भारत और अमेरिकी सेनाएं उत्तराखंड में दो हफ्ते तक मिलकर करेंगी युद्धाभ्यास
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भारत और अमेरिकी सेनाएं उत्तराखंड में दो हफ्ते तक मिलकर करेंगी युद्धाभ्यास

अधिकारियों के अनुसार यह अभ्यास आतंकवाद निरोधक सहयोग बढ़ाने पर केंद्रित होगा.

 भारत और अमेरिका की सेनाएं 16-29 सितंबर के दौरान उत्तराखंड के चौबटिया में वार्षिक ‘युद्धाभ्यास’ करेंगी  (प्रतीकात्मक फोटो)

नई दिल्ली: भारत और अमेरिका की सेनाएं आपस में सहयोग बढ़ाने के लक्ष्य के साथ 16-29 सितंबर के दौरान उत्तराखंड के चौबटिया में वार्षिक ‘युद्धाभ्यास’ करेंगी. अधिकारियों ने यह जानकारी दी.अधिकारियों के अनुसार यह अभ्यास आतंकवाद निरोधक सहयोग बढ़ाने पर केंद्रित होगा.

इस साल के अभ्यास की परिसीमा और सघनता दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग में वृद्धि के आलोक में ज्यादा व्यापक होगी. उन्होंने कहा कि हर पक्ष से करीब 400 सैनिकों के हिस्सा लेने की संभावना है.  अमेरिका और भारत के बीच रक्षा एवं सुरक्षा सहयोग में पिछले दो-चार सालों में नयी रफ्तार नजर आई है.

गुरुवार को दोनों देशों के बीच हुआ था अहम रक्षा करार
गुरुवार को भारत और अमेरिका के बीच पहली ‘टू प्लस टू’ वार्ता के बाद यहां दोनों के बीच एक रक्षा करार पर हस्ताक्षर हुए जिसके तहत भारतीय सेना को अमेरिका से महत्वपूर्ण और एन्क्रिप्टिड (कूट रूप से सुरक्षित) रक्षा प्रौद्योगिकियां मिलेंगी. ‘टू प्लस टू’ वार्ता में दोनों देशों ने सीमापार आतंकवाद, एनएसजी की सदस्यता के भारत के प्रयास और विवादित एच1बी वीजा के मुद्दों पर चर्चा की.

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गुरूवार को भारत और अमेरिका के बीच पहली ‘टू प्लस टू’ वार्ता के बाद दोनों के बीच एक रक्षा करार पर हस्ताक्षर हुए (फोटो साभार - रॉयटर्स)

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण की अमेरिकी विदेश मंत्री माइकल आर पोम्पिओ तथा रक्षा मंत्री जेम्स मैटिस से वार्ता में दोनों देशों ने उनके बीच हॉटलाइन भी स्थापित करने का फैसला किया. स्वराज ने संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रथम वार्ता के एजेंडे पर संतोष जताया और इसमें हुई बातचीत का ब्योरा रखा.

पोम्पिओ ने ‘संचार, संगतता, सुरक्षा समझौता’ (कॉमकोसा) को संबंधों में ‘मील का पत्थर’ करार दिया, वहीं सीतारमण ने कहा कि करार भारत की रक्षा क्षमता और तैयारियों को बढ़ाएगा.

कॉमकोसा करार होने के बाद भारत अमेरिका से महत्वपूर्ण रक्षा प्रौद्योगिकियां हासिल कर सकेगा और अमेरिका तथा भारतीय सशस्त्र बलों के बीच अंतरसक्रियता सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण संचार नेटवर्क तक भारत की पहुंच होगी. यह करार अमेरिका से मंगाए गए रक्षा प्लेटफॉर्मों पर उच्च सुरक्षा वाले अमेरिकी संचार उपकरणों को लगाने की भी इजाजत देगा.

स्वराज ने कहा कि यह वार्ता दोनों देशों के नेतृत्व की रक्षा और सुरक्षा मुद्दों पर द्विपक्षीय सामरिक संचार को और अधिक बढ़ाने की आकांक्षा झलकाती है.

(इनपुट - भाषा)

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