DNA: 54 साल पहले जैसा नरसंहार तो बदला भी उससे बड़ा... क्या '1971' रिपीट होने वाला है?
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DNA: 54 साल पहले जैसा नरसंहार तो बदला भी उससे बड़ा... क्या '1971' रिपीट होने वाला है?

Pahalgam Attack: 1971 में जिस तरीके से हिंदुओं की हत्या की गई ठीक उसी पैटर्न पर 54 साल बाद पहलगाम में हिंदुओं की हत्या हुई. इसके बड़े गहरे मायने हो सकते हैं, इसलिए आपको ये विश्लेषण भी ध्यान से पढ़ना चाहिए.

DNA: 54 साल पहले जैसा नरसंहार तो बदला भी उससे बड़ा... क्या '1971' रिपीट होने वाला है?

India at War: बीते 48 घंटे में पाकिस्तान के खिलाफ भारत ने कई ऐसे कदम उठाए हैं जो बीते कई दशकों में नहीं लिए गए थे. इससे ये तो स्पष्ट है कि पाकिस्तान के खिलाफ इस बार बहुत बड़ी कार्रवाई होगी. विदेशी मीडिया में लगातार इसका जिक्र हो रहा है कि पाकिस्तान के खिलाफ इस बार भारत कोई बड़ा एक्शन ले सकता है. अब तो अमेरिका भी खुलकर भारत के समर्थन में आ चुका है.

क्या 1971 रिपीट होने वाला है?

पाकिस्तान के खिलाफ कैसा एक्शन होगा इसको लेकर अलग-अलग थ्योरी की चर्चा हो रही है. आज जिस तरह से हालात बन रहे हैं उसमें 1971 वाले युद्ध मॉडल की काफी चर्चा हो रही है. यानी पाकिस्तान के टुकड़े-टुकड़े कर देना. अब आपको हम एक ऐसी घटना के बारे बताएंगे जो 54 साल पहले बांग्लादेश में घटित हुई थी. इस घटना का संबंध 2025 के पहलगाम हमले से काफी हद तक जुड़ा हुआ है.

2025 और 1971 का पैटर्न क्या कहता है? 

पहलगाम में लोगों का धर्म पूछकर, उनकी शारीरिक पहचान को देखकर गोली मारी गई. गोली मारने से पहले ये सुनिश्चित कर लिया गया था कि वो हिंदू है कि नहीं. ऐसे ही 1971 के युद्ध से ठीक पहले बांग्लादेश में हिंदुओं को चुन-चुनकर मारा गया था. 2025 और 1971 के पैटर्न बिलकुल एक जैसा है.

ब्रिटेन के डरहम विश्वविद्यालय की प्रोफेसर नयनिका मुखर्जी ने 1971 युद्ध से पहले बांग्लादेश में हुए हिंदुओं के नरसंहार पर एक रिपोर्ट तैयार की है. इस रिसर्च रिपोर्ट का नाम है The absent piece of skin: Gendered, racialized and territorial inscriptions of sexual violence during the Bangladesh war. इस रिसर्च रिपोर्ट को ब्रिटेन के मशहूर कैंब्रिज और लैंकेस्टर यूनिवर्सिटी में पेश किया गया था. इस रिसर्च रिपोर्ट में बांग्लादेश में पाकिस्तानी सेना के अत्याचार, नरसंहार, रेप की घटनाओं का विस्तार से जिक्र है. इसी रिपोर्ट के पेज नंबर 15 से लेकर 18 के बीच एक विशेष तस्वीर का विश्लेषण किया गया है.

वो तस्वीर दिसंबर 1972 में बांग्लादेश के मशहूर अखबार दैनिक बांग्ला में भी छपी थी. रिसर्च रिपोर्ट में इस अखबार के हवाले से बताया गया है कि कैसे पाकिस्तानी सेना हिंदुओं के शारीरिक पहचान को चेक करती थी और हिंदू होने पर हत्या कर देती थी.

एक और पुस्तक The Blood Telegram में भी हिंदुओं के शारीरिक पहचान को चेक करके हत्या करने का जिक्र मिलता है. इस किताब के लेखक अमेरिकी पत्रकार गैरी जे बास (Gary J. Bass)है. इस किताब में बताया गया है कि कैसे बीच सड़क पर हिंदुओं की पहचान खोजकर हत्या कर दी जाती थी. 1971 में ढाका में अमेरिकी दूतावास में काउंसिल जनरल आर्चर ब्लड के आंखों देखी रिपोर्ट्स के आधार पर गैरी जे बास ने The Blood Telegram किताब लिखी थी. यानी 1971 में जिस तरीके से हिंदुओं की हत्या की गई ठीक उसी पैटर्न पर 54 साल बाद पहलगाम में हिंदुओं की हत्या हुई.

ऐसे बयान एक बार फिर कुछ गहरा इशारा कर रहे हैं. जिसका कुछ कुछ अंदाजा बड़े आराम से लगाया जा सकता है. 

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