करतारपुर कॉरीडोर खुलने का मतलब ये नहीं कि दोनों देशों के बीच बातचीत शुरू हो जाएगी: सुषमा स्‍वराज
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करतारपुर कॉरीडोर खुलने का मतलब ये नहीं कि दोनों देशों के बीच बातचीत शुरू हो जाएगी: सुषमा स्‍वराज

सुषमा स्‍वराज का बयान ऐसे वक्‍त आया है जब ये कहा जा रहा है कि पाकिस्‍तान सार्क शिखर सम्‍मेलन के लिए भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निमंत्रण भेज सकता है.

करतारपुर कॉरीडोर खुलने का मतलब ये नहीं कि दोनों देशों के बीच बातचीत शुरू हो जाएगी: सुषमा स्‍वराज

नई दिल्‍ली: पाकिस्‍तान स्थित करतापुर कॉरीडोर के उद्घाटन समारोह से पहले विदेश मंत्री सुषमा स्‍वराज ने दो टूक लहजे में कहा है कि इसके खुलने का आशय ये नहीं है कि इस कारण दोनों देशों के बीच बातचीत शुरू हो जाएगी क्‍योंकि आतंक और बातचीत एक साथ नहीं हो सकते. उन्‍होंने यह भी कहा कि भारत सरकार करतारपुर कॉरीडोर शुरू करने के लिए कई वर्षों से कह रही थी लेकिन पाकिस्‍तान ने अब जाकर सकारात्‍मक रुख अपनाया है. सुषमा स्‍वराज का बयान उन चर्चाओं के बीच आया है जिनमें कहा जा रहा है कि पाकिस्‍तान सार्क शिखर सम्‍मेलन के लिए भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निमंत्रण भेज सकता है. सुषमा स्‍वराज के बयान से स्‍पष्‍ट है कि भारत इस तरह के किसी भी आमंत्रण को स्‍वीकार करने के मूड में नहीं है.

  1. सुषमा स्‍वराज ने कहा कि आतंक और बातचीत एक साथ नहीं चल सकते
  2. इस बात की चर्चा है कि पाक, भारत को सार्क के लिए न्‍यौता भेज सकता है
  3. विदेश मंत्री के बयान को उसी संदर्भ में जोड़कर देखा जा रहा है

उधर पाकिस्तान के करतारपुर स्थित गुरुद्वारा दरबार साहिब को भारत के गुरदासपुर जिले में स्थित डेरा बाबा नानक से जोड़ने वाले बहुप्रतीक्षित गलियारे की नींव वहां के प्रधानमंत्री इमरान खान बुधवार को रखने जा रहे हैं. इससे भारतीय सिख श्रद्धालुओं को वीजा मुक्त आवाजाही की सुविधा मिल सकेगी. पाकिस्तान ने इस कार्यक्रम के लिए भारत के 25 पत्रकारों के समूह को आमंत्रित किया है. इसी कड़ी में कूटनीतिक गलियारे में चर्चा है कि करतारपुर कॉरीडोर के माध्‍यम से पाकिस्‍तान दोनों देशों के बीच रिश्‍तों में जमी बर्फ को पिघलाने के लिए कोशिश कर सकता है. इसी कड़ी में पाकिस्‍तान के विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को कहा कि वह सार्क शिखर सम्‍मेलन के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आमंत्रित करेंगे.

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द टाइम्‍स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक भारत ने पहले ही पाकिस्‍तान के इस तरह के किसी 'दिखावे' को खारिज करते हुए कहा है कि पाकिस्‍तान एकतरफा फैसला लेते हुए इस तरह से किसी को 'आमंत्रित' नहीं कर सकता. उल्‍लेखनीय है कि 2016 से सार्क शिखर सम्‍मेलन का आयोजन दोनों देशों के तल्‍ख रिश्‍तों की पृष्‍ठभूमि में नहीं हो सका है.

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इस संबंध में कहा जा रहा है कि सार्क शिखर सम्‍मेलन का आयोजन तभी हो सकता है जब सभी सदस्‍य देश इसके लिए सहमत हों. सम्‍मेलन के लिए सदस्‍यों के बीच तारीखें तय होने के बाद ही निमंत्रण भेजा जा सकता है. इस संबंध में द टाइम्‍स ऑफ इंडिया से एक सूत्र ने कहा, ''भारत सार्क शिखर सम्‍मेलन में विशेष आमंत्रित सदस्‍य नहीं है, जिस कारण पाकिस्‍तान इसको आमंत्रित कर सकता है. भारत सार्क प्रक्रिया का अहम अंग है...सभी सदस्‍य देशों की सहमति से ही सार्क सम्‍मेलन के लिए तारीखें तय हो सकती हैं. लेकिन ऐसा हुआ नहीं है.''

सूत्रों के मुताबिक करतारपुर कॉरीडोर के उद्घाटन के दौरान पाकिस्‍तान प्रधानमंत्री इमरान खान भारतीय पत्रकारों से बातचीत कर सकते हैं और उस क्रम में कूटनीतिक चतुराई दिखाने के लिए सार्क सम्‍मेलन के आयोजन का कार्ड उनकी तरफ से खेला जा सकता है.

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सार्क सम्‍मेलन
उल्‍लेखनीय है कि पीएम नरेंद्र मोदी ने 2014 में काठमांडू में आयोजित सार्क शिखर सम्‍मेलन में शिरकत की थी. 2016 में उरी में आर्मी कैंप पर हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने इसमें शिरकत करने से इनकार कर दिया. बांग्‍लादेश, भूटान और अफगानिस्‍तान ने भी इसमें शामिल होने से इनकार कर दिया. उसके बाद से ही सार्क शिखर सम्‍मेलन का आयोजन नहीं हो सका है.  

करतारपुर कॉरीडोर
उल्‍लेखनीय है कि पाकिस्तान में करतारपुर साहिब, रावी नदी के पार डेरा बाबा नानक से करीब चार किलोमीटर दूर है. सिख गुरू ने 1522 में इसे स्थापित किया था. पहला गुरुद्वारा, गुरुद्वारा करतारपुर साहिब यहां बनाया गया था जहां माना जाता है कि गुरू नानक देव जी ने अंतिम दिन बिताए थे.

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पाकिस्तानी विदेश कार्यालय के प्रवक्ता मोहम्मद फैसल ने मंगलवार को कहा कि करतारपुर गलियारे के छह महीने में पूरा होने की उम्मीद है. यह कदम अगले साल गुरू नानक जी की 550वीं जयंती से पहले उठाया गया है. भारत ने भी कहा है कि वह गुरदासपुर जिले में डेरा बाबा नानक से अंतरराष्ट्रीय सीमा तक एक गलियारा विकसित करेगा जिससे गुरुद्वारा दरबार साहिब करतारपुर जाने वाले सिख श्रद्धालुओं को सुविधा मिल सके.

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