नई दिल्ली: देश के 4 राज्यों और 1 केंद्र शासित प्रदेश में बहुत जल्द विधान सभा चुनाव (Assembly Election 2021) होने जा रहे हैं. सभी पार्टियों जोर शोर से चुनाव प्रचार करने में जुटी हुई हैं. भारतीय जनता पार्टी (BJP) पहले ही चुनावों में जीत का दावा कर चुकी है. इसी बीच राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह (Jitendra Singh) ने असम और पश्चिम बंगाल चुनावों (Assam and West Bengal Election) को लेकर ZEE NEWS से Exclusive बातचीत की है.


असम विधान सभा चुनाव


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सवाल-1: असम में विधान सभा चुनाव होने हैं. आप मान के चल रहे हैं कि सत्ता में वापसी होगी. लेकिन विपक्ष, खासकर राहुल गांधी लगातार कह रहे हैं कि असम में आप को बेदखल करेंगे.
जवाब: पिछले 6 साल में लोगों ने देखा है कि असम में कितना परिवर्तन हुआ है. इसका सबसे ज्यादा श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) को जाता है. उन्होंने पूर्वोत्तर के 45 से ज्यादा दौरे किए हैं, जिसमें 35 से ज्यादा बार वे असम आए हैं. पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह (Manmohan Singh) के दौरे को अगर हम याद करें तो वह भी इससे कम हो जाएगा. मनमोहन सिंह असम से ही सांसद थे, लेकिन उनका यहां आना तभी होता था जब नॉमिनेशन भरना होता था. हालांकि प्रधानमंत्री मोदी ने सारी व्यवस्था को इस तरह संचालित किया कि यहां पर विकास की धारा बहने लगी. कांग्रेस के लोग स्वीकार करें या ना करें, लेकिन जब उनका कोई नेता यहां आता था तो कहा जाता था कि लीडर फ्रॉम इंडिया यहां आया है. लेकिन पिछले 6 साल में देखा जाए तो कोई ऐसा समय नहीं रहा कि पूर्वोत्तर में केंद्र का कोई मंत्री न आया हो या भाजपा का कोई नेता यहां ना आए हो. जहां तक विकास का संबंध है, पहले असम से हड़ताल, हिंसा की खबरें आती थीं या फिर कोई भ्रष्टाचार का बड़ा घोटाला सामने आता था. लेकिन आज जो नई पीढ़ी है वह तो भूल भी बैठी है कि यहां पर कभी रोड ब्लॉक होती थी. शांति और विकास एक दूसरे के पूरक हैं और हम यहां पर शांति लाए है, विकास लाए हैं.


सवाल-2: आप विकास की बात कर रहे हैं, लेकिन राहुल गांधी तो कह रहे हैं कि BJP विकास के नाम पर नफरत फैला रही है?
जवाब: जनता इस बात को समझती है कि कांग्रेस के नेताओं का पूर्वोत्तर और असम की धरती से कभी जुड़ाव ही नहीं रहा. यहां की वास्तविकता से नावाकिफ रहे. पिछले सप्ताह प्रियंका यहां चाय बागान आई थीं. टोकरी बांधी और चाय की पत्ती तोड़ी. फोटो को देखने में बड़ा आनंद आया होगा. लेकिन यह मौसम नहीं है चाय का. बिना मौसम के चाय, उनको कभी यहां आना ही नहीं होता. पिछले 6 साल में किसी भी पूर्वोत्तर के प्रदेश में चुनाव हुआ है, वहां पर केवल चुनाव प्रचार के आखिरी दिन आते थे. राहुल 1 दिन के लिए आते रहे हैं. जो पूर्वोत्तर को समझते नहीं, उनकी भावनाओं को नहीं समझते, उनकी जरूरतों को नहीं समझते, वह केवल चुनाव के समय यहां पर आ जाएं, तो वोटर इतना जागरूक हो गया है कि उसे सब कुछ समझ में आता है. 2014 से लेकर 2016 तक यहां कांग्रेस की सरकार थी. लेकिन केंद्र में बीजेपी की सरकार थी. उन 2 वर्षों में केंद्र की बहुत सी योजनाएं यहां असम में उस तरह से नहीं उतर पाईं, जैसा कि हम लोग चाहते थे. लेकिन 2016 में जब हमारी सरकार बनी ऐसा समन्वय बना कि हर योजना तेजी से आगे बढ़ी. लोग समझते हैं कि अगर हमारा भविष्य सुरक्षित है तो इसी व्यवस्था में.


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सवाल-3: यानी राहुल गांधी नहीं समझ पा रहे हैं, ना ही नॉर्थ-ईस्ट को और न ही बीजेपी को? वो कह रहे हैं कि अगर कोई चीज बढ़ी है तो बेरोजगारी और महंगाई?
जवाब: वह किस मुंह से बोलते हैं समझ नहीं आता. करीब 65 साल उन्हीं की सरकारी रही. जो इच्छा थी वो करके दिखा लेते, लेकिन वे नहीं कर पाए. वह हम सब ने करके दिखाया है. उनको तो भाजपा का एहसानमंद हो जाना चाहिए कि उनके अधूरे कामों को हमने आगे बढ़ाया, पूरा किया. विकास जो थम चुका था, उसे हमने आगे बढ़ाया.  आज पूरे भारत में पूर्वोत्तर के लोग शांति और सुरक्षा से रहते हैं.


सवाल-4: 2016 में नारा था समृद्धि और सुरक्षा. 5 साल में आपने असम के लोगों को कितना सुरक्षित रखा? क्योंकि आप लोग कहते हैं कि अजमल है तो सुरक्षा नहीं.
जवाब: कांग्रेस को इस बात का उत्तर देना होगा कि 2016 के चुनाव के दौरान और उसके पहले भी, जब तक तरुण गोगोई यहां के नेता थे, कई बार कांग्रेस के अंदर से यह सुझाव आता रहता था कि अजमल के साथ गठबंधन किया जाए. लेकिन तरुण गोगोई उसको मना कर देते थे. हमेशा ना करते रहते थे. उन्होंने कहा था बदरुद्दीन कौन है? कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को संदेश देना चाहते थे हमारे लिए बदरुद्दीन कोई मायने नहीं रखता. वह हमारे लिए एक बोझ है. लेकिन आज देखिए कि जितने कद्दावर नेता हैं, वही कहते हैं कि बदरुद्दीन ही सबकुछ हैं. सवाल है कि क्या राहुल इस तरह की राजनीति में विश्वास करते हैं? क्या इतने असहाय हो चुके हैं कि वह पोलराइजेशन का सहारा लेना चाहते हैं?


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सवाल-5: घुसपैठ बड़ा मुद्दा रहा है. 5 साल में आपको लगता है कि असम की जनता को आप कह सकते हैं कि हमने घुसपैठ रोका है? NRC लागू कर दिया?
जवाब: जहां तक NRC का सवाल है, गृह मंत्री ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि कोई भी कानून समाज में सद्भाव और बेहतर वातावरण बनाने के लिए होता है. लेकिन कांग्रेस ने इसे लेकर भ्रम फैलाया. अब लोगों को समझ में आ गया है. इसका विरोध करने का कोई आधार नहीं है. यह कोई मुद्दा ही नहीं है.


पश्चिम बंगाल विधान सभा चुनाव


सवाल-1: पश्चिम बंगाल में चुनाव हो रहा है. आप का नारा है- '2 मई को दीदी गई'. लेकिन ममता बनर्जी कह रही हैं कि बीजेपी सपना देख रही है.
जवाब: चुनाव के मैदान में झूठ बोलने का हक सभी को है. लेकिन जब नतीजे आएंगे, तब उनको समझ में आ जाएगा कि कौन रहा और कौन चला गया.


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सवाल-2: ममता बनर्जी महाभारत के पात्रों का नाम ले रही हैं. दुर्योधन, दुशासन और संकेतों में बीजेपी की तरफ इशारा है.
जवाब: वे समझती होंगी कि बीजेपी के नेताओं के ऊपर या बीजेपी के ऊपर कुछ लांछन लगाकर बंगाल की सत्ता बचा लेंगी. लेकिन लोकतांत्रिक मूल्यों का यह अनादर करने जैसा है. प्रधानमंत्री जिस बहुमत से चुनकर आए हैं, यह स्वतंत्र भारत के इतिहास में अपने आप एक उदाहरण है. यह बेमिसाल है. एक लोकतांत्रिक तरीके से चुने हुए प्रतिनिधि के प्रति ऐसी बात कहना तो देश के लोगों के ऊपर अंगुली उठाने जैसा है.


सवाल-3: 2014 से नारा था 'कांग्रेस मुक्त भारत'. आपको लग रहा है कि इस चुनाव में उत्तर पूर्व के साथ, पूर्व में भी कांग्रेस मुक्त या विपक्ष मुक्त हो जाएगा?
जवाब: मुझे लगता है कि लोगों ने मन बना लिया है. लोगों को लगता है कि आज भारत आजादी के 75 साल में जो प्रवेश कर रहा है यह महत्वपूर्ण समय है. ऐसी परिस्थितियों में प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत ने पूरे विश्व में नई ऊंचाइयों को पाया है. भारत की हर दिशा में लोगों ने मन लिया है कि इस दौर को हर दिशा में जारी रखना है.


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