नई दिल्लीः इंडियन आर्मी चीफ एमएम नरवणे (Indian Army Chief MM Naravane) ने इस बात से साफ तौर पर इनकार कर दिया है कि भारत अपनी सेना अफगानिस्तान (Afghanistan) में भेज रहा है. थल सेना प्रमुख एमएम नरवणे ने अफगानिस्तान की जमीन पर अपने जवान भेजने की किसी भी योजना को खारिज कर दिया है. उन्होंने लंबे समय से चली आ रही नई दिल्ली की पॉलिसी 'No boots on the ground' का जिक्र कर कहा कि हम उसे ही फॉलो करेंगे. 


अफगानिस्तान में नहीं होगी सेना के जवानों की तैनाती


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सेना दिवस से पहले हुई अपनी वार्षिक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान एक सवाल के जवाब में नरवणे ने कहा, "जहां तक अफगानिस्तान का संबंध है तो वहां की जमीन पर हमारी सेना की तैनाती नहीं होगी. पहले से चली आ रही नई दिल्ली की 'No boots on the ground' पॉलिसी को अपनाएंगे और निकट भविष्य में भी इसका पालन किया जाएगा.''


नरवणे के इस बयान से साफ जाहिर हो गया है कि किसी भी कीमत पर भारतीय सेना के जवान अफगानिस्तान की जमीं पर पैर नहीं रखेंगे. यह पहली बार नहीं जब भारत की ओर से अफगानिस्तान में सेना नहीं भेजने का बयान आया है. बता दें कि इससे पहले भी आधिकारिक रूप से भारत लगातार अफगानिस्तान में सेना भेजने से इनकार करता आ रहा है. साल 2017 में पूर्व रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी भारतीय सैनिकों को दूसरी जमीन पर भेजने से साफ इनकार किया था.


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भारत और अफगानिस्तान के बीच हैं दोस्ताना संबंध


 हालांकि, इसका ये मतलब नहीं है कि भारत और अफगानिस्तान के बीच अच्छे संबंध नहीं है.  विकास के क्षेत्र में भारत हमेशा से ही अफगानिस्तान का सबसे बड़ा भागीदार रहा है. दोनों देश के बीच अच्छी दोस्ती है इसीलिए अफगानिस्तान सम्मेलन 2020 में भारतीय विदेश मंत्रालय ने अफगानिस्तान के साथ शतूत बांध के निर्माण के लिए एक समझौते की घोषणा की थी.


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2001 से अफगानिस्तान का साथ दे रहा भारत


इस बांध के निर्माण से काबुल शहर के 2 मिलियन यानी 20 लाख निवासियों को सुरक्षित पेयजल मिलेगा. इस परियोजना के तहत भारत, अफगानिस्तान में 80 मिलियन अमेरिकी डॉलर की लागत से 100 परियोजनाओं का आरंभ करेगा.  मालूम हो कि अफगानिस्तान पर तालिबान (Taliban) की हुकूमत खत्म होने के बाद साल 2001 से भारत पड़ोसी मुल्क का समर्थन कर रहा है. भारत हमेशा ही अफगानिस्तान को आर्थिक और मानवीय मदद देता आया है. 


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