DNA: एक भारतीय पिता, जो ईरान के लिए शहीद करना चाहता है अपना बेटा, जानिए क्या है वजह?
Advertisement
trendingNow12808290

DNA: एक भारतीय पिता, जो ईरान के लिए शहीद करना चाहता है अपना बेटा, जानिए क्या है वजह?

ईरान और इजरायल एक दूसरे पर जमकर हमले कर रहे हैं. हाल ही में इजरायल ने ईरान के मीडिया हेडक्वार्टर पर हमला किया था. यहीं एक भारतीय नौजवान भी काम करता है. उसको लेकर पिता की जो सोच है वो सभी को हैरान कर देगी.

DNA: एक भारतीय पिता, जो ईरान के लिए शहीद करना चाहता है अपना बेटा, जानिए क्या है वजह?

Iran Israel War: अब हम तेहरान से 2550 किलोमीटर दूर उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में बैठे उस मुस्लिम पिता के बारे में बताएंगे, जिन्होंने अपने बेटे को खलीफा के लिए कुर्बान हो जाने का पैगाम दिया है. ईरान में फंसे भारतीय पत्रकार रवीश जैदी के पिता ने कहा है कि अगर बेटा कौम के लिए शहीद भी हो जाए तो गम नहीं. भारत का भी नाम नहीं झुकना चाहिए. ईरान में जब इजरायल ने एक न्यूज चैनल के दफ्तर पर हमला किया तो वहां एक महिला एंकर लाइव एंकरिंग कर रही थी. उसकी एंकरिंग के वक्त हुए हमले का वीडियो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुआ. हमले से 20 सेकंड पहले उसी दफ्तर से कुछ पत्रकार बाहर निकले थे. उन्हीं पत्रकारों के साथ लखनऊ के एक युवा पत्रकार रवीश जैदी भी बाहर निकले थे.

क्या बोले रवीश के पिता?

रवीश जैदी ईरान में पिछले 10 साल से रह रहे हैं. वे वहां के एक न्यूज चैनल में रिपोर्टिंग कर रहे हैं. उनके पिता अमीर अब्बास जैदी से जी मीडिया की टीम ने बात की. उन्होंने जी न्यूज से बातचीत में ईरान के लिए अपने बेटे की शहादत की ख्वाहिश दिखाई. उन्होंने कहा कि अगर उनके बेटे की ईरान में शहादत हो जाती तो उन्हें खुशी होती. उन्होंने जो कहा वो आपको सुनना चाहिए.

भारत में कितने प्रतिशत शिया

इजराइल और ईरान के बीच युद्ध जारी है. दोनों ही देशों में सैकड़ों-हजारों भारतीय हैं, जो इन देशों में नौकरी करने, ज़ियारत करने या घूमने गए और फंस गए हैं, लेकिन रवीश जैदी ईरान में नौकरी कर रहे हैं. ये शिया मुस्लिम समुदाय से ताल्लुक रखते हैं. ईरान की आबादी का ज्यादातर हिस्सा इस्लाम के शिया समुदाय से आता है. भारत में 2 से 3 करोड़ शिया मुसलमान रहते हैं. यानी हिंदुस्तान में शिया कुल मुस्लिम आबादी के 10-15 फीसदी हैं. भारत में शिया मुसलमान उत्तर प्रदेश, बिहार, जम्मू-कश्मीर, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और गुजरात में हैं. लखनऊ को शिया मुसलमानों का गढ़ माना जाता है. सेंसस में शिया और सुन्नी को अलग-अलग नहीं रखा जाता. इसलिए इनकी आबादी की स्पष्ट जानकारी उपलब्ध नहीं है.

शिया और सुन्नियों के बीच विवाद

शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच असली फर्क पैगंबर मोहम्मद के उत्तराधिकारी को लेकर है. शिया मुसलमानों का मानना ​​है कि पैगंबर मोहम्मद के बाद उनके दामाद अली उनके उत्तराधिकारी थे, जबकि सुन्नी मुसलमानों का मानना ​​है कि उनके ससुर अबू बक्र उनके उत्तराधिकारी थे. देश में तीन तरह के लोग होते हैं अगर आप इन तीनों तरह के लोगों से एक सवाल करेंगे तो यकीन मानिए, जवाब तीन तरह के आएंगे. सवाल है कि आपके लिए मुल्क अहम है या मजहब? जवाब में पहली कैटेगरी के लोग वो होंगे जो ये कहेंगे,'हम पहले इंडियन हैं, बाद में हिंदू या मुस्लिम', दूसरी कैटेगरी वाले लोग बहुत कम हैं लेकिन हैं ऐसे लोग इस सवाल के जवाब में कहेंगे,'हमारे लिए पहले मजहब है, फिर हमारा मुल्क', बहुत थोड़े लोग इसका एक दिलचस्प जवाब दे सकते हैं. वे कह सकते हैं कि मुल्क और मजहब तो जैसे मेरी दो आंखें हैं, किसे कहूं ज्यादा अहम, किसे कहूं मैं कम?' रवीश जैदी के पिता ने नेशन को फर्स्ट रखने की बात कही है.

Breaking News in Hindi और Latest News in Hindi सबसे पहले मिलेगी आपको सिर्फ Zee News Hindi पर. Hindi News और India News in Hindi के लिए जुड़े रहें हमारे साथ.

TAGS

Trending news

;