ईरान-इजरायल युद्ध लंबा खिंचा तो कच्चा तेल ही नहीं, भारत पर दिखेंगे ये 5 बड़े असर
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ईरान-इजरायल युद्ध लंबा खिंचा तो कच्चा तेल ही नहीं, भारत पर दिखेंगे ये 5 बड़े असर

Iran Israel Conflict:  ईरान और इजरायल के बीच युद्ध अब लंबा खिंचता नजर आ रहा हैं. दोनों पक्षों ने पीछे हटने के संकेत नहीं दिए हैं. इजरायल की राजधानी तेल अवीव और ईरान की राजधानी तेहरान में सबसे ज्यादा मिसाइलो ंकी बारिश हो रही है.

Iran Israel War
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Iran Israel War News Hindi: इजरायल और ईरान के बीच पांच दिनों की भीषण जंग के बाद भी हालात सुधरने का संकेत नहीं मिल रहा है. अब ये सीधे जनता की जेब पर असर डालने लगा है. ईरान के परमाणु कार्यक्रम के खिलाफ इजरायल के ऑपरेशन राइजिंग लायन 12 जून को शुरू किया था. उसने ईरान के शीर्ष परमाणु वैज्ञानिकों और संयंत्रों को निशाना बनाया था. आइए जानते हैं कि युद्ध के पांच क्या बड़े असर भारत पर होंगे. 

भारत के लिए सस्ता तेल मिलना मुश्किल होगा
भारत दुनिया के कुछ ही ऐसे देशों में से एक है, जिसके इजरायल और ईरान दोनों से अच्छे रिश्ते हैं. भारत ईरान के कच्चे तेल का बड़ा खरीदार है. ईरान भारत को क्रूड ऑयल पर अच्छी छूट भी देता है. ऐसे में कच्चे तेल का उत्पादन घटने या आपूर्ति पर असर से भारत के लिए ये आयात महंगा पड़ेगा और पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ेंगे.

ईरान से आयात-निर्यात महंगा होगा
ईरान अपने परमाणु हथियार कार्यक्रम से पीछे न हटा तो अमेरिका उस पर नए आर्थिक प्रतिबंध लागू कर सकता है. भारत तेल के अलावा ड्राई फ्रूट्स भी ईरान से मंगाता है. वहीं उसे बासमती चावल,चीनी, चाय-कॉफी जैसी चीजों का निर्यात करता है. भारत की कई बड़ी कंपनियां ईरान में बुनियादी ढांचे के निर्माण कार्य में जुटी हैं. आर्थिक प्रतिबंधों के बाद ऐसा करना मुश्किल होगा.

मध्य पूर्व में भारत के शक्ति संतुलन पर असर
भारत ने युद्ध ईरान या इजरायल के प्रति कोई झुकाव नहीं दिखाया है.भारत नहीं चाहेगा कि मध्य पूर्व में सऊदी अरब, यूएई के साथ-साथ ईरान जैसे बड़े इस्लामिक देशों से उसके रिश्ते बिगड़ें. इजरायल भी भारत के लिए बेहद अहम है. ईरान उन चुनिंदा बड़े इस्लामिक देशों में है, जो आतंकवाद पर भारत की पीड़ा को समझते हैं. ईरान तो खुद पाकिस्तान पोषित आतंकवाद झेल रहा है.भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया सैन्य संघर्ष के दौरान ईरान ने बेहद समझदारी से काम लिया था. वो इस्लाम के नाम पर पाकिस्तान के झांसे में नहीं आया और तटस्थ रुख अपनाया. पीएम शहबाज शरीफ ने खुद तेहरान जाकर अयातुल्ला अली खमनेई से मुलाकात की, लेकिन उन्होंने इस्लामिक कार्ड के नाम पर भारत को नाराज करने का जोखिम मोल नहीं लिया. 

महंगी फ्लाइट और लंबी हवाई यात्रा
जरायल और ईरान के बीच मिसाइलों की बारिश के बीच जार्डन, इराक, सीरिया समेत कई देशों ने अपने एयरस्पेस को बंद कर रखा है. इस कारण एयरलाइनों को अपने विमान को मध्यपूर्व के आसमान से बाहर लंबा चक्कर लगाकर जाना पड़ रहा है. इससे ईंधन की खपत बढ़ रही है और विमानन कंपनियों की लागत बढ़ने के बाद टिकटों के दाम बढ़ रहे हैं.फ्लाइटरडार 24 का कहना है कि ईरान के वायुक्षेत्र से कोई यात्री विमान नहीं गुजर रहा. जबकि यूरोप से एशिया जाने वाले काफी प्लेन यहां से पहले गुजरते थे. इससे फ्लाइटों का बढ़ता वक्त, देरी और तेल की कीमत बढ़ने का असर भारत की विमानन कंपनियों पर भी हो रहा है.

कच्चे तेल की कीमतों में उछाल
ईरान-इजरायल के बीच तनाव से कच्चे तेल की कीमतों में 9 फीसदी तक उछाल पहले ही आ चुका है. अगर युद्ध न रुका तो कच्चा तेल 78 से बढ़कर 100 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकता है. इससे भारत समेत दुनिया भर के तेल आयातक देशों में पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ सकते हैं. 

जहाजों की आवाजाही पर होगा असर
ईरान रोजाना करीब 3.3 मिलियन बैरल प्रति दिन का कच्चा तेल उत्पादन करता है. इसमें 1.5 एमबीडी का निर्यात करता है. इसमें 80 फीसदी तेल तो अकेले चीन खरीदता है. उसके बाद तुर्की दूसरा सबसे बड़ा खरीदार है. ईरान होर्मुज जलडमरूमध्य-ईरान की खाड़ी के उत्तरी छोर पर है, जहां से 20 एमबीडी से तेल का रोज व्यापार होता है.सऊदी अरब और यूएई के जहाज भी यहीं से गुजरते हैं. ईरान इस रूट को ब्लॉक करने की चेतावनी पहले दे चुका है. इससे भारतीय शिपिंग कंपनियों की लागत बढ़ेगी और आयात-निर्यात महंगा होगा.

सोने का भाव आसमान पर
ईरान और इजरायल युद्ध के बीच सोने की कीमतें भी आसमान पर हैं. घरेलू सर्राफा बाजार में गोल्ड रेट 1 लाख प्रति तोला के पार पहुंच गया है. अगर तनाव बढ़ा तो शेयर बाजार पर भी बड़ा असर पड़ेगा और पीली धातु और मजबूत होगी. भारत हर साल 80-90 टन सोना आयात करता है, इसके लिए उसे ज्यादा विदेशी मुद्रा ढीली करनी पड़ेगी.

पूरा मध्यपूर्व हिंसा की आग में न झुलस जाए
ईरान और इजरायल के बीच युद्ध पूरे मिडिल ईस्ट में फैल सकता है. अमेरिका ने भी इस जंग में कूदने के संकेत दे दिए हैं. उसे सऊदी अरब-यूएई का साथ मिल सकता है. वहीं सीरिया, तुर्की और इराक जैसे देश भी ऐसे हालात में चुप नहीं बैठेंगे. रूस भले ही अभी यूक्रेन के साथ युद्ध में फंसा है, लेकिन मध्य पूर्व में वो अपने साथी ईरान को किसी कीमत पर खोना नहीं चाहता. इस मुहिम में उसे चीन और उत्तर कोरिया का साथ भी मिल सकता है. ऐसा हुआ तो ये तीसरे विश्व युद्ध में तब्दील हो जाएगा.

 

 

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