CAA का विरोध करके ममता बनर्जी सिर्फ वोट बैंक की राजनीति कर रही हैं: जेपी नड्डा
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CAA का विरोध करके ममता बनर्जी सिर्फ वोट बैंक की राजनीति कर रही हैं: जेपी नड्डा

BJP के कार्यकारी अध्यक्ष ने कहा कि ममता दीदी को समझना चाहिए कि जनता ने वोट बैंक की राजनीति को खारिज कर दिया है.

CAA का विरोध करके ममता बनर्जी सिर्फ वोट बैंक की राजनीति कर रही हैं: जेपी नड्डा

कोलकाता: भारतीय जनता पार्टी (BJP) के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा (JP Nadda) ने नागरिकता संशोधन कानून (Citizenship Amendment Act) के समर्थन में कोलकाता में आयोजित एक रैली में भाग लिया. इस मौके पर एक सभा को संबोधित करते हुए कहा कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सिर्फ एक्ट का विरोध करके वोट बैंक की राजनीति कर रही हैं. उन्हें कानून के लिए भारी समर्थन देखना चाहिए और समझना चाहिए कि जनता ने वोट बैंक की राजनीति को खारिज कर दिया है.

उन्होंने अपने भाषण में कहा कि नागरिकता संशोधन अधिनियम जिसके बारे में ममता दीदी और इनके सारे नेताओं ने देश में भ्रम फैलाने और प्रदेश को गुमराह करने की कोशिश की है. ये अधिनियम नागरिकता देता है, किसी की नागरिकता लेता नहीं है.

रैली में उमड़ी भारी भीड़ को देखकर नड्डा ने कहा, ''मैं बंगाल कई बार आया हूं और बंगाल के हमने कई नजारे और कई दृश्य देखे हैं, लेकिन आज का जो मैंने देखा है, ये अभूतपूर्व है. ये दृश्य बंगाल में बदलाव के संकेत दे रहा है.''

बीजेपी नेता ने कहा, ''ममता दीदी को बदलाव का संदेश मिल गया है. बंगाल मोदी जी के साथ खड़ा है. बंगाल के लोग सिटीजनशिप अमेंडमेंट बिल का साथ दे रहे हैं. आखिर साथ क्यों नहीं देगा? यहां के लोग देशभक्त हैं.''

उन्होंने कहा कि कुछ ऐसे शासन आये जिन्होंने भारत की मिट्टी को पहचाना नहीं. कांग्रेस ने एक से एक गलतियां की हैं. देश विभाजन धर्म के आधार पर हुआ. 1951 में, पाकिस्तान में गैर-मुस्लिमों की आबादी 23% थी. यह आज 3% है. यह 20% लोग कहां गए? क्या वे गायब हो गए? क्या वे जबरन धर्म परिवर्तन कर रहे थे?

सभा में नड्डा ने कहा कि जवाहरलाल नेहरू और लियाकत अली खान ने दोनों देशों में अल्पसंख्यकों के अधिकारों को बचाने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. अफसोस की बात है कि पाकिस्तान ने अपना वादा नहीं निभाया था.

बीजेपी के कार्यकारी अध्यक्ष ने कहा, भारत ने एक धर्मनिरपेक्ष देश बनने का फैसला किया और इसे हमारे संविधान में शामिल किया गया. हमारे सिख, मुस्लिम, पारसी और अन्य अल्पसंख्यक समान रूप से भारत में संरक्षित थे. भारत में हमारे मुस्लिम भाई फले-फूले और आगे बढ़े. कई चीफ जस्टिस बने, राष्ट्रपति बने, उपराष्ट्रपति बने और बड़े-बड़े पदों पर बैठे. हमने उनको बराबर के दर्जे से देखा, उनको बराबरी का सम्मान दिया, उनके आगे बढ़ने में हमने पूरी मदद दी:

 

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