पुणे में एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा, 'जिस जगह सवाल करने की इजाजत नहीं हो, वो जगह खतरनाक है. वो सरकार, समाज, गांव और आबादी ही ठीक नहीं होगी.' यह बात शायर जावेद अख्तर ने 'जवाब दो' नाम के एक कार्यक्रम में कहीं.
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पुणे : असहिष्णुता के मुद्दे पर गीतकार जावेद अख्तर ने फिर से मोर्चा खोला है. पुणे में एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा, 'जिस जगह सवाल करने की इजाजत नहीं हो, वो जगह खतरनाक है. वो सरकार, समाज, गांव और आबादी ही ठीक नहीं होगी.' यह बात शायर जावेद अख्तर ने 'जवाब दो' नाम के एक कार्यक्रम में कहीं. यह कार्यक्रम में पुणे में महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति की ओर से नरेंद्र दाभोलकर की पुण्यतिथि पर आयोजित किया गया था. इस कार्यक्रम के दौरान जावेद ने कहा कि मैं हैरान नहीं हूं कि कोपर्निकस और गैलीलियो को सताया गया था, क्योंकि वे सच की जांच करते थे, जो सैकड़ों साल पहले विज्ञान के अभ्यास से सीखते थे.
Jis jagah sawaal karne ki ijaazat nahi ho wo khatarnaak jagah hai, wo sarkaar, samaj, gaaon, abaadi hi theek nahi hogi: Javed Akhtar in Pune pic.twitter.com/NLykG5TzUy
— ANI (@ANI) August 21, 2017
जावेद ने कहा कि आपको उन लोगों से सावधान रहना होगा जो धर्म की आड़ में आप पर शासन करना चाहते हैं. उन्होंने कहा- यह समझा जा सकता है, क्योंकि उस समय लोग अज्ञानी होते थे और बेहतर तरीके से जानने का कोई तरीका नहीं था. हालांकि, आज लोगों को पता है और जो कुछ भी विज्ञान ने लाया है, उन्हें देखते हैं. वे उपग्रह लॉन्च करते हैं और इसे अपने प्रोग्रामिंग के आधार पर एक सटीक स्थान पर भेजते हैं. हालांकि, वे अब भी संगठित धर्म के नेताओं की ओर से अंधाधुंध फैलाए जा रहे अंधविश्वासों का पालन करते हैं. अगर यह सिजोफ्रेनिया नहीं हैं तो क्या है?
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अख्तर ने डॉ. दाभोलकर की प्रशंसा की और कहा कि वे महाराष्ट्र के लोगों को अंधविश्वास के जाल से दूर कर, बुद्धिवाद के एक प्रगतिशील विचार को पेश करने की कोशिश कर रहे थे. दुर्भाग्य से, हमारा समाज, जो रूढ़िवादी होने में प्रसन्न है, जो इसे अपनी समस्याओं से मुक्त करने के लिए ईश्वर पर निर्भर करता है, उसने कभी ये समझने की नहीं कोशिश की कि वो क्या कह रहे थे'.