सिंधिया पर कांग्रेसी नेताओं का अटैक, अब यूं बता रहे हैं उनका `काला` इतिहास
अपने इस्तीफे के जरिए जिस तरह कांग्रेस आला कमान को ज्योतिरादित्य ने एक करारा झटका दिया उसके बाद से अब वह खाटी कांग्रेसी नेताओं के निशाने पर आ गए हैं.
नई दिल्ली: आखिरकार मंगलवार के दिन वो हुआ जिसका अंदाजा सुबह से मीडिया के जरिए देश के आम लोग लगा रहे थे. मध्य प्रदेश में कांग्रेस की पहचान रहे ज्योतिरादित्य (Jyotiraditya Scindia) ने पार्टी को अपना इस्तीफा सौंपकर अपनी अलग राह चुनने का संदेश दे दिया.
अपने इस्तीफे के जरिए जिस तरह कांग्रेस आला कमान को ज्योतिरादित्य ने एक करारा झटका दिया उसके बाद से अब वह खाटी कांग्रेसी नेताओं के निशाने पर आ गए हैं. उनके इस्तीफे के बाद से ट्विटर पर जहां कई कांग्रेसी उन्हें 'गद्दार' बता रहे हैं तो कई झांसी की रानी की लड़ाई को भी इससे जोड़कर उनका अपमान करने से नहीं चूक रहे.
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मध्य प्रदेश के दिग्गज कांग्रेस नेता जीतू पटवारी ने अपनी ट्विटर हैंडल पर लिखा, ''एक इतिहास बना था 1857 में झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की मौत से, फिर एक इतिहास बना था 1967 में संविद सरकार से और आज फिर एक इतिहास बन रहा है..। तीनों में यह कहा गया है कि हाँ हम है....''
कांग्रेस के नेशनल कोआर्डिनेटर डिजिटल कम्यूनिकेशन गौरव पांधी ने अपने ट्विटर हैंडल से लिखा, ''गद्दार , गद्दार ही रहेगा और कोई भी तर्क विश्वासघात को सही नहीं ठहरा सकता है. समय!''
एक अन्य कांग्रेसी नेता ने लिखा, ''माफ करें लेकिन इस बार गलती हमारी थी. हम एक सामान्य सी समस्या हल नहीं कर सके. हम 3 नेताओं के अहंकार को रोक नहीं कर सके. हमने समस्या का समाधान करने की कोशिश भी नहीं की. कोई ऐलान नहीं किया गया. कितनी देर तक हम सिर्फ सोचते रहेंगे कि समय के साथ समस्या खत्म हो जाएगी. कर्नाटक और एमपी, हम हार गए, बीजेपी नहीं जीती.'
उधर, सिंधिया के इस फैसले पर कांग्रेस ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. लोकसभा में नेता विपक्ष और कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा है कि जिस पार्टी ने इतना दिया है, उससे बेईमानी कर रहे हैं. उन्होंने कहा है कि इस फैसले से पार्टी का नुकसान हुआ है और लगता है मध्य प्रदेश में हमारी सरकार नहीं बच पाएगी. अधीर रंजन ने सिंधिया के इस फैसले को पार्टी के साथ गद्दारी करार दिया.
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