70,000 जवान, तीर्थयात्रियों पर AI की नजर...आंख भी उठा नहीं पाएगा दुश्मन, हाईटेक होगी अमरनाथ यात्रा
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70,000 जवान, तीर्थयात्रियों पर AI की नजर...आंख भी उठा नहीं पाएगा दुश्मन, हाईटेक होगी अमरनाथ यात्रा

Amarnath Yatra 2025: पहली बार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जम्मू कश्मीर में भगवान शिव के तीर्थयात्रियों की सुरक्षा करेगा. साथ ही, अमरनाथ यात्रा के दौरान पहली बार FRS की तैनाती की गई है. यह प्रणाली विशेष रूप से पहलगाम और बालटाल मार्गों पर और जम्मू से कश्मीर तक तीर्थयात्रियों के हर शिविर में शुरू की गई है.

70,000 जवान, तीर्थयात्रियों पर AI की नजर...आंख भी उठा नहीं पाएगा दुश्मन, हाईटेक होगी अमरनाथ यात्रा

Amarnath Yatra 2025: पहलगाम हमले के बाद वार्षिक अमरनाथ यात्रा को सुचारू और सुरक्षित तरीके से आयोजित करना सरकार के लिए बड़ी चुनौती बन गया है. गृह मंत्री अमित शाह ने खुद दो समीक्षा बैठकें कीं और सुरक्षा और अन्य सुविधाओं पर चर्चा की गई और उन्हें अंतिम रूप दिया गया.

पहली बार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जम्मू कश्मीर में भगवान शिव के तीर्थयात्रियों की सुरक्षा करेगा. 2025 में अमरनाथ यात्रा के लिए फेशियल रिकॉग्निशन सिस्टम (FRS) की शुरूआत ने जम्मू और कश्मीर में अमरनाथ गुफा मंदिर की वार्षिक तीर्थयात्रा के लिए सुरक्षा ढांचे में महत्वपूर्ण वृद्धि को चिह्नित किया. इस प्रणाली का उद्देश्य निगरानी कैमरों के साथ एकीकृत चेहरे की पहचान तकनीक का उपयोग करके वास्तविक समय में आतंकवादियों, ओवरग्राउंड वर्कर्स या अन्य ब्लैक लिस्टेड व्यक्तियों जैसे संभावित खतरों की पहचान करके तीर्थयात्रियों की सुरक्षा को बढ़ाना है. 

अमरनाथ यात्रा के दौरान पहली बार FRS की तैनाती की गई है. यह प्रणाली विशेष रूप से पहलगाम और बालटाल मार्गों पर और जम्मू से कश्मीर तक तीर्थयात्रियों के हर शिविर में शुरू की गई है. इसका मुख्य उद्देश्य वास्तविक समय में संदिग्ध आतंकवादियों, ओवरग्राउंड वर्कर्स या अन्य ब्लैकलिस्टेड व्यक्तियों सहित संभावित खतरों की पहचान करके सुरक्षा को मजबूत करना है.

FRS की शुरूआत 
FRS चेहरे की पहचान तकनीक से लैस उन्नत निगरानी कैमरों का उपयोग करता है, ताकि ज्ञात संदिग्धों के डेटाबेस के साथ चेहरों को स्कैन और मिलान किया जा सके. सिस्टम सक्रिय आतंकवादियों और सुरक्षा निगरानी सूची में शामिल अन्य व्यक्तियों की छवियों के साथ एकीकृत है, जिससे मिलान का पता चलने पर सुरक्षाबलों को तत्काल अलर्ट मिल जाता है. यह वास्तविक समय की पहचान क्षमता तीर्थयात्रा के दौरान संभावित खतरों पर तेजी से प्रतिक्रिया करने की क्षमता को बढ़ाती है. FRS की शुरूआत आतंकवादी खतरों का मुकाबला करने के लिए प्रौद्योगिकी-संचालित पुलिसिंग की ओर बदलाव को दर्शाती है,

FRS स्थापित करने वाले ठेकेदार शाहिद अहमद ने कहा  'फेस रिकॉग्निशन सिस्टम कैमरा लगे है इसे पहचान होती है सब कुछ इसमें रिकॉर्ड रहता है फेस रिकॉर्ड रहता था. पहले जो कैमरा लगाते थे उसमें पता नहीं चलता था इसमें पहचान ज़्यादा है सब के चेहरे सेव रहते है जो कैमरा क्रॉस करता है बेटर सुरक्षा है पूरा सुरक्षा प्रबंध है यात्री सुरक्षित है यहां.' 

रेडियो नेटवर्क और सैटेलाइट 
उच्च दृश्यता और क्षेत्र के चुनौतीपूर्ण भूभाग के कारण मजबूत सुरक्षा व्यवस्था की गई है. इसलिए FRS के साथ-साथ, विशेष रूप से यात्रा मार्गों और बेस कैंपों पर हवाई और जमीनी निगरानी के लिए ड्रोन और CCTV कैमरे तैनात किए जाएंगे. एक समर्पित रेडियो नेटवर्क और सैटेलाइट फोन खराब मोबाइल कवरेज वाले क्षेत्रों में निर्बाध संचार सुनिश्चित करते हैं. संभावित आतंकी खतरों का मुकाबला करने के लिए जैमर को चुनिंदा रूप से तैनात किया जाता है.

 RFID टैग वाले तीर्थयात्रियों को ही तीर्थयात्रा के लिए जाने की इजाजत
रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (RFID) टैग को अधिकारियों द्वारा उनकी गतिविधियों को ट्रैक करने, बेहतर भीड़ प्रबंधन और तीर्थयात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अनिवार्य कर दिया गया है. RFID टैग वाले तीर्थयात्रियों को ही तीर्थयात्रा के लिए जाने की अनुमति दी जाएगी.

RFID की खासियत
RFID प्रभारी  मानव धार ने कहा,  'जैसे ऑनलाइन केवाईसी होती है RFID कार्ड से हमे पता चलता है की बंदा सही है फेक है क्युकी हमारे पास आधार बेस्ड डेटा आता है और RFID हर साल की तरह इस साल भी मिलेगी इस साल कियोस्क मशीन भी लगाई गई है जो ऑन स्पॉट बांधे का फेस देख कर पहचान लेगी सुरक्षाबलों की तरफ़ से कैमरा लगे है. हर कोई अपने तरीक़े से पूरा काम कर रहा है. आज कल टेक्नोलॉजी का ज़माना है बहुत सी चीज़े लगे है. इस कैमरा में श्राइन बोर्ड ने डाटा पहले से डाल रखा है यही कैमरा गुफा पर भी लगे है. RFID के बिना किसको एंट्री नहीं मिलेगी कार्ड के बिना बैरिकेड नहीं खुलेगा.'

आधुनिक गैजेटरी के अलावा विशेष QRT (त्वरित प्रतिक्रिया दल) आपात स्थितियों का जवाब देने के लिए रणनीतिक बिंदुओं पर तैनात किए जाएंगे. जोखिमों को कम करने के लिए मार्गों और शिविरों की नियमित सफाई की जाएगी, साथ ही तोड़फोड़ विरोधी अभियान भी चलाए जाएंगे.

तीर्थ यात्रियों के लिए कड़ी सुरक्षा व्यवस्था 
जम्मू कश्मीर पुलिस कर्मियों के अलावा, यात्रा को सुरक्षित करने के लिए अतिरिक्त 581 अर्धसैनिक बटालियन तैनात की गई हैं. इसमें बेस कैंप, पारगमन मार्ग और गुफा मंदिर की सुरक्षा शामिल है. तीर्थयात्रा अवधि के दौरान दोनों मार्ग और गुफा नो फ्लाई ज़ोन होंगे.

जम्मू से कश्मीर तक बहुस्तरीय सुरक्षा ग्रिड के तहत 70,000 से अधिक जवान तैनात किए जाएंगे, जिनमें CAPF (CRPF, BSF, ITBP, SSB, CISF) के 42,000, J&K पुलिस के 15,000 और 15वीं कोर की सेना की इकाइयां शामिल हैं. तीर्थयात्रियों की सुरक्षा के लिए जम्मू से कश्मीर तक बहुस्तरीय सुरक्षा ग्रिड के तहत 70,000 से अधिक जवान तैनात किए जाएंगे.

प्राकृतिक और जलवायु चुनौतियों से निपटने के अलावा राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) और राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF) को बचाव कार्यों के लिए तैनात किया गया है। पहाड़ों पर प्रशिक्षित ITBP और सेना के कमांडो ऊंचाई वाले स्थानों पर तैनात हैं. त्वरित प्रतिक्रिया दल और बम निरोधक दस्ते 24/7 अलर्ट पर हैं. राजमार्गों (NH-44, NH-1) और यात्रा मार्गों पर 100 से अधिक चौकियां पहचान-पत्र और परमिट सत्यापित करेंगी. चंदनवारी और डोमेल जैसे प्रवेश बिंदुओं पर तलाशी अनिवार्य है. जम्मू से आधार शिविरों तक तीर्थयात्रियों के काफिले को सीआरपीएफ और सेना के वाहन सुरक्षा प्रदान करेंगे. शाम की असुरक्षित स्थितियों से बचने के लिए समय (सुबह 4 बजे से 10 बजे तक) का सख्ती से पालन किया जाता है.

पंजीकरण के लिए पूरे भारत में 540 से अधिक काउंटर
20,000 से अधिक टट्टूवाले, कुली और लंगर कर्मचारी पुलिस सत्यापन से गुजर चुके हैं जो तीर्थयात्रियों को सेवाएं प्रदान करेंगे, अजनबियों की घुसपैठ को रोकने के लिए उन्हें आधार से जुड़ी आईडी जारी की जाती है. सुरक्षा ग्रिड के अलावा अन्य सुविधाओं की तैयारी भी अंतिम चरण में है और यात्रा शुरू होने से पहले चालू हो जाएगी. पंजीकरण के लिए पूरे भारत में 540 से अधिक काउंटर बनाए गए हैं. तीर्थयात्री ऑनलाइन अग्रिम टोकन प्राप्त कर सकते हैं, जिससे यात्रा परमिट तक उनकी आसान पहुंच सुनिश्चित होगी. टोकन मार्ग-विशिष्ट (पहलगाम या बालटाल) और भीड़भाड़ से बचने के लिए तिथि-विशिष्ट हैं. नुनवान, चंदनवारी, शेषनाग, पंजतरणी, बालटाल, पंथ चौक जैसे प्रमुख पड़ावों पर टेंट/फैब्रिकेटेड/टिन कैंपों का विस्तार किया जा रहा है, जिसमें उप-शून्य तापमान से निपटने के लिए बेहतर स्वच्छता और हीटिंग सुविधाएं हैं. बेहतर आश्रय के लिए उच्च ऊंचाई वाले शिविरों में पहले से तैयार झोपड़ियां लगाई जा रही हैं. इनमें बिजली आपूर्ति और चिकित्सा सुविधाओं जैसी सभी सुविधाएं हैं. हर 2 किमी पर 50 से अधिक चिकित्सा शिविर, जिनमें विशेषज्ञ, ऑक्सीजन बूथ और एम्बुलेंस हैं, स्थापित किए गए हैं. उच्च ऊंचाई वाली चिकित्सा इकाइयां तीव्र पर्वतीय बीमारी के लिए सुसज्जित हैं.

ठेकेदार 'बशारत रफीक जो कैम्प बना रहा है ने कहा, 'हमारे तीन कांट्रैक्ट थे तीन कम्पलीट हुए है एक का काम चल रहा. इस बार कंक्रीट डाला गया है नए शेड बने है एक नया हॉस्टल बना है. सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम है. इस बात यात्री को बेहतर सुविधा मिलेगी एक बिल्डिंग भी बनी है यहां भी यात्री रह सकते. हम यात्रियों का वेलकम करते रहे है इस बार भी करेगे दिल से वेलकम करते हैं.'

सैनिटेशन ठेकेदार देव राज ने कहा, 'बहुत अछा तयारी हो रही है हमारे इस कैम्प में टॉयलेट बाथरूम्स यूरिनल्स लगाये गए है रहने की भी विवस्था कर दी गई है उन्हें किसी तरह की मुश्किल ना हो प्रशासन के लोग कश्मीर पुलिस सेवा में किसी प्रकार की कमी नहीं है. यात्रा जो आयेगा वो सुरक्षित यात्रा कर वापिस घर जाएँगे। यात्राओं ने हम निवेदन कर रहे है वो आए कुछ नहीं होगा.'

मुफ्त भोजन की सुविधा
देश भर के एनजीओ और स्थानीय समूहों द्वारा संचालित 100 से अधिक सामुदायिक रसोई (लंगर) दोनों मार्गों पर मुफ्त भोजन उपलब्ध कराएंगे. एसएएसबी गुणवत्ता नियंत्रण और स्वच्छता सुनिश्चित करता है. कनेक्टिविटी में सुधार के लिए शिविरों में सौर ऊर्जा से चलने वाली लाइटिंग और मोबाइल नेटवर्क बूस्टर लगाए जा रहे हैं. पावर बैकअप सिस्टम निर्बाध चिकित्सा और सुरक्षा संचालन सुनिश्चित करते हैं. जम्मू और कश्मीर राज्य सड़क परिवहन निगम (जेकेएसआरटीसी) जम्मू से बालटाल और नुनवान में बेस कैंपों तक 500 विशेष बसें चलाएगा.

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