DNA analysis Suresh Gopi, Kangana Ranaut: क्या देश में राजनीति करना किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से भी ज्यादा मुश्किल है. यह सवाल इसलिए उठ रहा है कि मलयाली एक्टर सुरेश गोपी और कंगना रनौत ने राजनीति छोड़ने की इच्छा जताई है.
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Is politics more difficult than a film script: केंद्रीय मंत्री और अभिनेता सुरेश गोपी ने कहा कि वो इस्तीफा देकर दोबारा फिल्मों में जाना चाहते हैं. वहीं मंडी से बीजेपी सांसद कंगना रनौत ने अपने इंस्टाग्राम पर लिखा, राजनीति एक बहुत कठिन पेशा है और सबसे कम इनकम वाला काम है. इसमें बहुत सारे खर्चे हैं. अगर कलाकार अपने पेशे को भी समय दें तो उनकी आलोचना और तिरस्कार किया जाता है. हमें अपने-अपने पेशों में काम करने की अनुमति दी जानी चाहिए. भले ही हम कोई पद या महत्वपूर्ण पोर्टफोलियो संभाल रहे हों.
क्या राजनीति फिल्मी स्क्रिप्ट से ज्यादा मुश्किल है?
अभिनेता से नेता बने दो-दो सांसदों का इस तरह राजनीति से मोहभंग होना क्या कोई नया ट्रेंड है या फिर बॉलीवुड से संसद पहुंचने वाले बाकी एक्टर्स के बीच ये एक सामान्य ट्रेंड है. क्या वाकई एक्टर्स को संसद की कुर्सी फिल्मी स्क्रिप्ट से ज्यादा कठिन लगती है?
शुरुआत कंगना रनौत से ही करते हैं. राजनीति में आए कंगना रनौत को करीब डेढ़ साल ही हुआ है. 2024 में वो हिमाचल प्रदेश की मंडी सीट से जीतकर संसद पहुंची हैं. लेकिन राजनीति के चमकदार रैंप पर उन्हें जल्द ही मानो थकान महसूस होने लगी.
राजनीति एक महंगा शौक है- कंगना रनौत
कंगना ने एक इंटरव्यू में कहा था कि सांसद बनने के बाद उनके वेतन से सिर्फ 50-60 हजार रुपये ही बचते हैं. कोई टूटी नाली की दिक्कत लेकर आ जाता है तो मैं कहती हूं कि ये सांसद का काम नहीं है. कंगना ने तो यहां तक कह दिया था कि राजनीति एक महंगा शौक है.
#DNAWithRahulSinha | पॉलिटिक्स से एक्टर के 'पलायन' का विश्लेषण, नेता या अभिनेता..किसकी कमाई ज्यादा है? #DNA #Actors #Politics #Politician #KanganaRanait @RahulSinhaTV pic.twitter.com/QPLhPQwLUa
— Zee News (@ZeeNews) October 15, 2025
लेकिन क्या आप जानते हैं कि कंगना या फिर फिल्मों की दुनिया से राजनीति में आए एक्टर्स का ये महंगा शौक जनता को कितना महंगा पड़ता है. ग्लैमर, स्पॉटलाइट और तालियों की दुनिया से राजनीति में आते ही उनका सामना जनता की सच्ची समस्याओं से हुआ. टूटे रास्ते, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार से हुआ. लेकिन सेलिब्रिटी सांसदों ने इन मुद्दों पर संसद में कितनी चर्चा की इसका अंदाजा आप संसद में इनकी अटेंडेंस से लगा सकते हैं.
इन सेलेब्रेटीज को रास नहीं आई पॉलिटिक्स
17वीं लोकसभा में टीएमसी सांसद और बंगाली फिल्मों के एक्टर देव अधिकारी का अटेंडेंस 12 परसेंट रहा. बंगाली एक्ट्रेस मिमी चक्रवर्ती का अटेंडेंस मात्र 18% रहा. भोजपुरी स्टार दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ का अटेंडेंस 25 फीसदी रहा. हेमा मालिनी का अटेंडेंस 49% रहा. हालाकि रवि किशन, गौतम गंभीर और मनोज तिवारी जैसे सेलिब्रिटी सांसदों का अटेंडेंस 80% से ज्यादा रहा.
लेकिन आंकड़े बताते हैं कि 17वीं लोकसभा में सेलिब्रिटी सांसदों का औसत अटेंडेंस सिर्फ 56.7% रहा, जबकि सभी सांसदों का 80%. (इंडियास्पेंड एनालिसिस, 2024) बताया जाता है कि संसद सत्र में अनुपस्थिति की वजह इनकी फिल्मों की शूटिंग होती थी.
जब सेवा करना मुश्किल था तो चुनाव क्यों लड़े?
अभिनेता और नेता के बीच में झूलते इनके करियर की वजह से जनता के कई सौ करोड़ बर्बाद हो गए. अब ये नेता कह रहे हैं कि राजनीति महंगा शौक है. वो पैसे नहीं कमा पा रहे हैं. क्या इन्हें चुनाव लड़ने से पहले अंदाजा नहीं था कि जनता की सेवा करना किसी फिल्म में एक्टिंग करने से कहीं ज्यादा महंगा है. अगर पैसा कमाना प्राथमिकता थी तो फिर जनता की सेवा करने की शपथ ही क्यों ली.
ऐसा नहीं है कि बॉलीवुड की चमकदार दुनिया छोड़कर जो भी नेता राजनीति में आया वो फ्लॉप हुआ या फिर उसका मोहभंग हुआ. कई ऐसे नेता हैं जिन्होंने बॉक्स ऑफिस और राजनीति दोनों पर हिट प्रदर्शन भी दिया. कई एवरेज भी रहे तो कइयों ने वापस मुंबई का रुख कर लिया. हमने ऐसे नेताओं को कैटेगरी में बांटा है.
राजनीति में हिट रहे ये एक्टर्स
सबसे पहले उन कलाकारों के नाम.. जो राजनीति में हिट रहे. इस लिस्ट में पांच बार सांसद और एक बार केंद्रीय खेल मंत्री रहे सुनील दत्त साहब का नाम है. हिट टीवी सीरियल की एक्टर से सांसद और केंद्रीय मंत्री बनीं स्मृति ईरानी का भी राजनीतिक करियार अभी तक अच्छा रहा है. इसके अलावा जया बच्चन.. विनोद खन्ना.. शत्रुघ्न सिन्हा.. हेमा मालिनी भी इसी श्रेणी में आते हैं.
अगर एवरेज कैटेगरी की बात करें तो इस लिस्ट में सनी देओल, जया प्रदा, परेश रावल और गोविंदा का नाम आता है.. गोविंदा को छोड़ दें तो ये सभी अब राजनीति से रिटायर हो चुके हैं. उर्मिला मातोंडकर, रेखा, शेखर सुमन जैसे सेलिब्रिटीज भी राजनीति में हाथ आजमा चुके हैं.. लेकिन यहां ये फ्लॉप साबित हुए.
सदी के महानायक अमिताभ बच्चन भी संसद पहुंच चुके हैं.. लेकिन महज तीन साल में उन्होंने इस्तीफा देकर राजनीति से रिटायरमेंट ले लिया.. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन रिटायरमेंट्स की वजह क्या है.. तो इसके लिए आपको एक आंकड़ा देखना चाहिए.
कमाई में जमीन-आसमान का है अंतर
एक अनुमान के मुताबिक टॉप 10 बॉलीवुड एक्टर्स की एक घंटे की कमाई 70 हजार रुपये है. वहीं एक सांसद की एक घंटे की कमाई जानते हैं कितनी है.. सैलरी और सारी सुख सुविधाओं को जोड़कर 1 हजार 700 रुपये.
शायद यही वजह है कि कंगना रनौत राजनीति को महंगा शौक बताती हैं.. सुरेश गोपी राजनीति छोड़कर फिल्म लाइन में वापस जाना चाहते हैं.. शायद यही वजह है कि चकाचौंध की दुनिया से आए सितारे राजनीतिक रैंप पर लंबा नहीं चल पाते हैं..हालांकि दक्षिण भारत इसका अपवाद भी रहा है...वहां पवन कल्याण अभी भी डिप्टी सीएम हैं...इससे पहले एनटीआर, एमजीआर और जयललिता भी काफी सफल रही हैं.