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नई दिल्ली: हर चुनाव एक इतिहास रचता है तो कुछ चुनाव पुरानी परंपराओं को कायम रखते हैं. जैसे कि UP में नोएडा के बारे में मिथक है कि जो मुख्यमंत्री नोएडा आता है वो दोबारा सरकार नहीं बना पाता. वैसे ही एक और मिथक पश्चिमी उत्तर प्रदेश की कासगंज सीट के लिए भी है कि जो राजनीतिक दल इस सीट को जीत लेता है वही पार्टी लखनऊ से सरकार चलाती है.
वैसे तो कासगंज विधान सभा क्षेत्र बीजेपी का प्रमुख गढ़ रहा है. क्योंकि इसे पूर्व मुख्यमंत्री और UP के कद्दावर कल्याण सिंह का क्षेत्र माना जाता रहा है. इस सीट से सबसे ज्यादा 6 बार भारतीय जनता पार्टी (Bhartiya Janta Party) के विधायक बने. 5 बार नेतराम सिंह वर्मा विधायक रहे.
यह लोधी बहुल सीट है और यहां अबतक कुल 13 बार लोधी राजपूत विधायक जीते हैं. खास बात ये रही कि इस सीट पर जो भी जीतता है उसी पार्टी की सरकार UP में बनती है. 2007 में यहां बसपा जीती और 2012 में सपा ने जीत दर्ज की. वहीं कासगंज विधान सभा से 2022 में भाजपा की ओर से देवेंद्र सिंह राजपूत ने जीत दर्ज की. हालांकि पार्टी ने इस बार भी मौजूदा विधायक पर ही भरोसा जताया है. इस बार देवेंद्र सिंह राजपूत के सामने कांग्रेस ने किसान नेता कुलदीप पांडेय, सपा ने पूर्व विधायक मनपाल सिंह वर्मा और बीएसपी ने प्रभुदयाल वर्मा को मैदान में उतारा हैं.
काली नदी और गंगा के बीच बसा कासगंज पहले एटा जिले का हिस्सा हुआ करता था. लेकिन जब 2007 में मायावती की सरकार बनी तो 2008 में कासगंज को जनपद के रूप में स्वतंत्र पहचान मिली. आपको बता दें कि कासगंज को मंदिरों का शहर कहा जाता है. कई राजनीतिक जानकार इस बात को कहते हैं कि पूरे राज्य में किसकी सरकार बन रही है ये जानने के लिए बस कासगंज की जनता की राय जान लीजिए आपको सही अंदाजा लग जाएगा कि UP में
2007 के विधान सभा चुनाव में BSP के हसरत उल्ला शेरवानी जीते- सीएम मायावती बनी.
2012 में सपा के मनपाल सिंह वर्मा जीते- अखिलेश सीएम बने.
2017 में देवेंद्र सिंह राजपूत बीजेपी से जीते- योगी आदित्यनाथ ने सरकार बनाई.
2022 के चुनावों में भी भाजपा उम्मीदवार देवेंद्र सिंह जीतते नजर आ रहे हैं.
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