Karnataka News: कर्नाटक के डिप्टी सीएम डी के शिवकुमार ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि अधिकारियों को सलाह दी गई है कि नागरिकों से व्यक्तिगत सवाल न पूछें. जानें उन्होंने क्या कुछ कहा है.
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DK Shivakumar: कर्नाटक में बीते 22 सितंबर से सामाजिक और शैक्षिक सर्वेक्षण यानी की जाति जनगणना की शुरुआत हुई है. जिसे लेकर सूबे के डिप्टी सीएम डी के शिवकुमार ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि जनगणना करने वाले अधिकारियों को सलाह दी गई है वो लोगों से ऐसे सवाल न पूछें जो व्यक्तिगत हों, इस जनगणना में शामिल होने वाले लोगों को निजी जानकारी शेयर करने के लिए मजबूर नहीं होना चाहिए. इसके अलावा क्या कुछ कहा जानते हैं.
अधिकारियों की दी ये सलाह
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक शिवकुमार ने कहा, "मैंने अधिकारियों से कहा है कि वे बेंगलुरु में लोगों से यह न पूछें कि लोग कितने मुर्गे, भेड़ और बकरी पाल रहे हैं और उनके पास कितना सोना है, उनके पास कितनी घड़ियां या फ्रिज हैं, यह पूछने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि ये निजी मामले हैं. मैंने उन्हें सलाह दी है कि ऐसे सवाल पूछने की कोई जरूरत नहीं है, मुझे नहीं पता कि वे क्या करेंगे, क्योंकि यह एक स्वतंत्र आयोग है. सर्वेक्षण और उसकी लागत को लेकर उठ रही आपत्तियों पर उन्होंने कहा कि किसी को भी कोई आपत्ति हो, यह (सर्वेक्षण) तो होना ही है.
परेशान होने की नहीं है जरूरत
अदालत ने कहा है कि सर्वेक्षण स्वैच्छिक है और लोग जो चाहें जवाब दे सकते हैं और अगर वे किसी सवाल का जवाब नहीं देना चाहते तो उन्हें परेशान होने की जरूरत नहीं है. बता दें कि कर्नाटक राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग द्वारा किया गया यह सर्वेक्षण 22 सितंबर को शुरू हुआ और 7 अक्टूबर तक चलेगा. ग्रेटर बेंगलुरु में इससे पहले पांच नए निगमों के गठन और प्रशिक्षण व तैयारियों की आवश्यकता के कारण देरी हुई थी.
पूछे जा रहे हैं कई तरह के सवाल
420 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से किए गए इस सर्वेक्षण में 60 प्रश्नों वाली प्रश्नावली का इस्तेमाल किया गया है. बेंगलुरु विकास मंत्री शिवकुमार ने शनिवार को अपने घर पर सर्वेक्षणकर्ताओं द्वारा पूछे गए कुछ सवालों के जवाब देने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा कि सर्वेक्षण का विरोध करने का कोई मतलब नहीं है और कहा कि पिछले सर्वेक्षण पर आपत्तियों के बाद, सभी नागरिकों को इसमें भाग लेने का अवसर दिया जा रहा है. कर्नाटक उच्च न्यायालय ने पिछले महीने सर्वेक्षण पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था लेकिन राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग को आंकड़ों की गोपनीयता बनाए रखने और स्वैच्छिक भागीदारी सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था.