जितिन प्रसाद के कांग्रेस छोड़ने पर भड़के कपिल सिब्बल, बोले- `हम आया राम-गया राम से प्रसाद पॉलिटिक्स पर चले गए`
बता दें कि जितिन प्रसाद भी सिब्बल के साथ उन 23 नेताओं के समूह में शामिल थे जिसने पिछले साल अगस्त में सोनिया गांधी को पत्र लिखकर पार्टी में सक्रिय नेतृत्व और व्यापक संगठनात्मक बदलाव की मांग की थी.
नई दिल्ली: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल (Kapil Sibbal) ने पाला बदल बीजेपी में जाने वाले जितिन प्रसाद को जमकर फटकार लगाई. उन्होंने कहा कि जितिन ने व्यक्तिगत लाभ के लिए ‘प्रसाद की राजनीति’ की. उन्होंने कहा कि सत्ता के लिए लड़ाई विचारधाराओं के टकराव पर होनी चाहिए न कि व्यक्तिगत ‘प्रसाद’ पर.
जितिन प्रसादो को मिलेगा 'प्रसाद'?
कपिल सिब्बल ने कहा कि मैं जितिन प्रसाद ने जो किया उसके खिलाफ नहीं हूं क्योंकि कुछ वजह होनी चाहिए जिसे नहीं बताया गया है. लेकिन, बीजेपी को ज्वाइन करना मेरे समझ से परे है. उन्होंने कहा कि ये दर्शाता है कि हम आया राम गया राम से हम प्रसाद पॉलिटिक्स की तरफ जा रहे हैं, जहां प्रसाद मिले आप पार्टी ज्वाइन कर लो.
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नेतृत्व जरूर सुनेगा: कपिल सिब्बल
वरिष्ठ कांग्रेसी नेता ने कहा, 'मैं आश्वस्त हूं कि नेतृत्व जानता है कि आखिर समस्या क्या है और मुझे भरोसा है कि नेतृत्व सुनेगा क्योंकि सुने बिना यह सर्वाइव नहीं कर सकता है. बिना सुने हुए कॉर्पोरेट स्ट्रक्चर नहीं चल सकता है. अगर आप नहीं सुनेंगे तो आप बुरे दिनों में पड़े जाएंगे.'
कांग्रेस छोड़ने पर क्या बोले सिब्बल?
कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल होने के सवाल पर सिब्बल ने कहा कि वे सच्चे कांग्रेसी हैं और जीवन में कभी भी भारतीय जनता पार्टी को ज्वाइन करने के बारे में नहीं सोच सकते हैं. उन्होंने कहा कि मैं कभी भाजपा में शामिल होने के बारे में नहीं सोच सकता, यह सिर्फ मेरे मरने के बाद ही संभव है. सिब्बल ने कहा कि यह तभी संभव हो पाएगा जब कांग्रेस नेतृत्व हमसे कहेगा कि पार्टी छोड़ दो, उसके बाद मैं पार्टी छोड़ने के बारे में सोच सकता हूं. लेकिन बीजेपी ज्वाइन नहीं करूंगा.
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गौरतलब है कि जितिन प्रसाद भी सिब्बल के साथ उन 23 नेताओं के समूह में शामिल थे जिसने पिछले साल अगस्त में सोनिया गांधी को पत्र लिखकर पार्टी में सक्रिय नेतृत्व और व्यापक संगठनात्मक बदलाव की मांग की थी.
पूर्व केंद्रीय मंत्री सिब्बल ने कहा कि पत्र लिखने वाले नेताओं ने जो मुद्दे उठाए थे, अगर उन पर नेतृत्व की प्रतिक्रिया से अप्रसन्न होकर जितिन प्रसाद पार्टी से अलग होते तो यह उनका निजी मामला था, लेकिन वह भाजपा में क्यों गए? उन्होंने इस बात पर जोर दिया, ‘भला ‘प्रसाद की राजनीति’ के अलावा उनके इस कदम का क्या ठोस आधार हो सकता है. हम देश भर में ऐसा होता देख रहे हैं.’