सशस्त्र बल विशेष शक्तियां अधिनियम (अफस्पा) के तहत सेना पर आरोप तय करने अथवा मुकदमा चलाने के लिए केंद्र की मंजूरी जरूरी होती है.
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नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर की पुलिस ने एक मामले में सेना के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए केंद्र से इजाजत मांगी है. अगस्त 2016 में सेना की हिरासत में 30 वर्षीय एक लेक्चरर की मौत हो गई थी, जिसके लिए 23 जवानों को जिम्मेदार ठहराया गया था. आरोप है कि इन्होंने कथित तौर पर लेक्चरर को बुरी तरह से पीटा था. जम्मू-कश्मीर की पुलिस ने संबंधित केस में अपनी जांच पूरी कर ली है और कानूनी औपचारिकताओं के लिए उसे आगे भेज दिया है. सशस्त्र बल विशेष शक्तियां अधिनियम (अफस्पा) के तहत सेना पर आरोप तय करने अथवा मुकदमा चलाने के लिए केंद्र की मंजूरी जरूरी होती है.
मेजर के खिलाफ प्राथमिकी रद्द करने की याचिका पर सुनवाई 12 मार्च को
वहीं दूसरी ओर सर्वोच्च न्यायालय मेजर आदित्य कुमार के पिता द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करने के लिए शुक्रवार (9 मार्च) को राजी हो गया. जम्मू एवं कश्मीर पुलिस ने गोलीबारी की एक घटना में नागरिकों की जान लेने के आरोप में मेजर के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है, जिसे खारिज कराने के लिए उनके पिता ने अदालत का दरवाजा खटखटाया है. याचिकाकर्ता की वकील ऐश्वर्य भाटी द्वारा मामले की अविलंब सुनवाई की मांग के बाद मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने 12 फरवरी को इस मामले की सुनवाई करने का फैसला किया.
10 गढ़वाल राइफल्स के मेजर कुमार और अन्य सैनिकों पर खुलेआम गोलीबारी करते हुए तीन नागरिकों को उस समय गंभीर रूप से घायल कर देने का आरोप है, जब 27 जनवरी को शोपियां जिले में गनोवपोरा गांव के पास भीड़ ने सेना के काफिले पर पत्थरबाजी करते हुए हमला किया था.
(इनपुट एजेंसी से भी)