरक्षा के क्षेत्र में सहयोग को गहरा करना है.‘अभ्यास कोंकण’ की शुरुआत वर्ष 2004 में हुई थी और तब से यह हर दूसरे वर्ष आयोजित किया जाता रहा है.
हालांकि, इस बार का अभ्यास ऐतिहासिक है, क्योंकि ब्रिटिश और भारतीय कैरियर स्ट्राइक ग्रुप पहली बार एक साथ समुद्र में संयुक्त अभियान चला रहे हैं. यह अभ्यास चार दिन तक चलेगा और इसका उद्देश्य समुद्र में दोनों देशों की नौसैनिक और वायु क्षमताओं को मजबूत करना तथा समुद्री सुरक्षा और सामरिक समन्वय को बढ़ाना है.यूके का CSG वर्तमान में ऑपरेशन हाईमास्ट के तहत आठ महीने की तैनाती पर है. भारतीय नौसेना का हिस्सा आईएनएस विक्रांत के नेतृत्व वाला कैरियर स्ट्राइक ग्रुप है। दोनों समूह मिलकर इस चार दिवसीय जटिल समुद्री अभ्यास को अंजाम देंगे.
ऐतिहासिक है इस बार का अभ्यास
अभ्यास में दोनों देशों की पनडुब्बियां, विभिन्न प्रकार के समुद्री विमान और हेलीकॉप्टर शामिल होंगे. इस अभ्यास के माध्यम से समुद्री संचालन, विमान और जहाज़ संचालन में तालमेल और संयुक्त सामरिक क्षमताओं का परीक्षण किया जाएगा. ‘अभ्यास कोंकण’ की शुरुआत वर्ष 2004 में हुई थी और तब से यह द्विवार्षिक रूप से आयोजित होता रहा है. इस बार का अभ्यास ऐतिहासिक है, क्योंकि ब्रिटिश और भारतीय कैरियर स्ट्राइक ग्रुप पहली बार एक साथ समुद्र में संयुक्त अभियान चला रहे हैं.
ब्रिटिश और भारतीय स्ट्राइक ग्रुप
यूके का CSG वर्तमान में ऑपरेशन हाईमास्ट के तहत आठ महीने की तैनाती पर है. भारतीय नौसेना का हिस्सा आईएनएस विक्रांत के नेतृत्व वाला कैरियर स्ट्राइक ग्रुप है. दोनों समूह मिलकर इस चार दिवसीय जटिल समुद्री अभ्यास को अंजाम देंगे. अभ्यास में दोनों देशों की पनडुब्बियां, विभिन्न प्रकार के समुद्री विमान और हेलीकॉप्टर शामिल होंगे. इसका मकसद समुद्री संचालन, विमान और जहाज़ संचालन में तालमेल और संयुक्त सामरिक क्षमताओं का परीक्षण करना है.
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