JPC on One Nation One Election: वक्फ कानून पारित कराने के बाद मोदी सरकार अपने अगले एजेंडे की ओर तेजी से बढ़ गई है. वन नेशन वन इलेक्शन पर सरकार की कोशिश है कि इस पर आमराय बनाने के साथ तेजी से आगे बढ़ा जाए.
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वक्फ कानून की परीक्षा पास करते ही मोदी सरकार अब एक देश-एक चुनाव के साथ अगले एजेंडे में जुट गई है. मंगलवार को इस मुद्दे पर संयुक्त संसदीय समिति की सात घंटे की मैराथन बैठक होगी, जिसमें न्यायविद और कानूनी विशेषज्ञ शामिल होंगे. इस मुद्दे पर एक वेबसाइट भी लांच करने की तैयारी है, ताकि देश भर में व्यापक चर्चा कर आम राय तैयार की जा सके.
जेपीसी का मैराथन सत्र
जानकारी के मुताबिक, जेपीसी की सात घंटे की मैराथन बैठक में चार सत्र होंगे. इसमें एक देश-एक चुनाव को लेकर उसकी कानूनी पेचीदगियों पर गहन विचार-विमर्श होगा. संयुक्त संसदीय समिति के सदस्यों के मौजूदगी में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस हेमंत गुप्ता और जम्मू-कश्मीर के हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश एसएन झा के साथ चर्चा का एक-एक सत्र होगा. विधि आयोग के चेयरमैन जस्टिस बीएस चौहान तीसरे सत्र में भागीदारी करेंगे. आखिरी सत्र में राज्यसभा सांसद और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी संग चर्चा होगी.
वेबसाइट लांच करने की तैयारी
संयुक्त संसदीय समिति के अध्यक्ष पीपी चौधरी का कहना है कि वन नेशन-वन इलेक्शन पर वेबसाइट लांच की जाएगी. इसको लेकर समाचार माध्यमों में सभी प्रमुख भाषाओं में विज्ञापन भी प्रकाशित कराया जाएगा ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग अपनी राय दे सकें. वेबसाइट के जरिये लोग ऑनलाइन अपनी राय दे सकेंगे.
जेपीसी की पिछली बैठक 5 घंटे चली थी
संयुक्त संसदीय समिति की इससे पहले बैठक 25 मार्च को हुई थी और करीब एक माह बाद ये बड़ी बैठक हो रही है.जेपीसी को लेकर 25 मार्च को हुई बैठक करीब 5 घंटे चली थी. इसमें दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व जज जस्टिस डीएन पटेल और अटार्नी जनरल आर वेंकटरमणी के साथ संवाद सत्र आयोजित हुआ था.
हर राज्य का दौरा भी करेगी समिति
जेपीसी अध्यक्ष पीपी चौधरी ने संकेत दिया है कि समिति सभी राज्यों में जाकर भी संबंधित पक्षों से विचार-विमर्श तेज करेगी. समिति का यह पहला दौरा महाराष्ट्र का होगा. फिर मई में उत्तराखंड, जून में जम्मू-कश्मीर और पंजाब-हरियाणा और चंडीगढ़ जाने की तैयारी है.
एक देश-एक चुनाव सरकार का बड़ा एजेंडा
वन नेशन-वन इलेक्शन मोदी सरकार की अहम प्राथमिकताओं में है. सरकार का कहना है कि देश में किसी न किसी राज्य में पांच-छह महीनों में चुनाव होते हैं. चुनाव आचार संहिता की वजह से विकास कार्य प्रभावित होते हैं. चुनावी मशीनरी और सुरक्षाबलों की आवाजाही में काफी खर्च भी होता है. राजनीतिक दल भी हर वक्त चुनावी गतिविधियों में व्यस्त रहते हैं. अगर एक साथ आम चुनाव और सभी राज्यों के चुनाव कराए जाते हैं तो ये दिक्कतें दूर होंगी. आजादी के बाद लंबे समय तक इसी तरीके से चुनाव होने का तर्क भी दिया जाता रहा है. मोदी सरकार नगर निकायों और पंचायतों का चुनाव भी आम चुनाव के सौ दिनों के भीतर कराने की कोशिश में है.
कोविंद की अध्यक्षता में समिति बनी थी
विधि आयोग ने 2018 में एक साल के अंदर लोकसभा, सभी राज्यों के विधानसभा चुनाव और स्थानीय चुनाव कराने की मसौदा रिपोर्ट तैयार की थी. इसके लिए जनप्रतिनिधित्व कानून 1951 में बदलाव की जरूरत पर भी बल दिया था. सरकार ने दो सितंबर 2023 को एक राष्ट्र एक चुनाव के लिए उच्चस्तरीय समिति पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में गठित की थी. समिति ने 18 हजार पन्नों की अपनी रिपोर्ट 14 मार्च 2024 को पेश की थी.