कर्नाटक के स्कूल का वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है, जिसमें एक बच्ची स्कूल की विज्ञान प्रदर्शनी के दौरान बुर्का पहनने और छोटे कपड़े पहनने को लेकर मरने के बाद क्या सजा मिलेगी? इस बयान देती है. जिसको लेकर अब विवाद खड़ा हो गया है.
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कर्नाटक के चामराजनगर जिले में एक प्राइवेट स्कूल के विज्ञान प्रदर्शनी में धार्मिक बयान देने के बाद विवाद खड़ा हो गया. इस घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ, जिससे लोगों में गुस्सा फैल गया और स्कूलों में दी जाने वाली शिक्षा पर सवाल उठने लगे. इस संबंध में जब हमने मनोचिकित्सक से बात की तो उन्होंने बताया कि इस तरह का कंटेंट बच्चों के लिए काफी नुकसानदह हो सकता है और उनके सोचने की क्षमता को भी प्रभावित कर सकता है.
वीडियो में बच्ची दो गुड़ियों को दिखाता है, एक बुर्का पहने हुई और दूसरी छोटे कपड़ों में. बुर्का पहनी गुड़िया फूलों से सजे ताबूत में रखी गई है, जबकि छोटी ड्रेस पहनी गुड़िया को सांपों और बिच्छुओं से भरे ताबूत में रखा गया है. छात्रा कहती है,'अगर आप बुर्का पहनते हैं, तो मरने के बाद शरीर को कुछ नहीं होता, लेकिन अगर छोटे कपड़े पहनते हैं, तो नर्क में जाएंगे और सांप-बिच्छू शरीर को खा जाएंगे.'
इसके अलावा छात्रा ने इस्लामिक ग्रंथों का हवाला देते हुए कहा,'अगर कोई आदमी अपनी पत्नी को बिना बुर्के के घर में घूमने देता है तो वह 'दय्यूस' (कमजोर पुरुष) कहलाता है. वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आने के बाद से इस बयान की जमकर निंदा की जा रही है. वहीं एक गुट इसकी हिमायत भी कर रहा है. लोग सवाल उठा रहे हैं कि स्कूल में ऐसा बयान कैसे दिया जा सकता है. सोशल मीडिया पर कई लोगों ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार और पुलिस महानिदेशक को टैग कर इस मामले में तत्काल कार्रवाई और जांच की मांग की.
अधिकारियों ने इस मामले पर ध्यान दिया है और जांच शुरू करने का आश्वासन दिया है. चामराजनगर के उपनिदेशक (शिक्षा) राजेंद्र राजे उर्स ने वायरल वीडियो को स्वीकार किया और बताया कि अधिकारी इस मामले की जांच कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि किसी भी नतीजे पर पहुंचने से पहले घटना की पूरी सच्चाई समझना जरूरी है. राजेंद्र राजे उर्स ने आगे कहा,'हमें पहले पूरे संदर्भ को समझना होगा. एक बार जब यह स्पष्ट हो जाएगा, तो मैं आपको पूरी जानकारी दूंगा.'
इस घटना ने सार्वजनिक मंचों पर यह चर्चा छेड़ दी है. इसको लेकर मनोचिकित्सक डॉ स्नेहा शर्मा ने बताया,'इस तरह के वीडियोज बच्चों को बुरी तरह प्रभावित करते हैं. बच्चों का जो मानसिक विकास हो ही रहा होता है और इस तरह के कंटेंट को लेकर काफी संवेदनशील होते हैं और बहुत जल्दी प्रभावित हो जाते हैं.' डॉ स्नेहा शर्मा ने आगे बताया,'बच्चों पर पड़ने वाला यह प्रभाव तब और ज्यादा खतरनाक हो जाता है, जब ये काम उनके आस-पास के लोग, मां-बाप या फिर स्कूलों में होता है. बच्चों को तर्क-वितर्क सिखाना बहुत जरूरी है.'
डॉ स्नेहा शर्मा ने बताया,'इस तरह का कंटेंट बच्चों के सोचने के तरीके भी बदल सकता है.' उन्होंने तर्क दिया कि जिस समय बच्चों के सोचने-समझने की क्षमता विकसित हो रही होती है, अगर उसी समय उनके एक ही तरह के, एक ही विचार वाला कंटेंट मिलेगा तो फिर उनके सोचने की क्षमता भी बुरी तरह प्रभावित हो सकती है.