Jammu-Kashmir Tourism: जम्मू-कश्मीर मेंम बीते दिनों आई प्राकृतिक आपदा के कारण लोगों को बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. इसको लेकर लोगों ने मदद मांगी है.
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Jammu-Kashmir News: जम्मू-कश्मीर में उधमपुर जिले के बंट गांव में बीते दिनों आई भारी बारिश के कारण एक मुख्य पुल बह गया. इसके चलते अब स्थानीय लोगों को बड़ी मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है. परिवहन के साधन न होने के कारण ग्रामीणों को ऑटो रिक्शा तक कंधों पर उठाकर नदी पार करनी पड़ रही है. ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने प्रशासन से मदद की गुहार लगाई, लेकिन उन्हें कोई मदद नहीं मिली.
ग्रामीण देस राज ने बताया,' करीब 10 साल बाद यह पुल फिर से बह गया है. हमने हर विभाग से मदद मांगी. डीसी से लेकर विधायक तक गुहार लगाई, लेकिन किसी ने हमारी नहीं सुनी. बीमार लोग और बच्चे सबसे ज्यादा परेशान हैं. समरौली तक पैदल जाने में चार घंटे लगते हैं.' एक अन्य स्थानीय निवासी ने कहा,' स्कूल के बच्चों और बीमार लोगों को नदी पार कराना पड़ता है. नदी बेहद गहरी है और डरावनी भी, लेकिन हमारे पास और कोई विकल्प नहीं है.' घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है, जिसमें ग्रामीणों को ऑटो रिक्शा को कंधों पर उठाकर नदी पार करते हुए देखा जा सकता है.
भद्रवाह क्षेत्र को छोटा कश्मीर भी कहा जाता है. प्राकृतिक आपदाओं और हालिया आतंकवादी हमलों के कारण यहां पर्यटन उद्योग में भारी गिरावट देखी जा रही है. स्थानीय निवासी यासिर ने बताया,' मैं पिछले 8-10 सालों से पर्यटन क्षेत्र में काम कर रहा हूं, लेकिन पिछले 2 सालों से हालात बेहद खराब हैं. पहलगाम हमले के बाद दो महीने तक कोई पर्यटक नहीं आया. फिर गर्मियों में कुछ पर्यटक आए, लेकिन किश्तवाड़ में बादल फटने और बाढ़ के कारण फिर से नुकसान हुआ.'
यासिर ने मांग करते हुए कहा कि विधायक आगामी विधानसभा सत्र में भद्रवाह के पर्यटन मुद्दे को उठाएं और यहां कोई उत्सव आयोजित करें, जिससे पर्यटक आकर्षित हों. एक अन्य स्थानीय ने कहा,' गुलडंडा जैसे स्थान अब वीरान हो गए हैं. पहले लाखों पर्यटक आते थे, लेकिन अब कोई नहीं आता. स्थानीय युवा बेरोजगार हो गए हैं.' भाजपा नेता दिलीप सिंह परिहार ने भद्रवाह में 3 साल से अधूरे पड़े गोंडोला प्रोजेक्ट को लेकर प्रशासन की आलोचना की और कहा कि होटल व्यवसायी कर्ज लेकर होटल बना चुके हैं, लेकिन अब उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है.
भारी बारिश के कारण पुल बह गया, जिससे ग्रामीणों को नदी पार करने में कठिनाई हो रही है.
परिवहन का कोई साधन न होने के कारण उन्हें ऑटो रिक्शा को कंधों पर उठाकर नदी पार करना पड़ रहा है.