देश को मिला पहला बौद्ध और दूसरा दलित CJI, कौन हैं जस्टिस बीआर गवई?
Advertisement
trendingNow12757251

देश को मिला पहला बौद्ध और दूसरा दलित CJI, कौन हैं जस्टिस बीआर गवई?

Justice BR Gavai: जस्टिस बीआर गवई को भारत के 52वें CJI के तौर पर नियुक्त किया गया है. उन्होंने आज 14 मई 2025 को अपना पद संभाला.  राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने जस्टिस बीआर गवई को शपथ दिलाई. 

 

देश को मिला पहला बौद्ध और दूसरा दलित CJI, कौन हैं जस्टिस बीआर गवई?

Justice BR Gavai: जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई ने आज देश के 52 वें चीफ जस्टिस के तौर पर शपथ ली. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में आयोजित कार्यक्रम में उन्हें पद की शपथ दिलाई. इस कार्यक्रम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, कई केंद्रीय मंत्री ,सुप्रीम कोर्ट के कई जज और जस्टिस गवई की मां, पत्नी और शामिल रही. जस्टिस गवई देश के पहले बौद्ध चीफ जस्टिस है. वो जस्टिस के जी बालकृष्णन के बाद अनुसूचित जाति से आने वाले देश के दूसरे चीफ जस्टिस है. उनका कार्यकाल करीब 6 महीने तक का होगा. वो 23 नवंबर 2025 तक इस पद पर रहेंगे. 

जस्टिस गवई की परिवारिक पृष्ठभूमि
जस्टिस गवई का जन्म 24 नवंबर 1960 को महाराष्ट्र के अमरावती में हुआ था. जस्टिस गवई के पिता रामाकृष्ण सूर्यभान गवई महाराष्ट्र के दिग्गज रानेता थे.वो एमएलसी, राज्यसभा सदस्य और तीन राज्यों के गवर्नर रहे थे. आंबेडकरवादी राजनीति करने वाले उनके पिता ने रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (गवई) की स्थापना की थी.

ये भी पढ़ें- पाकिस्तान पीएम शहबाज शरीफ के एडवाइजर घर पर बम धमाका, तेज विस्फोट में उड़ा मेन गेट

सुप्रीम कोर्ट में 6 साल जज रहे
जस्टिस गवई ने कानून की पढ़ाई अमरावती विश्वविद्यालय से की. लॉ की डिग्री लेने के बाद 25 साल की उम्र में उन्होंने वकालत शुरू की. जस्टिस बी आर गवई को  2003 में बांबे हाई कोर्ट का एडिशनल जज और 2005 में स्थायी जज बनाया गया. 24 मई, 2019 को सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में पदोन्नत होने से पहले उन्होंने 16 वर्षों तक बॉम्बे हाईकोर्ट के जज में के रूप में कार्य किया. 

जस्टिस गवई के महत्वपूर्ण फैसले
सुप्रीम कोर्ट के पिछले 6 साल के कार्यकाल में जस्टिस गवई ने कई महत्वपूर्ण फैसले दिये. हाल के दिनों में उनका सबसे चर्चित फैसला रहा- बुलडोजर जस्टिस पर लगाम लगाने का. उन्होंने देश भर में बुलडोजर कार्रवाई को लेकर दिशानिर्देश तय किए. इसमे उन्होंने साफ किया कि किसी की संपत्ति पर ऐसी कार्रवाई से पहले उसे नोटिस देना होगा. कोर्ट ने फैसले के साफ किया था कि किसी शख्श की संपत्ति पर बुलडोजर इसलिए नहीं चलाया जा सकता क्योंकि वो किसी केस में आरोपी है. 

ये भी पढ़ें- पाकिस्तान के साथी तुर्किये-चीन पर भारत की डिजिटल स्ट्राइक, सरकारी टीवी चैनलों के अकाउंट पर लगाया बैन

जस्टिस गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने  ट्रायल में देरी के आधार पर आम आदमी पार्टी के नेता मनीष सिसोदिया ,भारत राष्ट्र समिति के नेता के कविता को ज़मानत दी. जस्टिस गवई उस संविधान पीठ के सदस्य थे, जिसने तय किया था कि अनुसूचित  जातियो में भी कुछ जातियों को ज्यादा आरक्षण देने केलिए उप वर्गीकरण किया जा सकता है. इस फैसले में अपनी अलग राय में जस्टिस गवई ने कहा था कि SC/ST समुदाय में भी क्रीमी लेयर की पहचान होनी चाहिए ताकि उन्हें आरक्षण के दायरे से बाहर किया जा सके. अपने फैसले में जस्टिस गवई ने सवाल उठाया था कि क्या SC/ST समुदाय से ताल्लुक रखने वाले  IPS/IPS अफसर के बच्चे की तुलना उसी समुदाय के  बच्चे से की जा सकती है, जो ग्राम पंचायत के स्कूल में पढ़ रहा है. इसके अलावा जस्टिस गवई उन संविधान पीठ के सदस्य रहे हैं, जिसमे आर्टिकल 370 को हटाने के सरकार के फैसले को बरकरार रखने, इलेक्टोरल बांड स्कीम को रद्द करने जैसे फैसले लिए. 2016 में हुई नोटबंदी को भी सवैंधानिक दृष्टि से सही घोषित करने वाली बेंच के भी वो सदस्य रहे. मोदी सरनेम मानहानि मामले में  राहुल गांधी को उन्होंने बड़ी राहत देते हुए निचली अदालत की ओर से दोषसिद्धि पर रोक लगाई. 

Breaking News in Hindi और Latest News in Hindi सबसे पहले मिलेगी आपको सिर्फ Zee News Hindi पर. Hindi News और India News in Hindi के लिए जुड़े रहें हमारे साथ.

TAGS

Trending news

;