JNU छात्रों ने जांच पैनल की रिपोर्ट नहीं स्वीकारने का फैसला किया
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JNU छात्रों ने जांच पैनल की रिपोर्ट नहीं स्वीकारने का फैसला किया

कैंपस में विवादास्पद कार्यक्रम में कथित भूमिका के लिए कारण बताओ नोटिस का सामना कर रहे जेएनयू छात्रों ने फैसला किया है कि विश्वविद्यालय के जांच पैनल की रिपोर्ट वे स्वीकार नहीं करेंगे और इसी के हिसाब से अपना जवाब देंगे। यहां देर रात तक चली जेएनयू छात्रों की परिषद बैठक में इस संबंध में फैसला किया गया।परिषद के एक सदस्य ने कहा, ‘जांच रिपोर्ट अनुचित जांच प्रक्रिया पर आधारित है। हम इसके तथ्यों को स्वीकार नहीं करते। इसी के अनुसार कारण बताओ नोटिस का जवाब भेजा जाएगा।’

JNU छात्रों ने जांच पैनल की रिपोर्ट नहीं स्वीकारने का फैसला किया

नई दिल्ली: कैंपस में विवादास्पद कार्यक्रम में कथित भूमिका के लिए कारण बताओ नोटिस का सामना कर रहे जेएनयू छात्रों ने फैसला किया है कि विश्वविद्यालय के जांच पैनल की रिपोर्ट वे स्वीकार नहीं करेंगे और इसी के हिसाब से अपना जवाब देंगे। यहां देर रात तक चली जेएनयू छात्रों की परिषद बैठक में इस संबंध में फैसला किया गया।परिषद के एक सदस्य ने कहा, ‘जांच रिपोर्ट अनुचित जांच प्रक्रिया पर आधारित है। हम इसके तथ्यों को स्वीकार नहीं करते। इसी के अनुसार कारण बताओ नोटिस का जवाब भेजा जाएगा।’

 

गौर हो कि जेएनयू विश्वविद्यालय की एक उच्च स्तरीय जांच समिति ने कहा है कि विश्वविद्यालय के विवादास्पद कार्यक्रम में ‘भारत को रगड़ा दो रगड़ा’ और ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ समेत भड़काउ नारे बाहरी लोगों के एक समूह ने लगाए थे और उन्होंने कपड़े (स्कार्फ) से अपने सिर और चेहरे ढके हुए थे। हालांकि रिपोर्ट में कहा गया है कि नौ फरवरी को हुए कार्यक्रम की वीडियो फुटेज में कोई भी ‘भारत की बर्बादी तक जंग रहेगी’ के नारे लगाता नहीं दिख रहा है लेकिन इसमें दावा किया गया है कि प्रत्यक्षदर्शियों ने अपनी गवाही में ऐसे नारे लगाए जाने की पुष्टि की है। रिपोर्ट में कार्यक्रम में ‘भारत के टुकड़े टुकड़े कर दो’ का विवादास्पद नारा लगाए जाने का कोई जिक्र नहीं है।

विश्वविद्यालय के एक प्रोफेसर राकेश भटनागर की अध्यक्षता वाले पांच सदस्यीय पैनल द्वारा तैयार रिपोर्ट में कहा गया है कि यह ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ है कि छात्रों ने बाहरी लोगों को उपस्थित रहने और भड़काउ नारे लगाने की अनुमति दी। रिपोर्ट में कहा गया है कि अनुमति रद्द किए जाने के बावजूद कार्यक्रम आयोजित करना ‘जानबूझकर अवज्ञा करने’ के बराबर है।

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