जमीअत उलेमा-ए-हिंद की जेल से कैदियों की रिहाई के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका, दी यह दलील
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जमीअत उलेमा-ए-हिंद की जेल से कैदियों की रिहाई के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका, दी यह दलील

याचिका में कहा गया है कि जो कैदी 7 साल से कम की सजा वाले हैं, उनको सशर्त जमानत दी जाए.

सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: जमीअत उलेमा-ए-हिंद (Jamiat Ulema-e-Hind) को कैदियों की चिंता लगी है. जमीयत ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल करके कोरोना संकट में जेलों से कैदियों को रिहा करने की मांग की है. जमीयत का आरोप है कि राज्य सरकारें कैदियों को जेलों से बाहर करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन नहीं कर रही हैं.

  1. कोरोना से बचाव के लिए सोशल डिस्टेंसिंग एकमात्र कारगर उपाय है- याचिका
  2. याचिका में कहा गया कि राज्य सरकारें सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन नहीं कर रही हैं
  3. जेलों के अंदर क्षमता से कई गुना अधिक कैदी बंद हैं- याचिका

याचिका में कहा गया है कि जो कैदी 7 साल से कम की सजा वाले हैं या सात साल तक की सजा के मामलों के विचाराधीन हवालाती हैं, उनको सशर्त जमानत दी जाए. जमीअत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी की तरफ से दायर याचिका में कहा गया है कि कोरोना संकट को देखते हुए 16 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए आदेश दिया था कि सभी राज्य सरकारें जेलों में बंद कैदियों को जेलों से बाहर निकालने के लिए अपने-अपने यहां एक कमेटी का गठन करें. कमेटी समीक्षा करे कि किस-किस कैदी को जमानत दी जा सकती है. लेकिन अभी तक किसी भी राज्य सरकार ने इस मुद्दे पर कोई पहल नहीं की है.

जमीअत उलेमा-ए-हिंद की तरफ से दाखिल याचिका में कहा गया है कि स्वास्थ्य विभाग के दिशानिर्देशों के मुताबिक कोरोना महामारी से बचाव के लिए सोशल डिस्टेंसिंग एकमात्र कारगर उपाय है. देश की जेलों में क्षमता से कई गुना अधिक कैदियों की संख्या को देखते हुए सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना नामुमकिन है.

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याचिका में मुंबई के ऑर्थर रोड जेल का जिक्र करते हुए कहा गया है कि जेल में कई कैदियों और कर्मचारियों की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव सामने आने के बाद से कैदियों के परिजनों में बेचैनी बढ़ गई है. ऑर्थर रोड जेल में 103 कैदियों और कर्मचारियों की कोरोना पॉजिटिव रिपोर्ट आई है, जिन्हें इलाज के लिये मुंबई के विभिन्न अस्पतालों में रखा गया है. याचिका में कहा गया है कि 800 कैदियों की क्षमता वाली ऑर्थर रोड जेल में 2,600 कैदी बंद हैं इसीलिए सोशल डिस्टेंसिंग की कल्पना करना भी धोखा है.

याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः निर्णय लेते हुए देश के विभिन्न जेलों से आरोपियों की रिहाई के संबंध में व्यवस्था किए जाने का आदेश दिया था लेकिन महाराष्ट्र में अब तक केवल 576 आरोपियों की रिहाई प्रक्रिया शुरू हुई जबकि हाईपावर कमेटी ने 11,000 आरोपियों की रिहाई की सिफारिश की थी.

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