अमेरिका के एक पूर्व सैन्यकर्मी द्वारा चाकू के दम पर विमान को हाईजैक करने का मामला सामने आया है. लेकिन, आपको जानकर हैरानी होगी कि भारत में एक बार 2 लोगों ने नकली बंदूक और क्रिकेट बॉल की मदद से 126 यात्रियों को ले जा रहे एक हवाई जहाज को हाईजैक कर लिया था. चलिए आपको 47 साल पुरानी ये पूरी कहानी बताते हैं.
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अमेरिका के एक पूर्व सैन्यकर्मी ने बेलीज में एक छोटे यात्री विमान का अपहरण कर लिया, जिसके बाद वह एक यात्री द्वारा चलाई गई गोली लगने से मारा गया. अपहरणकर्ता की पहचान अकिनयेला टेलर के रूप में की गई है और जिस 'ट्रिपोक एयर' विमान का अपहरण किया था, उसमें 14 यात्री और चालक दल के दो सदस्य सवार थे. सभी यात्री और चालक दल के सदस्य सुरक्षित हैं. हैरान करने वाली बात है कि टेलर ने विमान को चाकू के दम पर हाईजैक कर लिया था. हालांकि, यह इस तरह की पहली घटना नहीं है. भारत में एक बार 2 लोगों ने नकली बंदूक और क्रिकेट बॉल की मदद से 126 यात्रियों को ले जा रहे एक हवाई जहाज को हाईजैक कर लिया था. चलिए आपको 47 साल पुरानी ये पूरी कहानी बताते हैं.
इस घटना ने पूरे देश को हिला दिया था
बात साल 1978 की है, जब विमान हाईजैक की इस घटना ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था. दरअसल, इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) सत्ता से बेदखल हो चुकी थीं. देश के लोगो के मनमें आपातकाल का घाव अभी भी ताजा था, उसी दौरान एक ऐसी घटना घटी, जिस पर लोगों का विश्वास करना मुश्किल है. तब इंदिरा गांधी जेल में थीं और उनके दो समर्थकों भोलानाथ पांडे (27) और देवेंद्र पांडेय (28) ने एक टॉय गन और एक क्रिकेट की गेंद के साथ 126 यात्रियों को ले जा रहे एक हवाई जहाज को हाईजैक कर लिया था.
लखनऊ से दिल्ली जा रहा था विमान
इमरजेंसी के बाद इंदिरा गांधी की सरकार गिर गई थी. इसके बाद जनता पार्टी की सरकार बनी और मोरार जी देसाई ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली. मोरार जी देसाई सरकार में चौधरी चरण सिंह गृहमंत्री थे. इनके आदेश पर अक्टूबर 1977 में इंदिरा गांधी को अरेस्ट कर लिया गया था. इसके करीब 1 साल बाद 20 दिसंबर 1978 को एक विमान आईसी 410 ने लखनऊ एयरपोर्ट से दिल्ली के लिए उड़ान भरी, लेकिन 2 युवक अचानक उठे और जबरन कॉकपिट में घुसकर पायलट के सिर पर पिस्तौल तान दी. उन्होंने क्रिकेट बॉल को बम बताकर पायलट को डराया.
वाराणसी में लैंड हुआ विमान
भोलानाथ पांडे और देवेंद्र पांडेय ने विमान को हाईजैक करने के बाद इसे नेपाल ले जाने की मांग की. लेकिन, पायलट ने बताया कि विमान में इतना फ्यूल नहीं है तो उन्होंने हवाई जहाज को बांग्लदेश ले जाने की मांग की. लेकिन, पायलट के मना करने के बाद दोनों विमान को वाराणसी में लैंड करने पर राजी हो गए. इसके बाद पायलट ने प्लेन को वाराणसी की तरफ मोड़ दिया. इस दौरान हाईजैकर्स ने यात्रियों के बीच 'इंदिरा गांधी जिंदाबाद' और 'संजय गांधी जिंदाबाद' के नारे लगाए. इसके बाद उन्होंने यूपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री राम नरेश यादव से बात करने की मांग की. फिर पीएम मोरारजी देसाई ने राम नरेश यादव से बात कर उन्हें वाराणसी भेजा, जो सरकारी विमान से वहां पहुंचे.
हाईजैकर्स ने सामने रखी अपनी मांगे
हाईजैकर्स ने यूपी सीएम के सामने अपनी कई मांगे रखी, जिसमें पहली मांग इंदिरा गांधी को बिना शर्त जेल से रिहा करने की थी. इसके बाद राम नरेश यादव ने उनसे पहले विदेशियों और महिला यात्रियों को रिहा करने का आग्रह किया. हाईजैकर्स से राम नरेश यादव की बातचीत लगभग पूरी रात चली, लेकिन कोई हल नहीं निकल पाया. इस दौरान प्लेन में मौजूद यात्रियों को घुटन महसूस होने लगी र उनकी डिमांड पर हाईजैकर्स ने प्लेन के पिछले हिस्से को खोलने की इजाजत दे दी. इसके बाद पायलट ने समझदारी दिखाते हुए इमरजेंसी गेट खोल दिए, जिनके बाद दरवाजों से इमरजेंसी पैराशूट नीचे गिरे और आधे से ज्यादा यात्री प्लेन से भागने में सफल रहे.
हाईजैकर्स के पास टॉय गन और बॉल बरामद
इस बीच हाईजैकर्स में से एक के पिता वाराणसी एयरपोर्ट पर पहुंच गए. इसके बाद वायरलेस पर उनके बेटे से उनकी बात कराई गई. पिता से बात करने के बाद हाईजैकर्स के हौसले टूट गए और उन्होंने सरेंडर कर दिया. दोनों हाईजैकर्स चुपचाप पुलिस के साथ प्लेन से बाहर आ गए और इंदिरा गांधी को जेल से नहीं छुड़ाया जा सका. जब पुलिस ने उन्हें अरेस्ट किया तब उनके पास से एक टॉय गन और क्रिकेट बॉल बरामद हुई. खिलौने की बंदूक को असली हथियार बताते हुए उन्होंने पायलट को धमकाया था, जबकि उनके पास एक क्रिकेट की गेंद भी थी, जिसे उन्होंने बम बताकर पायलट को डराया था.
इंदिरा गांधी ने हाईजैक का दिया इनाम
टीओआई की रिपोर्ट के अनुसार, इंदिरा गांधी को जेल से निकालने के लिए प्लेन को हाईजैक करने वाले भोलानाथ पांडेय को इसका फायदा भी मिला और कांग्रेस पार्टी ने विधानसभा चुनाव का टिकट दे दिया. संजय गांधी के करीबी सहयोगी रहे भोलानाथ पांडेय उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के दोआबा विधानसभा सीट से दो बार कांग्रेस के विधायक (1980 और 1989) बने. उन्होंने 2014 का लोकसभा चुनाव भी कांग्रेस के टिकट पर सलेमपुर से लड़ा था, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा. भोलानाथ पांडेय के बेटे अभिषेक बताते हैं कि इंदिरा गांधी उन्हें अपने पालक बेटे (Foster Son) की तरह मानती थीं.