चीन की सीमा से सटे इलाकों में मजबूत ढांचे का विस्तार करेगा भारत
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चीन की सीमा से सटे इलाकों में मजबूत ढांचे का विस्तार करेगा भारत

आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि थलसेना कमांडरों के सम्मेलन में यह फैसला किया गया. सम्मेलन में डोकलाम गतिरोध पर गहन चर्चा हुई. इसके अलावा, उत्तरी सीमा पर सभी संभावित सुरक्षा चुनौतियों का भी विश्लेषण किया गया. 

थलसेना कमांडरों के सम्मेलन में सम्मेलन में चीन की सीमा के पास मजबूत ढांचा खड़ा करने का फैसला लिया गया. (प्रतीकात्मक फोटो)

नई दिल्ली:  डोकलाम के मुद्दे पर हाल ही में खत्म हुए गतिरोध के मद्देनजर रक्षा मंत्रालय ने विवादित क्षेत्रों सहित भारत-चीन के बीच की करीब 4,000 किलोमीटर लंबी सीमा के पास अपनी आधारभूत संरचना में बड़ा विस्तार करने का फैसला किया है. आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि थलसेना कमांडरों के सम्मेलन में यह फैसला किया गया. सम्मेलन में डोकलाम गतिरोध पर गहन चर्चा हुई. इसके अलावा, उत्तरी सीमा पर सभी संभावित सुरक्षा चुनौतियों का भी विश्लेषण किया गया. 

  1. एक हफ्ते तक चला थलसेना कमांडरों का सम्मेलन. 
  2. सम्मेलन में रक्षा मंत्रालय के आला अधिकारियों सहित कई अन्य ने हिस्सा लिया. 
  3. सम्मेलन में चीन की सीमा के पास मजबूत ढांचा खड़ा करने का फैसला लिया गया.

महानिदेशक (स्टाफ ड्यूटी) लेफ्टिनेंट जनरल विजय सिंह ने सम्मेलन के बारे में पत्रकारों को बताते हुए कहा कि उत्तरी सेक्टर में सड़क निर्माण गतिविधियों को लेकर काफी ‘‘तेजी’’आएगी. इस सम्मेलन में रक्षा मंत्रालय के आला अधिकारियों सहित कई अन्य ने हिस्सा लिया. लेफ्टिनेंट जनरल सिंह ने बताया कि कमांडरों ने कुछ इकाइयों में सांगठनिक बदलाव करने पर भी चर्चा की ताकि उनकी मौजूदा क्षमता बढ़ाई जा सके. इससे संकेत मिलते हैं कि थलसेना नेतृत्व किसी भी आपात स्थिति से निपटने की अपनी मौजूदा तैयारियों को पुख्ता बनाने को लेकर गंभीर है.

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एक हफ्ते तक चलने वाले इस सम्मेलन की शुरूआत सोमवार को हुई थी. सम्मेलन को संबोधित करते हुए थलसेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने कमांडरों से कहा कि वे किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए हर वक्त तैयार रहें. लेफ्टिनेंट जनरल सिंह ने कहा कि थलसेना प्रमुख ने हथियारों, गोला-बारूदों और उपकरणों की खरीद को प्राथमिकता देने की जरूरत पर जोर दिया .

आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि भारत-चीन सीमा के पास क्षमता बढ़ाने पर ज्यादा जोर रहा और सम्मेलन में फैसला किया गया कि चीन सीमा पर विवादित क्षेत्रों के आसपास आधारभूत संरचना को मजबूत बनाया जाएगा. रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी सम्मेलन को संबोधित किया और बाहरी एवं भीतरी खतरों से निपटने में थलसेना की तीव्र एवं प्रभावी प्रतिक्रिया को सराहा. उन्होंने दुश्मन ताकतों के खिलाफ चौकस रहने की जरूरत पर जोर दिया और उभरती चुनौतियों से प्रभावी रूप से निपटने में तीनों सेनाओं के एकीकरण की जरूरत का जिक्र किया.

बीते 16 जून से अगले 73 दिनों तक डोकलाम में भारत और चीन के बीच गतिरोध कायम रहा था. इस गतिरोध की शुरुआत तब हुई थी जब भारत ने चीनी सेना को एक विवादित इलाके में सड़क बनाने से रोक दिया था. डोकलाम पर भूटान और चीन के बीच विवाद है. यह गतिरोध बीते 28 अगस्त को खत्म हुआ था. इसके कुछ ही दिन बाद जनरल रावत ने कहा था कि चीन ने अपना दमखम दिखाना शुरू कर दिया है. उन्होंने चेतावनी दी कि भारत की उत्तरी सीमा के हालात बड़े टकराव का रूप ले सकते हैं.

आधारभूत संरचना को बेहतर बनाने पर सिंह ने कहा,‘‘नीति, लिपुलेख, थांगला 1 और सांगचोकला दर्रों को प्राथमिकता के आधार पर 2020 तक जोड़ने का फैसला किया गया है. ये सभी दर्रे उत्तराखंड में हैं.’’ आधारभूत संरचना परियोजनाएं पूरी करने के लिए रक्षा मंत्रालय की इकाई सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) को अतिरिक्त धनराशि मुहैया कराने का फैसला किया गया. उन्होंने कहा कि रक्षा मंत्री ने यह भी साफ किया कि सैन्य बलों के जवानों का मनोबल ऊंचा रखना सरकार की प्राथमिकता है. 

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