मध्य प्रदेश में फ्लोर टेस्ट से पहले मुख्यमंत्री कमलनाथ इस्तीफा दे सकते हैं.
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भोपाल: मध्य प्रदेश में फ्लोर टेस्ट से पहले मुख्यमंत्री कमलनाथ इस्तीफा दे सकते हैं. दरअसल फ्लोर टेस्ट से पहले इन कयासों को उस वक्त बल मिला जब दिग्विजय सिंह शुक्रवार सुबह बेंगलुरु से भोपाल लौटे. वह बेंगलुरु में बागी विधायकों से मिलने गए थे, लेकिन उनकी मुलाकात नहीं हो पाई. वह भोपाल एयरपोर्ट से निकल रहे थे तो पत्रकारों ने उनसे कमलनाथ सरकार को लेकर सवाल पूछा. दिग्विजय ने उत्तर में कहा कि फ्लोर टेस्ट आज होने पर हमारे पास बहुमत नहीं है. इसके साथ ही कहा कि मुख्यमंत्री आज प्रेस कांफ्रेंस करने वाले हैं, तब तक इंतजार कीजिए. उसके बाद उनकी मुलाकात कमलनाथ से भी हुई. कमलनाथ दोपहर 12 बजे प्रेस कांफ्रेंस करेंगे.
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने कमलनाथ सरकार को मध्य प्रदेश विधानसभा में आज यानी 20 मार्च को फ्लोर टेस्ट कराने का आदेश दिया है. इसके बाद कांग्रेस और भाजपा ने अपने-अपने विधायकों को व्हिप जारी किया है. भाजपा विधायक दल के मुख्य सचेतक नरोत्तम मिश्रा ने भाजपा विधायकों को व्हिप जारी करते हुए शुक्रवार को कमलनाथ सरकार के खिलाफ मत देने के लिए कहा है.
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MP: विधानसभा में फ्लोर टेस्ट से पहले इस्तीफा दे सकते हैं कमलनाथ
हीं दूसरी ओर कांग्रेस विधायक दल के मुख्य सचेतक और प्रदेश के संसदीय कार्यमंत्री गोविंद सिंह ने अपने सभी विधायकों को 20 मार्च को सदन की कार्यवाही के दौरान अनिवार्य रूप से उपस्थित रहने और सरकार के पक्ष में मतदान करने के लिए कहा है. इस बीच कांग्रेस पार्टी के सभी 22 बागी विधायकों के इस्तीफे स्पीकर एनपी प्रजापति ने स्वीकार कर लिए हैं. 6 विधायकों के इस्तीफे पहले ही स्वीकारे जा चुके थे. स्पीकर ने गुरुवार देर रात अन्य 16 विधायकों के इस्तीफे भी स्वीकार कर लिए.
बहुमत का आंकड़ा
आपको बता दें कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में शामिल होने के बाद प्रदेश कांग्रेस के 22 विधायकों ने कांग्रेस से बागी होकर अपने त्यागपत्र दे दिए थे. इसके बाद मध्य प्रदेश में कमलनाथ की सरकार अल्पमत में आ गई थी. मप्र असेंबली में 230 विधायकों की कुल संख्या में 2 विधायकों की आकस्मिक मृत्यु हो चुकी है और इनकी सीटों पर उपचुनाव होने हैं.
इस तरह मध्य प्रदेश विधानसभा में अब 206 विधायक ही बचे हैं. यानी बहुतम का आकंड़ा 104 है. भाजपा के पास 107 विधायक हैं, यानी बहुमत के आंकड़े से 3 ज्यादा. कांग्रेस के पास अपने 92 विधायक हैं. अगर 4 निर्दलीय, सपा के 2 और बसपा का 1 विधायक कमलनाथ सरकार को अपना समर्थन दे भी दें तो संख्या 99 ही पहुंचेगी, यानी बहुमत से 5 कम. ऐसी स्थिति में कमलनाथ की सरकार गिरनी लगभग तय है.
असेंबली की स्थिति
मध्य प्रदेश विधानसभा में कुल विधायकों की संख्या है- 230
इनमें से 2 विधायकों के आकस्मिक निधन से संख्या है- 228
कांग्रेस के 22 विधायकों के इस्तीफे के बाद संख्या है- 206
इस तरह विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा बैठता है- 104
मौजूदा आंकड़े
भाजपा - 107 विधायक, बहुमत के आंकड़े से 3 ज्यादा.
कांग्रेस - 92 विधायक, 22 विधायकों के इस्तीफे के बाद.
सपा, बसपा, निर्दलीय- 07 विधायक (सपा- 2, बसपा-1, निर्दलीय- 4).
यानी अगर कांग्रेस+ भी मानें तो आंकड़ा पहुंचता है 99, बहुमत के आंकड़े से 5 कम.
बीते 2 मार्च को शुरू हुआ था सियासी ड्रामा
मध्य प्रदेश में बीते 2 मार्च से कमलनाथ सरकार पर संकट के बादल छाए थे. सबसे पहले कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने 2 मार्च को ट्वीट कर भाजपा पर हॉर्स ट्रेडिंग का आरोप लगाया था. इसके बाद उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर भाजपा नेताओं शिवराज सिंह चौहान, नरोत्तम मिश्रा और अरविंद भदौरिया पर कमलनाथ सरकार को गिराने की साजिश रचने का आरोप लगाया था. लेकिन असली खेल तब शुरू हुआ था, जब ज्योतिरादित्य सिंधिया ने 10 मार्च को कांग्रेस पार्टी से बगावत कर भाजपा में शामिल होने का फैसला किया. 11 मार्च को सिंधिया ने भाजपा का दामन थामा और उनके नक्शेकदम पर चलते हुए कांग्रेस में इस्तीफे का दौर शुरू हो गया.