ड्रोन्स को दूर से ही तबाह कर देगा ये खास सिस्टम, सरकार कर रही बड़ी तैयारी
ड्रोन्स के खतरों से निपटने के लिए सरकार DRDO से मदद लेने के साथ-साथ विदेश से भी एंटी ड्रोन सिस्टम की खरीद कर सकती है.
नई दिल्ली: ड्रोन्स के बढ़ते खतरे से निपटने के लिए सरकार एंटी ड्रोन डिफेंस सिस्टम खरीदने के बारे में विचार कर रही है, जिसे जम्मू कश्मीर से लेकर पंजाब और पाकिस्तान से लगती सीमा के पास तैनात किया जा सके.
एंटी ड्रोन डिफेंस सिस्टम
रक्षा क्षेत्र में जुड़ी देश की एक प्राइवेट कंपनी ग्रेने रोबोटिक्स (Grene Robotics) ने इन्द्रजाल (Inderjaal) नाम से स्वदेशी ऑटोनोमस ड्रोन डिफेंस डोम (Autonomous Drone Defence Dome) सिस्टम बनाने का दावा किया है. कंपनी के मुताबिक, इन्द्रजाल 1000-2000 किलोमीटर के रेडियस में किसी भी ड्रोन्स या लो फ्लाइंग ऑब्जेक्ट को खत्म करने में सफल है.
ड्रोन्स को दूर से ही कर सकता तबाह
ग्रेने रोबोटिक्स के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर गोपी रेड्डी के मुताबिक, इन्द्रजाल टारगेट की तरफ आते किसी भी ड्रोन्स को दूर से ही तबाह कर सकता है. इन्द्रजाल मोबाइल सिस्टम है, जो जरूरत के मुताबिक, एक जगह से दूसरी जगह तैनात किया जा सकता है.
ड्रोन्स के खतरों से निपटने के लिए सरकार DRDO से मदद लेने के साथ-साथ विदेश से भी एंटी ड्रोन सिस्टम की खरीद कर सकती है.
भारतीय सुरक्षा बलों पर हमले की आशंका
देखा जाए तो अब तक जितने भी पाकिस्तानी ड्रोन्स पकड़े गए हैं, उनमें से ज्यदातर चाईना मेड ड्रोन्स हैं, जो अपने साथ 4-5 किलोग्राम वजन तक समान लेकर करीब पांच किलोमीटर तक जा सकते हैं. ये ड्रोन्स अपने साथ हथियार और बम भी ले जा सकते हैं. सुरक्षा एजेंसियों की रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान ऐसे ड्रोन्स की मदद से सीमा पर तैनात भारतीय सुरक्षा बलों पर बम से भी हमला कर सकता है.
आईएसआई का ऑपरेशन 'परिंदा'
पिछले कुछ दिनों में ही जम्मू में 7 बार रडार को देखा जा चुका है. सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक, सीमा पार से जो ड्रोन्स भेजे जा रहे हैं, उसे पाकिस्तानी सेना ने ऑपरेशन 'परिंदा' नाम दिया है, जो एक बड़े खतरे की तरफ इशारा करता है.
घुसपैठ की साजिश
जम्मू-कश्मीर में मौजूद ज्यादातर आतंकियों के पास हथियारों की भारी कमी है. ऐसे में आतंकियों को हथियारों की सप्लाई करने के साथ-साथ घाटी में लाइन ऑफ कंट्रोल के रास्ते बड़ी संख्या में आतंकियों को घुसपैठ कराने की साजिश लगातार रची जा रही है, लेकिन भारतीय सेना की काउंटर इनसरजेंसी (Counter Insurgency) और काउंटर टेरर (Counter Terror ) ग्रिड के चलते आतंकी भारत मे दाखिल होने में कामयाब नहीं हो पा रहे हैं.
भारतीय सुरक्षा एजेंसियों पर रखी जा रही नजर
आतंकियों को घुसपैठ कराने के लिए पाकिस्तान ड्रोन का सहारा ले रहा है. इनमें लगे हाई रेजोल्यूशन कैमरे के जरिए भारतीय सुरक्षा एजेंसियों पर नजर रखी जा रही है. इन कैमरों के जरिये पाकिस्तानी सेना ये पता लगाती है कि LoC पर किन किन जगहों में गैप है और उसके बाद ऐसे गैप का पता चलते ही आतंकियों को इन्ही रास्तों के जरिये घुसपैठ करने को कहा जाता है.
एयरफोर्स के हेलिकॉप्टर्स पर निशाना
जम्मू के एयरफोर्स स्टेशन पर हुए ड्रोन हमले एक सोची-समझी साजिश थी. सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक, आतंकी विस्फोटकों से भरे ड्रोन्स के जरिए एयरफोर्स के हेलिकॉप्टर्स और ATC को निशाना बनाना चाहते थे, लेकिन ड्रोन्स अपना निशाना चूक गए और एक बड़ा हादसा होते होते बच गया. ये पहली बार था, जब ड्रोन्स के जरिए देश के किसी मिलिट्री स्टेशन को टारगेट किया गया हो.
एलओसी पर बढ़ीं ड्रोन्स की गतिविधियां
देखा जाए तो पिछले कुछ महीनों से पंजाब, राजस्थान, जम्मू और एलओसी पर ड्रोन्स की गतिविधियां बढ़ गई हैं और पाकिस्तान में मौजूद आतंकी संगठन लगातार सीमा पार से हथियारों और ड्रग्स की सप्लाई करने के लिए ऐसे ड्रोन्स का इस्तेमाल कर रहे हैं.