प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) इसी दौरान नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड (National Common Mobility Card) की शुरुआत करेंगे. जो आने वाले समय में पूरे देश की मेट्रो में किराया भुगतान के लिए लागू किया जाएगा.
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नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) 28 दिसंबर को सुबह 11 बजे देश की पहली ड्राइवरलेस मेट्रो (Driverless Metro) ट्रेन परिचालन सेवा का उद्घाटन करेंगे. इस सिस्टम में ट्रैक की कमी पहचानने के लिए हाई रेज्यूलेशन कैमरे, रीयल टाइम मॉनिटरिंग ट्रेन इक्विपमेंट, रिमोट हैंडलिंग इमर्जेंसी अलार्म के साथ कई एडवांस्ड तकनीक का इंतजाम किया गया है. सेवा की शुरुआत 37 Km लंबे मजेंटा रूट पर होगी जो बोटैनिकल गार्डन से जनकपुरी वेस्ट तक जाता है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) इसी दौरान नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड यानी 'वन नेशन वन कार्ड' की भी शुरुआत करेंगे. नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड (National Common Mobility Card) आने वाले समय में पूरे देश की मेट्रो में किराया भुगतान के लिए लागू किया जाएगा. इसका फायदा यह होगा कि एक ही कार्ड से यात्री देश के किसी भी शहर की मेट्रो में सफर कर सकेंगे.
आईआईटी (IIT Delhi) दिल्ली के डिपार्टमेंट ऑफ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एंड कंप्यूटर साइंस के प्रोफेसर रोहन पॉल ने बताया कि हाईटेक उपकरणों से लैस ट्रेन में लगे कैमरे दिक्कतों को पहले से पहचान कर कंट्रोल रूम को जानकारी देते हैं. इसका नियंत्रण कमांड सेंटर से संचालित होगा. फिलहाल कुछ समय ट्रेन में रोविंग अटेंडेंट मौजूद रहेगा. मौजूदा वक्त में मेट्रो के ड्राइवर फ्रंट और बैक बोर्ड दोनों जगह होते हैं जो ट्रैक की मॉनिटरिंग करते हैं.
आपको बताते चलें कि मई 2016 में ड्राइवरलेस मेट्रो का ट्रायल पिंक लाइन पर हुआ था.
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किसी भी मेट्रो को कुल पांच तरीकों से चलाया जा सकता है. ट्रेन चलाने के तरीकों को ग्रेड ऑफ ऑटोमेशन (GoA) कहा जाता है.
GoA - इसे पूरे तरीके से ड्राइवर चलाता है. दिल्ली मेट्रो में इसका इस्तेमाल नहीं होता.
ATP - 2002 में मेट्रो इस सिस्टम से चलती थी. फिलहाल रेड लाइन (Red Line) में इसका इस्तेमाल हो रहा है. यानी ट्रेन का कंट्रोल पूरी तरह ड्राइवर के पास होता है. जो ट्रेन के प्रोटेक्शन सिस्टम पर नजर रखता है.
ATO - यलो लाइन (समयपुर बादली-हुड्डा सिटी सेंटर) में इस्तेमाल किया गया. इसमें ट्रेन को ड्राइवर शुरू करता है आगे इसे सिग्नल सिस्टम से कंट्रोल किया जाता है. ड्राइवर इस सिस्टम में सिर्फ गेट बंद करता है.
DTO - इसमें ड्राइवर की जगह अटेंडेंट ले लेता है.
UTO - ट्रेन पूरी तरह से ऑपरेशन कंट्रोल सेंटर से चलेगी. ट्रेन में कोई ड्राइवर या सहायक नहीं होगा. इमरजेंसी में यात्री फोन पर DMRC से बात कर सकते हैं. मजेंटा और पिंक लाइन को इसी में शिफ्ट करने की तैयारी है.
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ड्राइवरलेस मेट्रो में सफर करने का एक्सपीरियंस कैसा होगा इसे महसूस करने के लिए यात्री भी बेहद उत्साहित हैं. ज्यादातर लोग ड्राइवरलेस मेट्रो में यात्रा करने के लिए उत्साहित हैं. मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि कुछ ऐसे लोग भी होंगे जो ड्राइवरलेस मेट्रो के सफर में डर का अनुभव कर सकते हैं जिन्हें बेचैनी और एंजाइटी की शिकायत हो सकती है. लेकिन कुछ समय बाद लोगों के मन से यह डर निकल जाएगा.
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