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नई दिल्ली: गोरखपुर के बीआरडी अस्पताल (BRD Medical College) में दो दिन में 33 बच्चों की मौत से हर कोई दुखी है. मीडिया रिपोटर्स में मासूमों की मौत के पीछे अस्पताल में ऑक्सीजन खत्म होना बड़ा कारण बताया जा रहा है. जबकि उत्तर प्रदेश सरकार और प्रशासन की तरफ से इससे इनकार किया जा रहा है. बच्चों की मौत से दुखी नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने भी इस हादसे के बाद ट्विटर पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा है कि बिना ऑक्सीजन के 30 बच्चों की मौत हादसा नहीं, हत्या है. उन्होंने सवाल उठाया कि क्या हमारे बच्चों के लिए आजादी के 70 सालों का यही मतलब है.
कैलाश सत्यार्थी ने एक और ट्वीट के जरिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपील करते हुए लिखा है कि आपका एक निर्णायक हस्तक्षेप दशकों से चली रही भ्रष्ट स्वास्थ्य व्यवस्था को रास्ते पर ला सकता है ताकि ऐसी घटनाओं को भविष्य में रोका जा सके. गौरतलब है कि गोरखपुर के BRD Medical College में 11 वर्षीय बच्चे की मौत के बाद मरने वाले बच्चों की संख्या पिछले पांच दिनों में 63 हो गई है.
30 kids died in hospital without oxygen. This is not a tragedy. It's a massacre. Is this what 70 years of freedom means for our children?
— Kailash Satyarthi (@k_satyarthi) August 11, 2017
Appeal to CM @myogiadityanath Ji. Your decisive intervention can correct decades of corrupt medical system of UP to prevent such incidents.
— Kailash Satyarthi (@k_satyarthi) August 11, 2017
जिलाधिकारी राजीव रौतेला ने शुक्रवार को 30 बच्चों की मौत होने की बात कही थी. रौतेला ने पिछले दो दिन में हुई मौतौं का ब्योरा देते हुए बताया था कि 'नियो नेटल वार्ड' में 17 बच्चों की मौत हुई जबकि 'एक्यूट इन्सेफेलाइटिस सिन्ड्रोम यानी एईएस' वार्ड में पांच तथा जनरल वार्ड में आठ बच्चों की मौत हुई है. दूसरी तरफ बच्चों की मौत पर सियासी संग्राम शुरू हो गया है.
पीडि़तों से मिलने के लिए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद, राज बब्बर, संजय सिंह और प्रमोद तिवारी गोरखपुर गए. कांग्रेस ने घटना के लिए राज्य सरकार पर हमला बोला और कहा कि इस दुखद घटना के लिए पूरी तरह से सरकार जिम्मेदार है. गुलाम नबी आजाद ने कहा कि यह राज्य सरकार की नाकामी का नतीजा है. मुख्यमंत्री को इसके लिए माफी मांगनी चाहिए. राज्य सरकार के स्वास्थ्य मंत्री को घटना की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा देना चाहिए.