मुख्य प्रोक्टर ने अफजल विवाद से काफी पहले इस्तीफा दे दिया था : JNU
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मुख्य प्रोक्टर ने अफजल विवाद से काफी पहले इस्तीफा दे दिया था : JNU

अफजल गुरू विवाद को लेकर जेएनयू के मुख्य प्रोक्टर के इस्तीफा देने की कयासबाजी के बीच जेएनयू ने शनिवार को कहा कि विवाद शुरू होने से काफी पहले उन्होंने इस्तीफा दे दिया था।

नई दिल्ली : अफजल गुरू विवाद को लेकर जेएनयू के मुख्य प्रोक्टर के इस्तीफा देने की कयासबाजी के बीच जेएनयू ने शनिवार को कहा कि विवाद शुरू होने से काफी पहले उन्होंने इस्तीफा दे दिया था।

शिक्षकों और छात्रों के एक धड़े ने दावा किया कि पूर्व मुख्य प्रोक्टर कृष्ण कुमार ने 29 फरवरी को कार्यालय छोड़ दिया था, पद से इस्तीफा दे दिया था क्योंकि प्रशासन उन पर अफजल गुरू को फांसी पर लटकाने के खिलाफ आयोजित कार्यक्रम मामले की जांच समिति को लेकर दबाव बना रहा था।

विश्वविद्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘कृष्ण कुमार ने व्यक्तिगत कारणों का हवाला देते हुए जनवरी में पद से इस्तीफा दे दिया था। नवनिर्वाचित कुलपति ने उनसे फरवरी के अंत तक पद पर बने रहने को कहा और इस बीच पद के लिए नियुक्ति को अंतिम रूप दिया गया।’ उन्होंने कहा, ‘उनके इस्तीफे का वर्तमान विवाद से कोई लेना-देना नहीं है क्योंकि वह कार्यक्रम नौ फरवरी को हुआ था जबकि उन्होंने उससे काफी पहले इस्तीफा दे दिया था। दोनों घटनाओं को जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए।’ 

पर्यावरण विज्ञान स्कूल के ए पी डिमरी ने एक मार्च को मुख्य प्रोक्टर का पदभार संभाला। इस्तीफे के बारे में कुमार को किए गए कई फोन और एसएमएस का जवाब नहीं मिला।

संसद पर हमले के दोषी अफजल गुरू को फांसी पर लटकाने के खिलाफ जेएनयू में आयोजित कार्यक्रम को लेकर विवाद चल रहा है जिस दौरान कथित तौर पर ‘देश विरोधी’ नारे लगाए गए थे। कुमार भी अनुशासन समिति के सदस्य थे जिसका गठन विश्वविद्यालय ने नौ फरवरी की घटना की जांच के लिए किया था। एक दिन बाद पैनल का विस्तार करते हुए तीन सदस्यीय समिति का गठन हुआ था।

बहरहाल शिक्षकों और छात्रों के दबाव में विश्वविद्यालय ने समिति में दो और सदस्यों को जोड़ा था। प्रारंभिक रिपोर्ट के आधार पर समिति, विश्वविद्यालय ने आठ छात्रों को शैक्षणिक गतिविधियों से प्रतिबंधित कर दिया और जांच की प्रक्रिया पूरी होने तक उन्हें छात्रावासों में रहने की अनुमति दे दी।

बहरहाल छात्रों ने जांच समिति के समक्ष यह कहते हुए गवाही देने से इंकार कर दिया था कि फिर से जांच शुरू की जाए ताकि निष्पक्ष प्रक्रिया सुनिश्चित हो सके।

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