कानपुर में 7 साल की बच्ची की गैंगरेप करने, उसकी हत्या करने और फिर उसका कलेजा निकालकर खाने के आरोप में गिरफ्तार 4 आरोपियों पर NSA लगा दिया गया है. ये सभी आरोपी इस वक्त जेल में बंद हैं.
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लखनऊ: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के कानपुर (Kanpur) शहर से एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है. यहां एक शादीशुदा कपल ने संतान प्राप्ति के लिए ना सिर्फ एक 7 साल की बच्ची का गैंगरेप किया, बल्कि तांत्रिक के झांसे में आकर उसकी हत्या तक कर दी, और फिर बच्ची का कलेजा निकालकर खा गए.
ये घटना पिछले साल नवंबर 2020 में कानपुर के घाटमपुर पुलिस क्षेत्र में दीपावली के दिन हुई थी. इस मामले में अब पुलिस ने बच्ची की हत्या करने वाले दंपति समेत चार आरोपियों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत कार्रवाई की है. पुलिस ने बताया कि नि:संतान दंपत्ति ने बच्चे पैदा करने के लिए इस भयानक अपराध को अंजाम दिया था. चारों ने दिवाली पर एक 'तांत्रिक' (गुप्त) अनुष्ठान के हिस्से के रूप में लड़की हत्या कर उसका जिगर और फेफड़ों को निकाला था.
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कानपुर नगर के जिलाधिकारी आलोक तिवारी ने कहा, 'हमने मामले के संबंध में परशुराम और उनकी पत्नी सुनैना समेत चार आरोपियों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लगाया है.' उन्होंने बताया कि एक युवक और उसके साथी ने अपने पड़ोसी की सात साल की एक बच्ची की हत्या कर दी थी, उसके जिगर और फेफड़े निकाले थे और उन्हें अपने चाचा और चाची को दीवाली पर एक 'तांत्रिक' (गुप्त) अनुष्ठान के हिस्से के रूप में खाने के लिए दिया था, ताकि नि:संतान दंपत्ति के बच्चे हो सकें.'
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इस प्रक्रण के बाद पुलिस ने चारों आरोपियों को गिरफ्तार किया था, क्योंकि बच्चे के फेफड़े और लीवर सहित कई महत्वपूर्ण अंग गायब थे. उसके परिवार के सदस्यों ने आरोप लगाया था कि हत्या एक गुप्त प्रथा का परिणाम हो सकता है. दो युवकों की गिरफ्तारी और पूछताछ के बाद, पुलिस ने शुरू में दावा किया कि लड़की को दो युवकों ने मार डाला था, जब उसने दुष्कर्म करने के उनके प्रयास का विरोध किया था. हालांकि, लगातार पूछताछ के दौरान, युवक अंकुल टूट गया और अपने नि:संतान चाचा परशुराम और चाची सुनैना के बहकावे में आने के बाद मानव बलि अनुष्ठान के तहत अपने दोस्त वीरन के साथ मिलकर लड़की की हत्या करने की बात कबूल कर ली.
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आरोपी अंकुल ने कबूल किया कि उसने नशे की हालत में अपने दोस्त की मदद से लड़की की हत्या की थी. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि उनके चाचा और चाची ने उन्हें 1,000 रुपये दिए और उन्हें अपने पड़ोसी की 7 साल की बेटी का अपहरण करने और उसकी बलि देने और दीपावली की रात उसके महत्वपूर्ण अंगों को लाने के लिए कहा क्योंकि उनका मानना था कि यह एक शुभ समय है. पुलिस ने कहा कि मानव बलि इसलिए दी गई, ताकि उनकी शादी के 21 साल बाद भी संतानहीनता की समस्या का समाधान हो सके. स्थानीय लोगों ने दावा किया कि परशुराम पिछले कुछ सालों से 'तांत्रिक' और ज्योतिषियों से संपर्क में था.
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