इसरो के खुफिया सैटेलाइट में आखिरी वक्त क्यों आई गड़बड़ी, लॉन्चिंग के बाद टूटा संपर्क
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इसरो के खुफिया सैटेलाइट में आखिरी वक्त क्यों आई गड़बड़ी, लॉन्चिंग के बाद टूटा संपर्क

Isro Satelite Launch: इसरो के खुफिया सैटेलाइट EOS-09 में लॉन्च होने के कुछ मिनटों में बाद गड़बड़ी आ गई है. इसरो चीफ वी नारायणन ने बताया कि ये मिशन पूरा नहीं हो सका है. 

isro satelite launch
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Isro Satelite: इसरो ने रविवार सुबह दुश्मन की पल-पल की गतिविधियों पर नजर रखने वाला अपना नया सैटेलाइट सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया, लेकिन प्रक्षेपण के कुछ देर बाद ही इसमें कुछ गड़बड़ी आ गई और ये मिशन पूरा नहीं हो सका. इसरो प्रमुख वी नारायणन ने कहा कि हमने कुछ गतिविधियां देखीं, इस वजह से दिक्कतें आईं. मिशन क्यों नहीं पूरा हो पाया, इसकी विस्तृत जानकारी जल्द ही दी जाएगी. माना जा रहा है कि कुछ तकनीकी खामियों की वजह से मिशन नाकाम रहा.

इस सैटेलाइट की अहम जिम्मेदारियों में घुसपैठ और सीमा पर किसी भी नापाक हरकत के दौरान रियल टाइम डेटा मुहैया कराना था. सुबह 5.59 बजे के करीब इसरो का सैटेलाइट अर्थ ऑर्ब्जवेशन सैटेलाइट-09 (EOS-09) पीएसएलवी रॉकेट के जरिये सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया गया. इसे पहले ही निगरानी कर रहे उपग्रह EOS-04 के जुड़वा भाई की तरह काम करना था, लेकिन ये नाकाम रहा. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन का कहना है कि ऐसे सैटेलाइट रिमोट सेंसिंग डेटा इकट्ठा करने और ऑपरेशनल गतिविधियों में बेहद कारगर होते हैं. 

ये सैटेलाइट हाईक्वालिटी तस्वीर लेने में सक्षम होते हैं. इसरो का ये इस तरह का 101 वां मिशन था, जो आज प्रक्षेपित किया गया. इससे कृषि और आपदा प्रबंधन क्षेत्र में भी मदद मिलती है. 

इसरो का ये उपग्रह 1696 किलो का था और PSLV-C61 रॉकेट द्वारा इसे 17 मिनट में अपनी कक्षा में पहुंचना था. खबरों के मुताबिक, इसरो ने (EOS-09) को खासतौर पर सीमावर्ती क्षेत्र में घुसपैठ और घने जंगल जैसे दुर्गम क्षेत्र में संदिग्ध गतिविधियों का पता लगाने के लिए इसे लांच किया था.

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, ऑपरेशन सिंदूर के दौरान इसरो के रीसेट और कार्टोसेट जैसे उपग्रहों ने भी बड़ी भूमिका निभाई थी. इन उपग्रहों ने 24 घंटे रियल टाइम निगरानी डेटा सेना को उपलब्ध कराया था. रात के वक्त बी हाई रेजोल्यूशन इमेजिंग तस्वीरों से दुश्मन के ठिकानों  को खोज निकाला. कहा गया है कि भारत के लिए आसमान से खुफिया जासूसी करते हुए इन सैटेलाइटों ने  पड़ोसी देशों के सामरिक ठिकानों की लोकेशन, सैन्य गतिविधियों और ठिकानों की एकदम सही जानकारी दी.

 

 

 

 

 

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