जावेद अख्तर का असहिष्‍णुता पर निशाना, बोले, जहां सवाल करने की इजाजत नहीं, वो जगह खतरनाक
Advertisement

जावेद अख्तर का असहिष्‍णुता पर निशाना, बोले, जहां सवाल करने की इजाजत नहीं, वो जगह खतरनाक

पुणे में एक कार्यक्रम में उन्‍होंने कहा, 'जिस जगह सवाल करने की इजाजत नहीं हो, वो जगह खतरनाक है. वो सरकार, समाज, गांव और आबादी ही ठीक नहीं होगी.' यह बात शायर जावेद अख्तर ने 'जवाब दो' नाम के एक कार्यक्रम में कहीं. 

इस कार्यक्रम में कई अन्‍य सामाजिक हस्तियां मौजूद थीं. (फाइल फोटो)

पुणे : असहिष्‍णुता के मुद्दे पर गीतकार जावेद अख्‍तर ने फि‍र से मोर्चा खोला है. पुणे में एक कार्यक्रम में उन्‍होंने कहा, 'जिस जगह सवाल करने की इजाजत नहीं हो, वो जगह खतरनाक है. वो सरकार, समाज, गांव और आबादी ही ठीक नहीं होगी.' यह बात शायर जावेद अख्तर ने 'जवाब दो' नाम के एक कार्यक्रम में कहीं. यह कार्यक्रम में पुणे में महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति की ओर से नरेंद्र दाभोलकर की पुण्यतिथि पर आयोजित किया गया था. इस कार्यक्रम के दौरान जावेद ने कहा कि मैं हैरान नहीं हूं कि कोपर्निकस और गैलीलियो को सताया गया था, क्योंकि वे सच की जांच करते थे, जो सैकड़ों साल पहले विज्ञान के अभ्यास से सीखते थे.

  1. पुणे में महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति की ओर से आयोजित किया गया था कार्यक्रम
  2. सामाजिक कार्यकर्ता नरेंद्र दाभोलकर की पुण्यतिथि पर आयोजित किया गया था ये कार्यक्रम 
  3. 'जवाब दो' नाम के कार्यक्रम में जावेद अख्‍तर ने फि‍र से असहिष्‍णुता पर दिया बयान

जावेद ने कहा कि आपको उन लोगों से सावधान रहना होगा जो धर्म की आड़ में आप पर शासन करना चाहते हैं. उन्‍होंने कहा- यह समझा जा सकता है, क्योंकि उस समय लोग अज्ञानी होते थे और बेहतर तरीके से जानने का कोई तरीका नहीं था. हालांकि, आज लोगों को पता है और जो कुछ भी विज्ञान ने लाया है, उन्हें देखते हैं. वे उपग्रह लॉन्च करते हैं और इसे अपने प्रोग्रामिंग के आधार पर एक सटीक स्थान पर भेजते हैं. हालांकि, वे अब भी संगठित धर्म के नेताओं की ओर से अंधाधुंध फैलाए जा रहे अंधविश्वासों का पालन करते हैं.  अगर यह सिजोफ्रेनिया नहीं हैं तो क्या है? 

यह भी पढ़ें : जावेद अख्तर बोले- धर्मनिरपेक्ष संविधान से ऐतराज तो कहीं और क्यों नहीं चले जाते

अख्तर ने डॉ. दाभोलकर की प्रशंसा की और कहा कि वे महाराष्ट्र के लोगों को अंधविश्वास के जाल से दूर कर, बुद्धिवाद के एक प्रगतिशील विचार को पेश करने की कोशिश कर रहे थे. दुर्भाग्य से, हमारा समाज, जो रूढ़िवादी होने में प्रसन्न है, जो इसे अपनी समस्याओं से मुक्त करने के लिए ईश्वर पर निर्भर करता है, उसने कभी ये समझने की नहीं कोशिश की कि वो क्या कह रहे थे'.

Trending news