ISRO विकसित कर रहा है एक छोटा रॉकेट, अंतरिक्ष विशेषज्ञ बोले - नाम भी छोटा सा रखा जाए
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ISRO विकसित कर रहा है एक छोटा रॉकेट, अंतरिक्ष विशेषज्ञ बोले - नाम भी छोटा सा रखा जाए

 अंतरिक्ष विशेषज्ञों का कहना है कि भारत को अपने निर्माणाधीन छोटे रॉकेट के लिए एक छोटे से नाम की तलाश करनी चाहिए, जिसमें इसकी क्षमता के साथ ही देश की संस्कृति का भी वर्णन हो.

छोटे रॉकेट की अधिकतम वहन क्षमता 500 कि. ग्रा. है...

चेन्नई: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) एक छोटा रॉकेट विकसित कर रहा है, जिसकी अधिकतम वहन क्षमता 500 कि. ग्रा. है. फिलहाल इसका नाम स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल ((SSLV)) है. अंतरिक्ष विशेषज्ञों का कहना है कि भारत को अपने निर्माणाधीन छोटे रॉकेट के लिए एक छोटे से नाम की तलाश करनी चाहिए, जिसमें इसकी क्षमता के साथ ही देश की संस्कृति का भी वर्णन हो.

हाल ही में एक भारतीय तटरक्षक बल के बेड़े में एक गश्ती जहाज शामिल हुआ है, जिसे 'वराह' नाम दिया गया है. 'वराह' नाम पुराणों से लिया गया है. वराह भगवान विष्णु के तीसरे अवतार थे. इसलिए भारत के निर्माणाधीन छोटे रॉकेट के लिए भी एक संक्षिप्त और उपयुक्त नाम रखने की बात कही गई है. इसरो के वरिष्ठ सलाहकार और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) खड़गपुर के प्रोफेसर तपन मिश्रा ने इस रॉकेट को एक उपयुक्त नाम देने की पेशकश की है.

मिश्रा ने बताया, "यह उचित होगा अगर इसरो के छोटे रॉकेट का नाम 'वामन' रखा जाए, जिन्हें भगवान विष्णु के पांचवें अवतार के रूप में माना जाता है. वामन का अवतार बौने (छोटा) के रूप में हुआ. उन्होंने अपने एक कदम से पूरी पृथ्वी को नाप दिया था जबकि दूसरे कदम में देवलोक को नापा. इसके बाद उन्होंने तीसरे कदम को राजा महाबली के सिर पर रखा था." 

भगवान विष्णु के बौने रूप को 'वामन' कहा जाता है. इसके अलावा उन्हें 'त्रिविक्रम' के नाम से भी जाना जाता है. मिश्रा इसरो के स्पेस एप्लिकेशन सेंटर के निदेशक भी हैं. उन्होंने रिसैट-1 उपग्रह के सी-बैंड सिंथेटिक एपर्चर रडार (एसएआर) के डिजाइन और निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. इसरो के पूर्व अध्यक्ष जी. माधवन नैयर ने बताया, "हमारे धर्मग्रंथों व संस्कृति को देखते हुए एक ऐसा नाम रखने की जरूरत है जो नए रॉकेट की शक्ति और विशेषताओं को दर्शाए."

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उन्होंने भारत के भारी लिफ्ट रॉकेट जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (जीएसएलवी मार्क-3) का भी जिक्र किया, जिसका उप-नाम उसके बड़े आकार व उच्च क्षमता को देखते हुए 'बाहुबली' रखा गया. इसरो के अधिकारियों ने हालांकि 640 टन क्षमता वाले इस भारी-भरकम जीएसएलवी मार्क-3 रॉकेट को फैट ब्वाय (मोटा लड़का) कहा था. इसके बाद मीडिया ने इसे 'बाहुबली' उप-नाम दिया. यह नाम सफल बॉलीवुड फिल्म बाहुबली के नायक से प्रेरित है, जो भारी 'लिंगम' को उठाता है. इसरो के एक रिटायर्ड वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, "यहां तक कि यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी एरियनस्पेस से संबंधित रॉकेट एरियन का नाम भी एक फ्रांसीसी पौराणिक चरित्र अराडने से संबंधित है." उन्होंने कहा कि चीनी और रूसी रॉकेट लांग मार्च और सोयुज को भी वहां की विचारधाराओं और इतिहास से संबंधित नाम मिला.

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