जब हांगकांग में अंतरराष्ट्रीय स्तर के कलाकारों के बीच गूंजेगी लखनऊ के ड्रम की थाप
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जब हांगकांग में अंतरराष्ट्रीय स्तर के कलाकारों के बीच गूंजेगी लखनऊ के ड्रम की थाप

एक उत्साही युवक ने अफ्रीकी ड्रम समेत कई किस्म के ड्रमों पर अभिनव प्रयोग कर इस खास संगीत विधा को स्थापित करने में अहम योगदान किया है

जब हांगकांग में अंतरराष्ट्रीय स्तर के कलाकारों के बीच गूंजेगी लखनऊ के ड्रम की थाप

लखनऊः  अफ्रीकी ड्रम ने ताल संगीत को भारत में नये मुकाम पर पहुंचाया है और हर छोटे-बड़े शहर में ड्रम बजाने वालों के समूह हैं, जो किसी एक खास दिन इकट्ठा होते हैं और संगीत की नयी थाप का सृजन करते हैं . नवाबों के शहर लखनऊ में तबला, पखावज और ढोलक के बारे में तो किस्से कहानियां प्रचलित हैं लेकिन एक उत्साही युवक ने अफ्रीकी ड्रम समेत कई किस्म के ड्रमों पर अभिनव प्रयोग कर इस खास संगीत विधा को स्थापित करने में अहम योगदान किया है . तन्मय मुखर्जी सिर्फ उत्तर प्रदेश नहीं बल्कि अब देश का जाना पहचाना चेहरा है.

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तन्मय ने भाषा से इंटरव्यू में कहा, 'मैं बचपन से ही ड्रमर बनना चाहता था और टीवी  पर बड़े-बड़े कलाकारों को बड़े शौक से देखा करता था . उस समय मैं सोचता था कि  काश एक दिन ऐसा भी आए जब मैं भी इन्हीं लोगों की तरह ड्रम बजाकर देश विदेश में अपनी कला से संगीत को आगे बढाऊं.' तन्मय 13 फरवरी से 18 फरवरी के बीच हांगकांग में अंतरराष्ट्रीय स्तर के ड्रम वादकों के साथ अपने फन का प्रदर्शन करेंगे . देश विदेश में कई शो कर चुके तन्मय ने बताया कि यह एक ड्रम कांसर्ट है . हर साल यह कार्यक्रम दुनिया के महान कलाकारों और लोकप्रिय ड्रम वादकों के साथ होता है .

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उन्होंने बताया कि हांगकांग ड्रम कांसर्ट में उनका एकल शो होगा . तन्मय 2017 में मलेशिया की राजधानी कुआलालाम्पुर में ड्रम फ्यूजन के जरिए प्रशंसा बटोर चुके हैं. उनसे पूछा गया कि ड्रमर बनने का सफर कहां से शुरू हुआ, ड्रम के साथ क्या क्या नये प्रयोग किये और कौन कौन सी विधाओं को सीखा? इस पर तन्मय ने बताया कि ड्रम बजाने की कला से उन्हें ताल का बहुत अच्छा ज्ञान मिला . 'मैंने घर में ही बर्तनों से और खाली डिब्बों से संगीत निकालकर लोगों का ध्यान आकर्षित किया . मैंने अपने शहर के ढाई सौ बच्चों को एक साथ इन्हीं डिब्बों और बर्तनों पर ड्रम बजवा कर एक नया रिकॉर्ड शहर के लिए बनाया है .’’ इस सवाल पर कि अंतरराष्ट्रीय कंसर्ट में जाने का रोमांच किस तरह का है, 

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तन्मय ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने हुनर को दिखाने रोमांच बहुत ही अलग है और वह ड्रम के जरिए लखनऊ को नयी पहचान देने का प्रयास करेंगे . पारंपरिक तबले, पखावज, ढोलक और आधुनिक डिजेम्बे, अफ्रीकन ड्रम के बीच कोई साम्य या समतुल्यता है और ये अलग अलग या मिलकर संगीत के किन पहलुओं को छूते हैं . इस प्रश्न के उत्तर में तन्मय ने कहा, ' भारतीय वाद्य यंत्र जैसे पखावज, ढोलक और तबला तथा विदेशी वाद्य जैसे डिजेम्बे के बीच समानता यह है कि ये सब ताल के वाद्य यंत्र हैं लेकिन इनका बजाने का तरीका अलग अलग है . इन सबको अगर मिला कर बजाया जाए तो फ्यूजन संगीत का जन्म होता है .

 

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