भारत में 100% दूरसंचार सेवाएं पूरी होने में वर्ष 2035 तक इंतजार करना होगा
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भारत में 100% दूरसंचार सेवाएं पूरी होने में वर्ष 2035 तक इंतजार करना होगा

ट्राई के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2001 में देश के शहरी क्षेत्रों की टेलीडेंसिटी मात्र 10.4 प्रतिशत और ग्रामीण अंचलों की मात्र 1.5 प्रतिशत थी.

प्रतीकात्मक तस्वीर

रायपुर: छत्तीसगढ़ में बस्तर के दुर्गम और दूरस्थ अंचल में रहने वाली संगीता निषाद, विमला ठाकुर या बलवंत नागेश ने 26 जुलाई को कैसा महसूस किया होगा? यह सवाल सिर्फ इसलिए महत्वपूर्ण नहीं है कि इन्हें राष्ट्रपति के हाथों स्मार्टफोन मिला, बल्कि इसलिए भी अहम है कि यदि ऐसा नहीं होता, तो शायद इन्हें स्मार्टफोन पाने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता. ट्राई के आंकड़ों के आधार पर एक अनुमान है कि देश में 100 प्रतिशत दूरसंचार घनत्व (टेलीडेंसिटी) के लिए वर्ष 2035 तक का समय लगेगा.

  1. वर्ष 2015 में शहरों की टेलीडेंसिटी में 151 प्रतिशत का इजाफा हुआ तो ग्रामीण क्षेत्रों में मात्र 51 प्रतिशत

  2. भारत में लैंडलाइन फोन की शुरुआत 155 साल पहले वर्ष 1852 में हुई थी

  3. हर माह 90 लाख नए लोग स्मार्टफोन का उपयोग करने वालों की सूची में जुड़ रहे हैं.

दूरसंचार नियामक ट्राई के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2001 में देश के शहरी क्षेत्रों की टेलीडेंसिटी मात्र 10.4 प्रतिशत थी और ग्रामीण अंचलों की मात्र 1.5 प्रतिशत थी. वर्ष 2015 में शहरों की टेलीडेंसिटी में 151 प्रतिशत का इजाफा हुआ तो ग्रामीण क्षेत्रों में मात्र 51 प्रतिशत. वर्ष 2015 से 2018 के बीच ग्रामीण अंचलों की टेलीडेंसिटी मात्र 3.5 प्रतिशत बढ़ी और यह बढ़त भी कायम रही तो पूरे भारत में 100 प्रतिशत टेलीडेंसिटी के लिए वर्ष 2035 तक इंतजार करना पड़ेगा. टेलीडेंसिटी यानी निर्धारित इकाई के क्षेत्र में मौजूद फोन की संख्या. 

 

लैंडलाइन फोन के 2 करोड़ 50 हजार कनेक्शन 
यह सवाल सिर्फ छत्तीसगढ़ का नहीं है, बल्कि झारखंड, ओडिशा जैसे राज्यों या दक्षिण एशिया, अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका के कई देशों का भी है। मानव सभ्यता को विकास की सीढ़ियां चढ़ाने में जिन आविष्कारों का मुख्य योगदान रहा है, उनमें पहिया, बिजली, सेमीकंडक्टर्स, इंटरनल कम्बशन इंजन आदि ने बड़ी भूमिका निभाई है. इसी क्रम में अब इंटरनेट और मोबाइल फोन विकास की नई क्रांति की नई-नई इबारतें लिख रहे हैं. यह बात बहुत पुरानी नहीं है, जब टेलीफोन एक दुर्लभ वस्तु मानी जाती थी. भारत में लैंडलाइन फोन की शुरुआत सन् 1852 में हुई थी और 155 वर्षों बाद आज यहां 2 करोड़ 50 हजार कनेक्शन उपलब्ध हैं.

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22 साल में देश में हो गए 100 करोड़ मोबाइल फोन

मोबाइल फोन भारत में 1996 में आए थे और मात्र 22 वर्षों बाद देश में 100 करोड़ मोबाइल हैं. तब मोबाइल की कीमत 10-15 हजार रुपये होती थी. मुद्रास्फीति की औसत दर 6.7 प्रतिशत भी मान लें तो 1996 के 15 हजार रुपये आज के 55 हजार रुपये हो जाएंगे. उस समय तो 'इनकमिंग चार्ज' भी लिया जाता था। आज 125 करोड़ की आबादी में 100 करोड़ फोन चल रहे हैं, जिसमें से 22 करोड़ लोग स्मार्टफोन का उपयोग कर रहे हैं। हर माह 90 लाख नए लोग स्मार्टफोन का उपयोग करने वालों की सूची में जुड़ते जा रहे हैं.

(इनपुट एजेंसी से)

 

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