नई दिल्ली: न्यायमूर्ति जे चेलमेश्वर ने शनिवार (7 अप्रैल) को उम्मीद जताई कि प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) दीपक मिश्रा के खिलाफ 12 जनवरी को किया गया विवादास्पद संवाददाता सम्मेलन न्यायमूर्ति रंजन गोगोई के अगले सीजेआई के रूप में पदोन्नत होने के रास्ते में बाधक नहीं बनेगा. लोकतंत्र में न्यायपालिका की भूमिका विषय पर आयोजित एक कार्यक्रम में जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्हें आशंका है कि न्यायमूर्ति गोगोई (जो नवंबर 2017 में सीजेआई को लिखे पत्र का हिस्सा थे) को अगले सीजेआई के रूप में पदोन्नत नहीं किया जाएगा? न्यायमूर्ति चेलमेश्वर ने कहा कि उन्हें आशा है कि ऐसा नहीं होगा और यदि ऐसा होता है तो यह साबित हो जाएगा कि 12 जनवरी के संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने जो कहा था वह सही था.


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हालांकि उन्होंने कहा, ‘‘मैं ज्योतिषी नहीं हूं ... .’’ मैं चिंतित नहीं हूं. मुझे उम्मीद है कि ऐसा नहीं होगा (न्यायमूर्ति गोगोई को सीजेआई के रूप में पदोन्नत किये जाने से इनकार किया जाना) यदि ऐसा होता है तो वह सब साबित हो जायेगा जो उन्होंने संवाददाता सम्मेलन में कहा था वह सही था.’’ न्यायमूर्ति चेलमेश्वर ने न्यायमूर्ति रंजन गोगोई , न्यायमूर्ति मदन बी . लोकुर और न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ के साथ 12 जनवरी को एक संवाददाता सम्मेलन किया था.


'न्यायपालिका में हर सवाल का जवाब महाभियोग नहीं हो सकता'


इसके साथ ही न्यायमूर्ति जे. चेलमेश्वर ने कहा कि महाभियोग हर सवाल या समस्या का जवाब नहीं हो सकता और प्रणाली को दुरुस्त किए जाने की जरूरत है. न्यायमूर्ति चेलमेश्वर ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि वह अपनी सेवानिवृत्ति के बाद सरकार से कोई नियुक्ति नहीं मांगेंगें. उन्होंने कहा, ‘‘मैं यह रिकॉर्ड में कह रहा हूं कि 22 जून को अपनी सेवानिवृत्ति के बाद मैं सरकार से कोई नियुक्ति नहीं मांगूगा.’’ उच्चतम न्यायालय में प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) के बाद वह सबसे वरिष्ठ न्यायधीश हैं.


न्यायमूर्ति चेलमेश्वर ने कहा कि 12 जनवरी को उन्होंने न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एमबी लोकुर और न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ के साथ जो संवाददाता सम्मेलन किया था, वह रोष और सरोकार का नतीजा था क्योंकि शीर्ष न्यायालय के कामकाज के बारे में उनके द्वारा उठाए गए मुद्दों पर सीजेआई के साथ उनकी चर्चा का वांछित नतीजा नहीं निकल पाया था. लोकतंत्र में न्यायपालिका की भूमिका विषय पर बात करते हुए न्यायमूर्ति चेलमेश्वर ने पीठों के गठन और विभिन्न न्यायाधीशों को मामलों के आवंटन में सीजेआई की प्राथमिकता पर पूछे गए सवालों का भी जवाब दिया.


उन्होंने कहा, ‘‘सीजेआई ‘मास्टर ऑफ रोस्टर’ हैं. बेशक, सीजेआई के पास यह शक्ति है. सीजेआई के पास पीठें गठित करने की शक्ति है लेकिन संवैधानिक प्रणाली के तहत हर अधिकार के साथ कुछ खास जिम्मेदारियां हैं.’’ यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें लगता है कि पीठों का गठन और मामलों का आवंटन मनमाने तरीके से नहीं किया जाना चाहिए, उन्होंने इसका सकारात्मक जवाब दिया.


न्यायाधीश से बात करते हुए प्रख्यात पत्रकार करण थापर ने पूछा कि क्या सीजेआई के खिलाफ महाभियोग के लिए पर्याप्त आधार है? इसके जवाब में न्यायमूर्ति चेलमेश्वर ने कहा, ‘‘यह सवाल क्यों पूछा गया?’’ दूसरे दिन कोई मुझ पर महाभियोग के बारे में पूछेगा. मैं नहीं जानता कि यह देश महाभियोग के बारे में इतना अधिक चिंतित क्यों है. हमने (न्यायमूर्ति रंजन गोगोई के साथ) न्यायमूर्ति सीएस कर्णन के फैसले में लिखा कि इसके अलावा प्रणाली को सुव्यवस्थित करने के लिए अवश्य ही तंत्र होना चाहिए.’’ उन्होंने कहा, ‘‘महाभियोग हर सवाल या हर समस्या का हल नहीं हो सकता.’’ सीजेआई के खिलाफ विपक्षी पार्टियों द्वारा महाभियोग की कार्यवाही की पहल किए जाने के मद्देनजर उनका यह जवाब आया है. गौरतलब है कि देश में किसी भी सीजेआई ने महाभियोग का सामना नहीं किया है.


(इनपुट एजेंसी से भी)