Chandrayaan-3: भारत बनेगा स्पेस का `सूरमा`, कैसा है चंद्रयान-3 को अंतरिक्ष में ले जाने वाला `बाहुबली` इंजन
Chandrayaan-3: भारत के लिए 14 जुलाई बेहद ऐतिहासिक दिन साबित होगा. जब पूरी दुनिया भारत के मिशन चंद्रयान-3 को लांच होते देखेगी. भारत के मिशन चन्द्रयान-3 पर पूरी दुनिया की नजर है. चंद्रयान 3 भारत की आधुनिक शक्ति के साथ-साथ आत्मनिर्भरता का भी सबसे बड़ा उदाहरण है.
Chandrayaan-3: भारत के लिए 14 जुलाई बेहद ऐतिहासिक दिन साबित होगा. जब पूरी दुनिया भारत के मिशन चंद्रयान-3 को लांच होते देखेगी. भारत के मिशन चन्द्रयान-3 पर पूरी दुनिया की नजर है. चंद्रयान 3 भारत की आधुनिक शक्ति के साथ-साथ आत्मनिर्भरता का भी सबसे बड़ा उदाहरण है. आइये आपको बताते हैं मुंबई के उस मैन्युफैक्चरिंग प्लांट के बारे में जहां चंद्रयान को ताकत देने वाले इंजन को तैयार किया गया.
इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन यानी ISRO अपने मिशन चंद्रायन के लिए पूरी तरह से तैयार है. 14 जुलाई को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में जब चंद्रयान 3 लांच होगा तब दुनिया भर के वैज्ञानिक अपनी सांसों को थामे इसपर अपनी नज़र गड़ाए होंगे. चंद्रयान -3 ये अब तक के सभी मून मिशन से ज्यादा आधुनिक होने वाला है, जिसे सफल बनाने के लिए भारतीय वैज्ञानिकों ने महीनों कड़ी मेहनत की है.
चन्द्रयान 3 में कुल 3 इंजन होंगे जिसका करीब 80 फीसदी निर्माण मुम्बई में हुआ है. मुम्बई के गोदरेज एयरोस्पेस मैन्युफैक्चरिंग प्लांट में चंद्रायान 3 में इस्तेमाल हुई सभी इंजन पार्ट्स रखे हुए हैं. इस अंतरिक्ष यान में लगा इंजन 90 प्रतिशत स्वदेशी है जो कि भारत के लिए गौरव को बात है.
इस अंतरिक्ष यान में 2 विकास इंजन भी लगे होंगे. इस मैन्युफैक्चरिंग प्लांट में विकास इंजन का भी निर्माण किया जा रहा है. विकास इंजन एक लिक्विड प्रोपेल्ड इंजन है जिसे साल 1970 में ISRO के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित किया गया था. लेकिन बदलते वक्त के साथ विकास इंजन बेहद एडवांस और आधुनिक हो चुका है. जो इस मिशन की कामयाबी के लिए सबसे बड़ी उम्मीद है.
2019 में लॉन्च किया गया चंद्रायन 2 भले ही पूरी तरह से सफल न रहा हो लेकिन उस दौरान हुई गड़बड़ी से सीख लेते हुए और कुछ जरूरी बदलाव के साथ इसरो अपने ड्रीम प्रोजेक्ट चंद्रयान-3 को 14 जुलाई को दोपहर 02.35 बजे लॉन्च करेगा. पूरे देश को उम्मीद है कि चन्द्रयान-3 चंद्रमा पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ कर. भारत को दुनिया के उन 4 देशों में शामिल होने का मौका देगा जो चंद्रमा के सतह पर अपने अंतरिक्ष यान भेजने में सफल रहे हैं.