सेना में सरकार देगी स्वदेशी पर जोर, सैनिकों की वर्दी खरीदते समय देशी कंपनियों को मिलेगी तरजीह
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सेना में सरकार देगी स्वदेशी पर जोर, सैनिकों की वर्दी खरीदते समय देशी कंपनियों को मिलेगी तरजीह

सेना की वर्दी और कुछ खास साजो-सामान की ख़रीदी में नई नीति अपनाई जाएगी. बाद में सेना के दूसरे सौदों को भी इसी नीति के दायरे में लाया जाएगा. हाल ही में मुंबई में हुई एक बैठक में लिए फैसले के मुताबिक सेना की ख़रीददारी में स्वदेशी उत्पादों की सीमा भी दोबारा तय की जाएगी.

प्रतीकात्मक फोटो : रॉयटर्स

नई दिल्ली: रक्षा मंत्रालय ने फैसला किया है कि सेना के लिए खरीददारी करते समय स्वदेशी कंपनियों को ज्यादा मौके दिए जाएंगे. फिलहाल सेना की वर्दी और कुछ खास साजो-सामान की ख़रीदी में नई नीति अपनाई जाएगी. बाद में सेना के दूसरे सौदों को भी इसी नीति के दायरे में लाया जाएगा. हाल ही में मुंबई में हुई एक बैठक में लिए फैसले के मुताबिक सेना की ख़रीददारी में स्वदेशी उत्पादों की सीमा भी दोबारा तय की जाएगी.

सेना के लिए टेक्निकल क्लोदिंग (TECHNICAL CLOTHING) और बेहद ऊंचाई पर इस्तेमाल होने वाले सामान की ख़रीदी अगर 50 लाख से कम होगी तो टेंडर की प्रक्रिया में केवल भारतीय कंपनियों को ही मौका दिया जाएगा. टेक्निकल क्लोदिंग में बुलेट प्रूफ जैकेट और बुलेट प्रूफ पटका शामिल है. वहीं बेहद ऊंचाई (SUPER HIGH ALTITUDE) पर तैनाती के दौरान इस्तेमाल होने वाले कपड़े, खास तरह के बर्फ पर चलने वाले जूते, स्लीपिंग बैग्स, अंदर पहनने वाले कपड़े वगैरह भी इसी दायरे में आएंगे.

ऐसे मिलेगा देश की कंपनियों को फायदा
अगर ख़रीद 50 लाख रुपए से ज्यादा क़ीमत की होगी और सबसे कम बोली बोलने वाली(L1) कंपनी विदेशी है तो उसे कुल ऑर्डर का आधा ही दिया जाएगा. बाकी आधे के लिए उसी क़ीमत पर भारतीय कंपनी को सप्लाई करने का मौका दिया जाएगा. अगर ऑर्डर को आधा-आधा न किया जा सकेगा तो भी विदेशी कंपनी के टेंडर के बारे में जानकारी देकर भारतीय कंपनी से सप्लाई की संभावना तलाशी जाएगी. सेना के उच्च पदस्थ अधिकारी ने कहा कि ऐसा वातावरण तैयार करने की कोशिश की जाएगी, जिसमें सैनिक साजोसामान की ख़रीदी में भारतीय कंपनियों को हर तरह से आगे बढ़ाया जा सके.

रक्षा मामले में आत्मनिर्भर बनने के लिए पिछले कई साल से प्रयास किए जा रहे हैं. दिसंबर 2018 में रक्षा सचिव की अध्यक्षता में हुई एक बैठक में सेना के लिए ख़रीददारी में स्वदेशीकरण को बढ़ाने और स्वदेशी कंपनियों को विदेशी कंपनियों के बराबर लाने के निर्देश दिए गए थे. सेना ख़रीदी में इस नई नीति को चरणबद्ध ढंग से बढ़ाने का फैसला किया है.

हाल ही में मुंबई में कपड़ा मंत्रालय की बैठक में सेना के कपड़ों और दूसरे साजोसामान में स्वदेशीकरण के अनुपात की समीक्षा की गई. इसका अर्थ ये है कि भविष्य में हर ख़रीद में भारतीय कंपनियों की हिस्सेदारी कितनी होगी इसे भी दोबारा तय किया जाएगा. मेक इन इंडिया के रफ्तार पकड़ने के बाद भारतीय कंपनियों ने रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में अपनी दावेदारी बढ़ा दी है. नई गन, टैंक, बख्तरबंद गाड़िया, हेल्मेट जैसे हर रक्षा उत्पाद में देशी कंपनियां उतर गई हैं. हाल ही में सेना की बुलेट प्रूफ जैकेट्स का एक बहुत बड़ा ऑर्डर भी एक देशी कंपनी को दिया गया है.

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