ऑपरेशन ऑलआउट के कारण सीमा पर चौकसी इतनी बढ़ा दी गई है कि घुसपैठ पर पूरी तरह से लगाम लग चुकी है.
Trending Photos
श्रीनगर : कश्मीर घाटी में इस समय आतंकी हथियारों कमी से परेशान हैं. हथियार ना होने के कारण किसी घटना को अंजाम देना उनके लिए मुश्किल हो रहा है. इस बौखलाहट के कारण आतंकी हथियारों को लूटने की घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं.
दरसल ऑपरेशन ऑलआउट का बढ़ता दबाव और नियंत्रण रेखा पर चौकसी इतनी बड़ गई है कि घुसपैठ लगभग ना के बराबर हो रही है. अगर आतंकी घुसपैठ करता भी है, तो हथियारों के साथ नहीं कर पता है. यही वजह है कि घाटी में सक्रिय आतंकियों के पास हथियारों की बहुत कमी है.
सुरक्षाबल मानते हैं कि इस बौखलाहट के कारण आतंकी सॉफ्ट टारगेट की तलाश करते हैं. वीआईपी और प्रोटेक्टेड लोगों के निजी सुरक्षाकर्मी को टारगेट बनाया जाता है. आतंकी हथियारों की कमी को पूरा करने के लिए इनसे हथियार लूट लेने का प्रयास करते हैं.
आईजीपी सीआरपीएफ रविदीप साही कहते हैं "जो ऑपरेशन चल रहे हैं सुरक्षाबलों का उस स्थिति पर पूरा कंट्रोल है. घुसपैठ भी नहीं हो रही, जिसके कारण यहाँ हथियारों की कमी हो गई है. बौखलाहट के कारण आतंकी सॉफ्ट टारगेट तलाशते हैं इसलिए कभी कोई वीआईपी टारगेट बन जाता है. आतंकी वहां कोशिश कर रहे हैं, जो उनके गार्ड हैं या कोई कांस्टेबल हैं वहां से लूट हो रही है."
सुरक्षाबल उनकी इस कार्रवाई पर भी रोक लगाने के लिए कदम उठा रहे हैं, ताकि आतंकियों को बिलकुल बेबस किया जा सके. इसके लिए सभी वीआईपी और प्रोटेक्टेड लोगों और सुरक्षा विंग और खुफिया विंग के बीच कई बैठके हुईं हैं. वीआईपी और इन प्रोटेक्टेड लोगों को कहा गया है कि वो अपनी हर मूवमेंट के बारे में नज़दीकी पुलिस स्टेशन या सुरक्षा कैंपों को जानकारी देते रहें.
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक पिछले दो सालों में लुटे गए हथियारों की संख्या 74 है. जिनमें 17 एके-47 राइफल, 23 एसएलआर और 14 इंसास राइफल भी शामिल है. गौरतलब है कि कश्मीर में 2018 जनवरी से अब तक 271 आतंकी ऑपरेशन आल आउट के तहत मारे जा चुके हैं.