असम में कार्बी आंलगोंग समझौता, केंद्रीय गृह मंत्री की मौजूदगी में 1000 कैडर्स ने डाले हथियार
कार्बी असम का एक प्रमुख जातीय समूह है, जो कई गुटों और टुकड़ों से घिरा हुआ है. कार्बी समूह का इतिहास 1980 के दशक के उत्तरार्ध से हत्याओं, जातीय हिंसा, अपहरण और कराधान से जुड़ा रहा है.
नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) की मौजूदगी में शनिवार को ऐतिहासिक कार्बी आंलगोंग समझौता हुआ है. शनिवार को दिल्ली में आयोजित त्रिपक्षीय कार्बी शांति समझौते पर असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा (Himanta Biswa Sarma) और कार्बी संगठनों के प्रतिनिधियों ने हस्ताक्षर किए हैं.
अमित शाह ने किया ट्वीट
ऐतिहासिक समझौते के बाद अमित शाह ने ट्वीट कर कहा, 'ऐतिहासिक कार्बी आंगलोंग समझौते पर हस्ताक्षर हुआ है. मोदी सरकार दशकों पुराने संकट को हल करने और असम की क्षेत्रीय अखंडता सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है.' उन्होंने कहा, 'आज 5 से अधिक संगठनों के लगभग 1000 कैडर ने हथियार डालकर मुख्यधारा में आने की शुरुआत की है. कार्बी आंगलोंग के संबंध में असम सरकार पांच साल में एक क्षेत्र के विकास के लिए 1000 करोड़ रुपये खर्च करेगी. नरेंद्र मोदी सरकार की नीति है कि जो समझौता हम करते हैं, उसकी सभी शर्तों का पालन हम अपने ही समय में पूरा करते हैं.'
समझौते से होंगे ये बदलाव
आपको बताते चलें कि कार्बी असम का एक प्रमुख जातीय समूह है, जो कई गुटों और टुकड़ों से घिरा हुआ है. कार्बी समूह का इतिहास 1980 के दशक के उत्तरार्ध से हत्याओं, जातीय हिंसा, अपहरण और कराधान से जुड़ा रहा है. असम में दो आदिवासी समूह बोडो और कार्बी असम से अलग होना चाहते थे. 2009 में बोडो समझौता हुआ और इसने असम की क्षेत्रीय अखंडता को बसाते हुए विकास का नया रास्ता खोला. आज कार्बी समझौता हुआ. इससे कार्बी आंगलोंग इलाके में शांति आएगी. नए समझौते के तहत, पहाड़ी जनजाति के लोग भारतीय संविधान की अनुसूची 6 के तहत आरक्षण के हकदार होंगे. इसीलिए असम के लिए ये ऐतिहासिक दिन है.
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