Key achievements : रक्षा निर्यात से जुड़े आंकड़े बताते हैं बीते 11 सालों यानी मात्र 4017 दिनों में ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अगुवाई वाली केंद्र सरकार ने देश के डिफेंस एक्सपोर्ट सेक्टर में वो मैदान फतह कर लिया है जो उनसे पहले की कोई सरकार नहीं कर पाई थी.
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Defence production surged 174%: डिफेंस सेक्टर के मोर्चे पर भारत के लिए बड़ी खुशखबरी आई है. मोदी सरकार के 11 वर्षों में रक्षा उत्पादन में 174% की वृद्धि हुई, निर्यात में 34 गुना बढ़ोतरी हुई है. पाकिस्तान पर बीते कई सालों में हुई सर्जिकल स्ट्राइक्स से लेकर ऑपरेशन सिंदूर तक भारत के हथियारों के एक्सपोर्ट का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है. भारत हथियारों के सबसे बड़े आयातक की बजाए अत्याधुनिक हथियारों और मिसाइल एयर डिफेंस सिस्टम का सबसे अहम ग्लोबल एक्सपोर्टर बन गया.
रक्षा क्षेत्र में महत्वपूर्ण बदलाव
हाल ही में मोदी सरकार की 11वीं वर्क एनिवर्सरी धूमधाम से मनाई गई. मोदी सरकार के हर मंत्रालय की तरह रक्षा मंत्रालय ने भी अपनी 11 साल की उपलब्धियों का बखान दिल खोल कर किया. केंद्र सरकार की तमाम प्रेस कॉन्फ्रेंस से पता चला कि बीते 11 सालों में प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने भारत के रक्षा क्षेत्र में महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं. बीते एक दशक में खास कर डिफेंस सेक्टर में आत्मनिर्भरता, आधुनिकीकरण और हथियारों और गोला-बारूद के निर्यात पर खास ध्यान दिया गया.
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान हुआ मॉकटेस्ट!
उदाहरण के तौर पर, पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में 7 मई को लॉन्च किए गए ऑपरेशन सिंदूर ने बता दिया है कि भारत के गिने चुने हथियार नहीं बल्कि दर्जनों वॉर इक्यूपमेंट्स बेहद घातक है. भारत के हथियारों के एक्सपोर्ट की मांग पूरी दुनिया में तेजी से बढ़ी है. भारत ने बीते दस सालों में बाहर से आयात के बजाए खुद के निर्यात पर जोर दिया.
1. रिकॉर्ड रक्षा उत्पादन - भारत का रक्षा उत्पादन 2014 से 174 प्रतिशत बढ़कर 2023-24 में 1.27 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है. इस वृद्धि का श्रेय सरकार द्वारा स्वदेशी डिजाइन, विकास और विनिर्माण पर दिए जा रहे जोर को जाता है.
2. रक्षा निर्यात - भारत का रक्षा निर्यात 34 गुना बढ़कर 2024-25 में 23,622 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है. देश अब अमेरिका, फ्रांस और आर्मेनिया सहित 85 से अधिक देशों को रक्षा उपकरण निर्यात करता है.
3. स्वदेशी रक्षा प्रणाली - इस अभियान में स्वदेशी प्रणालियों का उपयोग किया गया, जैसे आकाश सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्लेटफॉर्म, ब्रह्मोस मिसाइल और लोइटरिंग म्यूनिशन, जो रक्षा प्रौद्योगिकी में भारत की प्रगति को प्रदर्शित करते हैं. सरकार ने ब्रह्मोस मिसाइल प्रणाली, लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर (LCH) प्रचंड और एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) सहित स्वदेशी प्रौद्योगिकियों के विकास को बढ़ावा दिया है.
4. रक्षा औद्योगिक गलियारे - उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में दो समर्पित रक्षा औद्योगिक गलियारे स्थापित किए गए हैं, जिनमें 8,658 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश आकर्षित हुआ है और 53,439 करोड़ रुपये की अनुमानित निवेश क्षमता वाले 253 समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए हैं.
5.आधुनिकीकरण और सुधार-
1. रक्षा खरीद प्रक्रिया (डीपीपी) - स्वदेशी खरीद को प्राथमिकता देने और मेक इन इंडिया पहल को बढ़ावा देने के लिए डीपीपी को सुव्यवस्थित किया गया है.
2. चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) - सीडीएस की नियुक्ति ने सेवाओं के बीच समन्वय और निर्णय लेने में सुधार किया है, जिससे उभरते सुरक्षा खतरों पर तेजी से प्रतिक्रिया संभव हो सकी है.
3. थिएटर कमांड - सरकार थिएटर कमांड अवधारणा को लागू करने की दिशा में काम कर रही है, जिससे ऑपरेशन के दौरान तालमेल और संसाधन आवंटन में वृद्धि होगी.
भारत की सेना के पराक्रम और भारतीय हथियारों का डंका पूरी दुनिया में बज रहा है.
भविष्य की योजना
मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में रक्षा मंत्रालय से मिली जानकारी के मुताबिक सरकार ने देश का डिफेंस एक्सपोर्ट टारगेट 2029 तक 50,000 करोड़ रुपये को पार करना सेट किया है, ताकि भारत रक्षा उत्पादन के लिए वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित हो सके.