Indus Water Treaty: पहलगाम हमले के बाद भारत ने सिंधु के जल समझौते को रद्द कर दिया था. जिसके बाद से पाकिस्तान पानी के लिए तरस रहा है. अब सरकार ने सिंधु के पानी का इस्तेमाल करने के एक खास प्लान बनाया है, जानते हैं इसके बारे में.
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Indus Water Treaty: पहलगाम हमले के बाद भारत ने सिंधु के जल समझौते को रद्द कर दिया था. जिसके बाद से पाकिस्तान पानी के लिए तरस रहा है. अब सरकार सिंधु नदी के पानी का इस्तेमाल करने के लिए एक खास प्लान तैयार कर रही है. सिंधु के जल को जम्मू- कश्मीर से पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में पानी ले जाने के लिए 113 किलोमीटर लंबी नहर बनाने की तैयारी चल रही है. एक तरफ जहां इस नहर के जरिए आसानी के साथ पानी पहुंचेगा वहीं दूसरी तरफ पाकिस्तान की ओर बहने वाले पानी को रोक दिया जाएगा.
खेतों में आएगी हरियाली
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक यह नहर चिनाब नदी को रावी-ब्यास-सतलुज नदी प्रणाली से जोड़ेगी. इन नदियों के पानी का सही तरह से उपयोग किया जाएगा और तीन राज्यों के खेतों में और ज्यादा हरियाली आएगी. रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया कि चिनाब-रावी-ब्यास-सतलज लिंक परियोजना को इस हिसाब से बनाया जा रहा है कि यह जम्मू, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में 13 स्थानों पर मौजूदा नहर संरचनाओं को जोड़ सके और इंदिरा गांधी नहर (सतलज-ब्यास) में पानी ला सके.
बनाया जाएगा बैराज
इसके अलावा इस योजना के जरिए पंजाब और जम्मू कश्मीर में नहर और सुरंगों के जरिए वाटर सप्लाई नेटवर्क को मजबूत किया जाएगा. साथ ही चेनाब से पानी लेने वाली रणबीर नहर की लंबाई 60 से बढ़ाकर 120 किमी करने और प्रताप नहर का पूरा उपयोग करने की भी योजना है और कई सालों से रुकी हुई उझ बहुउद्देशीय परियोजना भी फिर से शुरू की जा रही है. बता दें कि उझ, रावी नदी की एक सहायक नदी है. इससे पहले रावी नदी के अतिरिक्त पानी को पाकिस्तान में जाने से रोकने के लिए उझ के नीचे एक अलग रावी- ब्यास लिंक बनाने की योजना थी. लेकिन अब यह योजना का हिस्सा होगी और नदी पर एक बैराज बनाया जाएगा.
जल विद्युत परियोजनाओं में तेजी
उझ पर बहुउद्देश्यीय (बिजली, सिंचाई और पेयजल) परियोजना प्रस्तावित है. इसके तहत पाकल दुल (1,000 मेगावाट), रटले (850 मेगावाट), किरू (624 मेगावाट) और क्वार (540 मेगावाट) जैसी जल विद्युत परियोजनाएं भी शामिल हैं, जिस पर तेजी के साथ काम चल रहा है और सरकार की कोशिश है कि ये काम जल्द पूरा हो और सिंधु नदी घाटी के पानी का इस्तेमाल भारतीय राज्यों के लिए हो सके और इन राज्यों में हरियाली आए इससे किसानों को भी काफी फायदा होगा.