विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह कदम सफल होता, तो पूरी घाटी में अंधेरे में छा जाता. टॉवर पावर ग्रिड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड का है और एक प्रमुख ट्रांसमिशन लाइन है जो घाटी को उत्तरी ग्रिड से जोड़ती है.
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श्रीनगर: आम कश्मीरियों और गैर-स्थानीय ट्रक ड्राइवरों को निशाना बनाने के बाद आतंकवादियों ने अब कश्मीर को अंधेरे में धकेलने के लिए बिजली के टॉवर को काटने का मंसूबा बना चुके हैं. दक्षिणी कश्मीर के शोपियां में दो बिजली के ट्रांसमिशन टावर काटने का हुए प्रयास करके आम लोगों को नुकसान पहुंचाने के लिए नई रणनीति आतंकियों ने अपनाई है. दक्षिण कश्मीर के चितरगाम गांव में आतंकियों के द्वारा ब्लैकआउट करने की साज़िश का पुलिस ने पर्दाफाश किया है. सुरक्षाबलों के मुताबिक आतंकी बिजली ट्रांसमिशन टॉवर को काटने के लिए एक खतरनाक कोशिश की है. सुरक्षा बलों ने दो गैर-स्थानीय ट्रक ड्राइवरों की हत्या के बाद क्षेत्र की तलाशी करते हुए शोपियां के इस इलाके में 440-मेगावाट बिजली ट्रांसमिशन टॉवर के निचले हिससे के कट-आउट कटा पाया.
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह कदम सफल होता, तो पूरी घाटी में अंधेरे में छा जाता. टॉवर पावर ग्रिड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड का है और एक प्रमुख ट्रांसमिशन लाइन है जो घाटी को उत्तरी ग्रिड से जोड़ती है.
जम्मू कश्मीर पुलिस के महानिदेशक दिलबाग सिंह ने बताया, 'मिलिटेंट्स जो पाकिस्तान के इशारे पर इस काम पर लगे हैं चाहते हैं यहां दोनों को चोट पहुंचाई जाए. दोनों को नुकसान पहुंचाया जाए. यह लोगों की रोज़ी रोटी पर हमला है. हमने इसकी तफ्तीश शुरू की है, पहचान हो चुकी है, हमें मालूम है कौन-कौन लोग इसमें शामिल है, जिन्होंने टावर को डैमेज करने की कोशिश की. लोगों को दी जाने वाली सुविधाओं को नष्ट करने के लिए टॉवर को नुकसान पहुंचाया गया था. हमने और ठोस कदम उठाए हैं और मुझे उम्मीद है कि इस मामले को जल्द क्रैक किया जाएगा.'
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राज्य में सुरक्षा ग्रिड अब पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों द्वारा अपनाई गई नई रणनीति का अध्ययन करने की कोशिश कर रहा है और टॉवर को नष्ट करने के लिए मामला दर्ज किया है. पुलिस सूत्र का मानना है कि टावर गैस कटर का उपयोग करके अंगों को काट दिया गया था. सुरक्षाबल मानते हैं कि यह आतंकियों की नई रणनीति अपना रहे हैं. यह नागरिक की सुविधाओं को नुकसान पहुंचाना चाहते हैं. लेकिन सभी एजेंसियां सहयोग में काम कर रही हैं, हम उन्हें सफल नहीं होने देंगे.
2015 में आतंकवादियों ने श्रीनगर और उत्तरी कश्मीर में मोबाइल टावरों को निशाना बनाया था और बाद में सुरक्षा बलों ने मोबाइल कनेक्टिविटी को ख़तम करने की कोशिश के लिए जिम्मेदार आतंकवादी गुट को खत्म कर दिया था.