Adhir Ranjan Chowdhury: तब जाना कि प्रदेश अध्यक्ष नहीं हूं... क्या कांग्रेस में अलग-थलग पड़े? लगातार क्यों सियासी बम फोड़ रहे अधीर
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Adhir Ranjan Chowdhury: तब जाना कि प्रदेश अध्यक्ष नहीं हूं... क्या कांग्रेस में अलग-थलग पड़े? लगातार क्यों सियासी बम फोड़ रहे अधीर

West Bengal Congress: पश्चिम बंगाल कांग्रेस के अध्यक्ष और लोकसभा में कांग्रेस के नेता रहे अधीर रंजन चौधरी इन दिनों आहत महसूस कर रहे हैं. उन्होंने मंगलवार शाम को बंगाल कांग्रेस अध्यक्ष के पद से इस्तीफा देने की घोषणा की. हालांकि, वे लंबे समय से अस्थायी तौर से इस पद पर बने हुए थे. लोकसभा चुनाव 2024 में हार के बाद से उन्होंने तृणमूल कांग्रेस प्रमुख और बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर जुबानी हमले भी तेज कर दिए हैं. जबकि कांग्रेस की सियासी लाइन इससे अलग है.

Adhir Ranjan Chowdhury: तब जाना कि प्रदेश अध्यक्ष नहीं हूं... क्या कांग्रेस में अलग-थलग पड़े? लगातार क्यों सियासी बम फोड़ रहे अधीर

Bengal Congress Politics: अधीर रंजन चौधरी ने आखिरकार मंगलवार शाम को पश्चिम बंगाल कांग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि लंबे समय से वह इस पद पर अस्थायी तौर से काम देख रहे थे और एक दिन अचानक पार्टी की मीटिंग में उन्हें पूर्व प्रदेश अध्यक्ष हो जाने की जानकारी मिली. हालांकि, लोकसभा चुनाव 2024 के पहले से ही उनके बयान बंगाल और उसके बाहर सियासी बम फोड़ने वाले रहे हैं.

जिस दिन मल्लिकार्जुन खड़गे पार्टी अध्यक्ष बने मैं अस्थायी हो गया...

अपने पद से इस्तीफे के बाद एक इंटरव्यू में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा, ''...जिस दिन मल्लिकार्जुन खड़गे पार्टी अध्यक्ष बने, कांग्रेस के संविधान के मुताबिक, देश में पार्टी के बाकी सभी पद अस्थायी हो गए. यहां तक ​​कि मेरा पद भी अस्थायी हो गया...जबकि चुनाव चल रहा था, मल्लिकार्जुन खड़गे ने टेलीविजन पर कहा कि अगर आवश्यक हुआ तो मुझे बाहर रखा जाएगा, जिससे मैं परेशान हो गया. चुनाव नतीजे पश्चिम बंगाल में पार्टी के लिए अच्छे नहीं थे, भले ही मैं अस्थायी पार्टी अध्यक्ष था, यह मेरी जिम्मेदारी थी जिसके बाद मैंने खड़गे जी से कहा कि अगर संभव हो तो आप मेरी जगह किसी और को ले सकते हैं..."

अधीर रंजन की बुलाई बैठक में उन्हें ही पूर्व प्रदेश अध्यक्ष कहा गया

उन्होंने आगे कहा, '' इस बीच एआईसीसी ने मुझे पश्चिम बंगाल के कांग्रेस नेताओं की बैठक बुलाने के लिए सूचित किया क्योंकि पार्टी दो प्रस्ताव पारित करना चाहती थी... सबको पता था कि बैठक मेरी अध्यक्षता में बुलाई गई थी और मैं अभी भी पश्चिम बंगाल कांग्रेस का अध्यक्ष हूं, लेकिन बैठक के दौरान गुलाम अली मीर ने संबोधित करते हुए मेरे बारे में कहा कि पूर्व अध्यक्ष (पश्चिम बंगाल कांग्रेस के) भी यहां हैं. उस समय मुझे पता चला कि मैं पद पर नहीं हूं.”

इस्तीफे के बाद अधीर रंजन से जुड़ी किन बातों का सबसे ज्यादा जिक्र 

इसके बाद लोकसभा चुनाव के दौरान पश्चिम बंगाल में मल्लिकार्जुन खरगे के पोस्टर फाड़े जाने के विवाद की चर्चा भी तेज हो गई. उन दिनों खरगे और चौधरी के बीच कांग्रेस के संविधान को लेकर हुई सियासी कहासुनी की खबर एक बार फिर से गर्म हो गई है. राजनीतिक हलकों में संसद में पीएम मोदी की ओर से की गई अधीर रंजन चौधरी की तारीफ और उनके साथ कांग्रेस में होने वाले भेदभाव का भी जिक्र किया जाने लगा है.

बंगाल में अघोषित आपातकाल, ममता बनर्जी को झूठी और तानाशाह- अधीर

इससे पहले, हाल ही में नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की नौवीं बैठक में दिल्ली में ममता बनर्जी के माइक बंद करने के आरोप पर हंगामे के बाद अधीर रंजन चौधरी ने कांग्रेस लाइन से हटकर बयान दिया. उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी झूठ बोल रही हैं. वह खुद तानाशाह हैं, दिल्ली में संत और बंगाल में शैतान बन जाती हैं. अधीर रंजन ने इससे एक दिन पहले राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर भी बंगाल में तृणमूल कांग्रेस शासन को अराजक कहा था. उन्होंने लिखा था कि बंगाल में अघोषित आपातकाल की स्थिति है. जबकि कांग्रेस ऐसा ही आरोप केंद्र सरकार पर लगाती है.

बंगाल में विपक्षी एकता की तोड़फोड़ के पीछे ममता और अधीर की अदावत

लोकसभा चुनाव के दौरान पश्चिम बंगाल में विपक्षी दलों के इंडिया गठबंधन के कारगर नहीं होने के पीछे ममता बनर्जी और अधीर रंजन चौधरी की सियासी अदावत को भी एक कारण बताया गया था. तृणमूल कांग्रेस ने कांग्रेस को एक भी सीट नहीं दी और खास तौर पर अधीर रंजन की बहरामपुर सीट पर एक अल्पसंख्यक समुदाय के क्रिकेटर यूसुफ पठान को उतार दिया. चुनावी हार के बाद अधीर रंजन चौधरी और भी ज्यादा आक्रामक हो गए. संदेशखाली हो या मुर्शिदाबाद दोनों ही मामलों को लेकर अधीर रंजन ने बंगाल सरकार पर सांप्रदायिक होने का आरोप लगाया. 

मुस्लिमों पर कांग्रेस को वोट नहीं देने का आरोप, आलाकमान के रवैए से आहत

1999 से लगातार सांसद अधीर रंजन चौधरी ने 2024 में चुनाव नतीजे के बाद सीधे तौर पर मुस्लिमों पर कांग्रेस को वोट नहीं देने का आरोप लगा दिया था. क्योंकि बंगाल में इस बार कांग्रेस को 42 में से महज एक सीट से संतोष करना पड़ा था. चुनाव से पहले और बाद में कांग्रेस आलाकमान की ओर से तृणमूल को लेकर नरम रवैए से भी अधीर रंजन चौधरी आहत बताए जाते हैं. उनका कहना है कि बंगाल में विपक्ष के साथ राजनीतिक हिंसा जारी है. बंगाल में कई बार अधीर रंजन भाजपा की सियासी लाइन को सपोर्ट करते भी दिख जाते हैं. 

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बंगाल में नए अध्यक्ष का जल्द ऐलान कर सकती है कांग्रेस, इन नेताओं पर नजर

अधीर रंजन चौधरी के औपचारिक इस्तीफे के बाद पश्चिम बंगाल में कांग्रेस ने फिलहाल नए प्रदेश अध्यक्ष का ऐलान नहीं किया है. हालांकि, कांग्रेस महासचिव वेणुगोपाल ने पहले ही बंगाल कांग्रेस नेताओं से साफ कहा था कि अगर राज्य में नेतृत्व की कोई समस्या है तो लोग ईमेल या मैसेज के जरिए अपनी बात कह सकते हैं. इसके बाद अधीर रंजन चौधरी के साथ ही बंगाल कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष प्रदीप भट्टाचार्य, अबुदुल मन्नान, दीपा दासमुंशी, अमिताभ चक्रवर्ती, नेपाल महतो, मनोज चक्रवर्ती और ईशा खान को दिल्ली बुलाया गया था. 

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