शहीद कॉन्स्टेबल मोहम्मद सलीम शाह की हत्या करने वाले तीन में दो आतंकी कुलगाम के ही रहने वाले थे. शनिवार दोपहर इन्हीं आतंकियों ने पाकिस्तानी मूल के आतंकी के साथ मिलकर कॉन्स्टेबल सलीम की हत्या की थी.
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नई दिल्ली: जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी बीते तीन सालों से जम्मू-कश्मीर पुलिस के कॉन्स्टेबल मोहम्मद सलीम शाह की तलाश कर रहे थे. यह तलाश सुरक्षाबलों की संयुक्त टीम द्वारा मुठभेड़ में मारे जैश-ए-मोहम्मद के कमांडर आदिल पठान की मौत का बदला लेने के लिए जारी थी. बीते तीन सालों से कॉन्स्टेबल मोहम्मद सलीम शाह आतंकियों की साजिश से बचते आ रहे थे, लेकिन शनिवार रात कश्मीर में अमन के दुश्मनों ने कॉन्स्टेबल मोहम्मद सलीम शाह के घर में मौजूद होने की खबर आतंकियों तक पहुंचा दी. खबर मिलते ही आतंकियों ने कॉन्स्टेबल मोहम्मद सलीम शाह के कुलगाम स्थित घर में धावा बोल दिया और उनका अपहरण कर लिया.
जम्मू-कश्मीर पुलिस के कॉन्स्टेबल मोहम्मद सलीम शाह का अपहरण करने के बाद आतंकी उन्हें कुलगाम के जंगलों में ले गए. जहां उन्हें घंटों कठोर प्रताड़ना दी गई. प्रताड़ना के दौरान आतंकी जैश-ए-मोहम्मद के कमांडर आदिल पठान के इनकाउंटर की जानकारी कॉन्स्टेबल मोहम्मद सलीम शाह से लेते रहे. जैसे ही कॉन्स्टेबल मोहम्मद सलीम शाह ने जैश कमांडर आदिल पठान के इनकाउंटर में मौजूद होने की बात कबूल की, उसी समय उनकी गोलीमार कर हत्या कर दी गई. हत्या के ठीक बाद आतंकियों ने एक वीडियो जारी किया था, जिसमें कॉन्स्टेबल मोहम्मद सलीम शाह द्वारा हुए अत्याचार की दास्तां मौजूद थी. इस वीडियो में शहीद कॉन्स्टेबल मोहम्मद सलीम शाह यह कहते हुए सुनाई दे रहे हैं कि आतंकी आदिल पठान के इनकाउंटर में वे भी शामिल थे.
Terrorists involved in the abduction and killing of Constable Saleem yesterday have been killed in an encounter at #Khudwani Kulgam. Search continues @JmuKmrPolice @spvaid @DigSkr @policekulgam
— Kashmir Zone Police (@KashmirPolice) July 22, 2018
अक्टूबर 2015 में हुआ था आतंकी आदिल का इनकाउंटर
सुरक्षाबल से जुड़े सूत्रों के अनुसार, जैश-ए-मोहम्मद नामक आतंकी संगठन का कमांडर आदिल पठान 2013 से 2015 के बीच कश्मीर घाटी में आतंक का पर्याय बन गया था. कश्मीर घाटी में मौजूद तमाम सुरक्षाबल लगातार आतंकी आदिल पठान की तलाश में घेरेबंदी कर रहे थे. 6 जुलाई 2014 को सुरक्षाबलों के हाथ एक सफलता लगी, जिसमें आतंकी आदिल पठान को उसके कुछ साथियों को त्राल इलाके में घेर लिया गया. इस इनकाउंटर में सुरक्षाबलों ने आंकी मंडी को मार गिराया, लेकिन आदिल मौके से भागने में सफल रहा. इस इनकाउंटर से करीब 14 महीने बाद 4 अक्टूबर 2015 को एक बार फिर सुरक्षाबलों ने आतंकी आदिल पठान को अवंतीपुरा में घेर लिया. इसी इनकाउंटर में आतंकी आदिल पठान के साथ उसका साथी बुर्मी मारा गया था.
कॉन्स्टेबल सलीम के अदम्य साहस ने दिलाई पुलिस में भर्ती
अवंतीपुरा मुठभेड़ के दौरान कॉन्स्टेबल मोहम्मद सलीम शाह जम्मू-कश्मीर पुलिस में बतौर स्पेशल पुलिस ऑफिसर (SPO) तैनात थे. इस इनकाउंटर से पहले तत्कालीन एसपीओ मोहम्मद सलीम शाह ने आतंकी आदिल पठान को खोजने के साथ-साथ उसके खात्मे तक अहम भूमिका अदा की थी. बतौर एसपीओ मोहम्मद सलीम शाह के कैरियर में यह इनकाउंटर बेहद छोटा सा उदाहरण था. कश्मीर घाटी में सक्रिय आतंकियों के खात्में में कॉन्स्टेबल सलीम लगातार नए उदाहरण बनाते जा रहे थे. तत्कालीन स्पेशल पुलिस ऑफीसर मोहम्मद सलीम शाह के इसी अदम्य साहस को देखकर जम्मू-कश्मीर पुलिस के आला अधिकारियों ने उन्हें प्रमोट कर बतौर कॉन्स्टेबल भर्ती करने फैसला किया था. हाल में ही उनको यह तरक्की मिली थी. जिसके बाद वह कठुआ के पुलिस प्रशिक्षण केंद्र में ट्रेनिंग ले रहे थे.
Wreath laying ceremony of #martyr Mohd Saleem who was martyred by terrorists after he was abducted from his home was held at DPL Kulgam. Officers led by DIG SKR laid floral wreaths on the mortal remains & paid rich tributes to the martyr. @JmuKmrPolice @spvaid @policekulgam pic.twitter.com/Cvzv1Dk8vc
— Kashmir Zone Police (@KashmirPolice) July 21, 2018
कॉन्स्टेबल सलीम की हत्या के लिए जैश और लश्कर ने मिलाया था हाथ
आतंकियों के खात्मे की मुहिम में अहम भूमिका के चलते मोहम्मद सलीम शाह को एसपीओ से कॉन्स्टेबल के तौर पर प्रमोट कर दिया गया. कॉन्स्टेबल सलीम शाह के इस प्रमोशन से जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी बुरी तरह से झल्ला गए थे. इसी झल्लाहट के चलते जैश-ए-मोहम्मद ने लश्कर-ए-तैयबा के साथ मिलाया था. इस समझौते के बाद जैश और लश्कर के आतंकी कॉन्स्टेबल मोहम्मद सलीम शाह की तलाश में जुटे थे. सुरक्षाबलों से जुड़े सूत्रों के अनुसार, जिन आतंकियों ने कॉन्स्टेबल मोहम्मद सलीम शाह को अगुवा कर उनकी हत्या की थी, वे सभी लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े थे. जिसमें एक आतंकी पाकिस्तान मूल का है, जबकि दो अन्य आतंकी कुलगाम के रहने वाले हैं. भारतीय सेना, सीआरपीएफ और जम्मू कश्मीर पुलिस की संयुक्त टीम ने अपने साथी की शहादत का बदला लेने के लिए इन तीनों आतंकियों को रविवार सुबह एक मुठभेड़ में मार गिराया है.