Indian Air Force: चीन-पाक को जवाब देने की तैयारी! भारतीय वायुसेना अगले साल अपने तरकश में शामिल करने जा रही है ये घातक हथियार
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Indian Air Force: चीन-पाक को जवाब देने की तैयारी! भारतीय वायुसेना अगले साल अपने तरकश में शामिल करने जा रही है ये घातक हथियार

IAF Future Weapon Procurement: देश के उत्तरी और पश्चिमी मोर्चे पर लगातार बढ़ रहे खतरे को देखते हुए भारतीय वायुसेना भी निरंतर अपनी ताकत बढ़ा रही है. इसके लिए वह अगले साल अपने तरकश में एक से बढ़कर एक घातक हथियार शामिल करने जा रही है. 

Indian Air Force: चीन-पाक को जवाब देने की तैयारी! भारतीय वायुसेना अगले साल अपने तरकश में शामिल करने जा रही है ये घातक हथियार

Indian Air Force Lists Key Acquisitions: देश के सामने बढ़ रहे टू-फ्रंट वार के खतरे को देखते हुए तीनों सेनाएं लगातार अपनी क्षमताएं बढ़ाने में जुटी हैं. हवाई क्षेत्र में चीन की बढ़ती क्षमताओं को काउंटर करने के लिए भारतीय वायु सेना अगले वित्तीय वर्ष में लड़ाकू विमान, जासूसी विमान, रडार और अन्य महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों सहित कई उन्नत हथियार प्रणालियों और प्लेटफार्मों को हासिल करने की योजना बना रही है. इसका मकसद चीन और पाकिस्तान से निपटने के लिए सीमा पर अपनी क्षमताओं में सुधार करना है. 

इन हथियारों को खरीदने की योजना

संसद में पेश रक्षा पर स्थायी समिति की रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय वायुसेना 2025-26 में लो लेवल के ऑब्जेक्ट को डिटेक्ट करने वाले रडार, लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA), लाइट यूटिलिटी हेलीकॉप्टर (LUH), मल्टीरोल हेलीकॉप्टर और मिड-एयर रिफ्यूलिंग एयरक्राफ्ट को खरीदने की योजना बना रही है. 

इसके अलावा वायुसेना अपने रूसी मूल के सुखोई-30 लड़ाकू जेट, सिग्नल इंटेलिजेंस, कम्युनिकेशन जैमिंग एयरक्राफ्ट और एयरबोर्न अर्ली वार्निंग एंड कंट्रोल एयरक्राफ्ट को देसी तकनीक से अपग्रेड करने की भी प्लानिंग कर रही है. 

हथियारों के अपग्रेडेशन पर किया काम

रक्षा मंत्रालय ने पिछले पांच वर्षों में स्वदेशी स्रोतों से IAF द्वारा किए गए अधिग्रहणों के बारे में भी जानकारी दी. मंत्रालय के मुताबिक, IAF ने पिछले 5 सालों में विभिन्न प्लेटफार्मों की खरीद और उनके अपग्रेडेशन पर काफी काम किया है. इनमें एप्रोच रडार, मिसाइल सिस्टम, एयरक्राफ्ट, फुल मिशन सिमुलेटर, ट्रेनर एयरक्राफ्ट, टेक्नोलॉजी मिसाइल, काउंटर ड्रोन सिस्टम, क्लोज-इन-वेपन सिस्टम, हाई पावर रडार, एयरो इंजन, एवियोनिक्स अपग्रेड और स्टैटिक ट्रांस रिसीवर शामिल हैं. इन सबकी खरीद पर 1,39,596.60 करोड़ रुपये खर्च किए गए. 

आत्मनिर्भर भारत योजना को बढ़ावा

रक्षा मंत्रालय ने कहा कि भारतीय वायुसेना अब रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए घरेलू रक्षा उद्योग के विकास का समर्थन करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है. आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत भारतीय वायुसेना अब लड़ाकू विमानों, परिवहन विमानों, हेलीकॉप्टरों, प्रशिक्षक विमानों, हवा से हवा में मार करने वाले हथियारों, हवा से जमीन पर मार करने वाले हथियारों, सतह से हवा में मार करने वाले निर्देशित हथियारों, मानव रहित हवाई वाहनों और रडार के स्वदेशी उत्पादन पर ध्यान दे रही है. 

मानव रहित हथियारों पर ज्यादा जोर

रक्षा मंत्रालय ने अपनी रिपोर्ट में कहा, "भारतीय वायुसेना लड़ाकू विमानों, परिवहन विमानों, हेलीकॉप्टरों और प्रशिक्षक विमानों के साथ-साथ हवा से हवा में मार करने वाले हथियारों, हवा से जमीन पर मार करने वाले हथियारों, सतह से हवा में मार करने वाले निर्देशित हथियारों, मानव रहित हवाई वाहनों और रडार के स्वदेशी उत्पादन पर काम कर रही है."

(एजेंसी एएनआई)

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