Karnataka: कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया ने रविवार को लिंगायतों को एक अलग धर्म के रूप में मान्यता देने की मांग से जुड़े सवालों का जवाब दिया. उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर मेरा कोई अलग रुख नहीं है. जो जनता का रुख है वही मेरा है.
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CM Siddaramaiah On Lingayat Separate Religion: कर्नाटक हाल के दिनों में लिंगायत समुदाय को अलग अलग धर्म का दर्जा देने की मांग का मुद्दा फिर से चर्चा में आ गया है. अब मुख्यमंत्री सिद्धारमैया (CM Siddaramaiah) ने लिंगायत समुदाय (Lingayat Separate Religion) को अलग धर्म का दर्जा देने की मांग पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. रविवार को सीएम से जब पत्रकारों ने लिंगायतों को अलग धर्म के रूप में मान्यता देने की मांग पर सवाल पूछा, तो उन्होंने कहा कि 'यह फिलहाल चर्चा का विषय है. कुछ साधु-संत इस बारे में बातें करते हैं, लेकिन न यह बड़ा मुद्दा है न छोटा.'
जब मंत्री शिवराज थंगड़गी ने उन्हें बताया कि पत्रकार इस मुद्दे पर उनकी राय जानना चाहते हैं, तो सिद्धारमैया ने साफ शब्दों में कहा, 'अरे! मेरा इस पर कोई अलग रुख नहीं है. जनता का जो रुख है, वही मेरा रुख है.' इस पर मंत्री थंगड़गी ने भी सहमति जताते हुए कहा कि सरकार हमेशा जनता के साथ खड़ी है.
इस दौरान मुख्यमंत्री ने यह भी साफ किया कि इस मामले में कोई 'क्रांति' या 'प्रांति' नहीं होगी. लिंगायत समुदाय ने अपने कई संतों के नेतृत्व में रविवार को लिंगायत मातादीशारा ओक्कुटा द्वारा आयोजित 'बसव संस्कृति अभियान-2025' के समापन समारोह में एक अलग धर्म के रूप में मान्यता की अपनी मांग दोहराई, जिसमें पारित किए गए पांच प्रस्तावों में लिंगायतों के लिए धार्मिक मान्यता के बारे में जागरूकता बढ़ाना भी शामिल था.
2018 में सीएम सिद्धारमैया की कांग्रेस सरकार ने लिंगायतों को ‘धार्मिक अल्पसंख्यक’ का दर्जा देने की सिफारिश की थी. माना जाता है कि इस फैसले से लिंगायत बहुल इलाकों में कांग्रेस को नुकसान हुआ और चुनाव में हार मिली. जबकि, ये समुदाय खुद भी दो हिस्सों में बंटा हुआ है. इसका एक पक्ष कहता है कि लिंगायत और वीरशैव एक ही हैं, जबकि दूसरा पक्ष मानता है कि लिंगायतों को अलग पहचान मिलनी चाहिए और वीरशैव हिंदू धर्म के सात शैव संप्रदायों में से एक हैं. यह मतभेद रविवार को साफ दिखा, जब भाजपा से जुड़े नेता और अखिल भारत वीरशैव महासभा के सदस्य इस कार्यक्रम से दूर रहे.