जलियावाला बाग़ स्मारक संसोधन बिल लोकसभा में पास, अब कांग्रेस अध्यक्ष समिति के सदस्य नहीं होंगे
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जलियावाला बाग़ स्मारक संसोधन बिल लोकसभा में पास, अब कांग्रेस अध्यक्ष समिति के सदस्य नहीं होंगे

जलियांवाला बाग स्मारक संसोधन विधेयक लोकसभा में पास नए कानून में कांग्रेस अध्यक्ष जलियावाला बाग स्मारक समिति के सदस्य नहीं होंगे.

नए बिल में अब समिति के सदस्य के तौर पर लोकसभा में विपक्ष के नेता को नियुक्त किए जाने का प्रावधान किया गया है.

नई दिल्ली: जलियांवाला बाग स्मारक संसोधन विधेयक लोकसभा में पास नए कानून में कांग्रेस अध्यक्ष जलियांवाला बाग स्मारक समिति के सदस्य नहीं होंगे. केंद्रीय संस्कृति मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने बीते सोमवार को लोकसभा में इस आशय का बिल पेश किया था जो शुक्रवार को पारित हो गया. अब कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष जालियावाला बाग राष्ट्रीय स्मारक समिति का सदस्य नहीं बन पाएगा. इस बिल का नाम जलियांवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक संशोधन बिल है. हालांकि कांग्रेस सांसदों ने बिल का विरोध किया और कहा कि जलियांवाला बाग कांड के बाद स्मारक बनाने के लिए जमीन कांग्रेस पार्टी ने दी थी और स्मारक बनाने का फैसला किया था. 

अब कांग्रेस अध्यक्ष नहीं बनेंगे ट्रस्टी के सदस्य

जालियांवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक कानून 1951 में संशोधन कर दिया गया है. 1951 में कानून बनने के बाद जब पहली बार ट्रस्टी का गठन हुआ तो उसमें जवाहरलाल नेहरू, सैफुद्दीन किचलू और मौलाना अबुल कलाम आजाद जैसे कांग्रेस के दिग्गजों को ताउम्र ट्रस्टी का सदस्य बनाया गया था. इस कानून में जालियांवाला बाग को राष्ट्रीय स्मारक बनाने और उसके रखरखाव के लिए एक ट्रस्टी बनाने का प्रावधान किया गया था, जिसमें कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष एक सदस्य के तौर पर शामिल होते थे. अब केंद्र सरकार ने इसमें बदलाव कर दिया है. संशोधित बिल में कांग्रेस अध्यक्ष को समिति के सदस्य के तौर पर मनोनीत किए जाने का प्रावधान हटा लिया गया है.

लोकसभा में सबसे बड़े विपक्षी दल का नेता होगा सदस्य
नए बिल में अब समिति के सदस्य के तौर पर लोकसभा में विपक्ष के नेता को नियुक्त किए जाने का प्रावधान किया गया है. चूंकि इस वक्त लोकसभा में किसी को भी विपक्ष के नेता का दर्जा प्राप्त नहीं है, लिहाजा वह समिति का सदस्य नहीं बन सकता.

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