Kashmir में 6 गुना तक बढ़ेगा Silk Production, नई मशीनरी के साथ किया गया फैक्ट्री का रिडेवलपमेंट
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Kashmir में 6 गुना तक बढ़ेगा Silk Production, नई मशीनरी के साथ किया गया फैक्ट्री का रिडेवलपमेंट

Silk Production In Kashmir: पश्मीना के अलावा कश्मीर के सिल्क की मांग भी दुनियाभर में है. अब कंसल्टेंसी के साथ मिलकर कश्मीर के सिल्क की ब्रैंडिंग भी जाएगी.

कश्मीर में सिल्क फैक्ट्री.

श्रीनगर: नई ऑटोमेटिक मशीनरी के साथ कश्मीर के रेशम कारखाने के रिडेवलपमेंट (Silk Factory Redevelopment In Kashmir) से कश्मीर के रेशम का प्रोडक्शन (Silk Production) 50 हजार मीटर प्रति वर्ष से बढ़कर 3 लाख मीटर हो जाएगा. सदियों पुरानी कश्मीर सिल्क फैक्ट्री (Kashmir Silk Factory) को पुनर्जीवित करने और बढ़ावा देने से करीब 40 हजार परिवारों के चेहरों पर मुस्कान आ गई है, जो सीधे तौर पर इसी पर निर्भर हैं.

  1. सिल्क प्रोडक्शन 3 लाख मीटर तक बढ़ेगा
  2. 40-50 हजार परिवारों को होगा फायदा
  3. बढ़ेगी सिल्क के कारोबार से जुड़े लोगों की इनकम

बाढ़ से सिल्क फैक्ट्री को हुआ था नुकसान

आपने हमेशा कश्मीर घाटी की पश्मीना के बारे में सुना होगा, लेकिन ज्यादातर लोग कश्मीर में पैदा होने वाली रेशम के बारे में बहुत कम जानते हैं. कश्मीर घाटी की शहतूत रेशम की मांग दुनियाभर में है. इसे उच्च स्तर का माना जाता है. लेकिन जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में मुख्य रेशम कारखाना 2014 की बाढ़ में पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया था. अब जम्मू-कश्मीर के लिए प्रधानमंत्री विकास पैकेज में वर्ल्ड बैंक की मदद से जम्मू कश्मीर झेलम तवी फ्लड रिकवरी प्रोजेक्ट के तहत इस कारखाने को आधुनिक तकनीकों के साथ बहाल किया गया है.

प्रधानमंत्री डेवलपमेंट पैकेज के तहत हुआ विकास

ERA/JTFRP के सीईओ आबिद राशिद शाह कहते हैं कि वर्ल्ड बैंक की तरफ से फंड किया गया झेलम तवी फ्लड रिकवरी प्रोजेक्ट प्रधानमंत्री डेवलपमेंट पैकेज का हिस्सा है. जिसके तहत जम्मू-कश्मीर में सिल्क इंडस्ट्री को पुनर्जीवित करने की हमारी कोशिश रही है. सिल्क इंडस्ट्री को मॉर्डर्न बाजार से लिंक करने के लिए काम किया जा रहा है. राजबाघ में एक पुरानी सिल्क फैक्ट्री थी, जिस पर करीब चालीस हजार लोग निर्भर हैं, जो बहुत बुरी हालत में थी उसको पुनर्जीवित किया गया.

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बढ़ेगा कश्मीर के सिल्क का कारोबार

उन्होंने आगे कहा कि एक खूबसूरत बिल्डिंग बनाई गई. बाहर से मशीनें मंगाई गईं. इससे आने वाले वक्त में कश्मीर के सिल्क का कारोबार बढ़ेगा. यह भी कोशिश है कि इसको मॉडर्न मार्केट के साथ कैसे जोड़ा जाए. उस पर भी काम हो रहा है.

तैयार किया जाएगा कारीगरों का डेटाबेस

आबिद राशिद शाह ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में पहली बार कारीगरों का डेटाबेस तैयार किया गया है. जिससे पता चला है कि 3.5 लाख कारीगर इस कला से जुड़े हैं. इस तरह हमें पता चला कि 40 हजार परिवार हैं, जो सीधे तोर पर इससे जुड़े हैं. ये चालीस हजार परिवार आगे कैसे बढ़ेंगे, यह हमारी कोशिश रहेगी. जिससे नए लोग जुड़ सकें. हम कंसल्टेंसी की मदद जम्मू-कश्मीर के प्रोडक्ट की ब्रैंडिंग अंतरराष्ट्रीय स्तर पर करेंगे. उन्होंने एक रिपोर्ट सौंपी है, उस पर कार्रवाई चल रही है.

बता दें कि 2014 में जब कश्मीर में बाढ़ आई तो यह फैक्ट्री लगभग पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई थी, जिससे हजारों लोगों की रोजी-रोटी भी ठप हो गई थी क्योंकि फैक्ट्री को नुकसान होने की वजह से रेशम की 38 किस्मों में से केवल 8 का ही उत्पादन हो पाता था. लेकिन अब नई मशीनें और नवीनतम उपकरणों ने एक नया दौर शुरू किया गया है.

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इस फैक्ट्री के मजदूरों का कहना है कि इससे हमारी इनकम भी बढ़ेगी और दूसरे युवाओं को भी रोजगार के अवसर मिलेंगे. बता दें कि वर्ल्ड बैंक ने जम्मू-कश्मीर के लिए प्रधानमंत्री विकास कार्यक्रम के तहत 18 करोड़ रुपये से ज्यादा राशि देकर इस कारखाने की बहाली को मुमकिन किया है.

सिल्क किसान जविद अहमद शाह कहते हैं कि कम से कम तीस-चालीस हजार लोग इस कश्मीर में जुड़े हैं. सबका घर चल रहा है. इससे बहुत लाभ होगा. जो पहले मशीन थी उससे करीब 50 हजार मीटर सिल्क निकलता था. अब जो नई मशीन आई है, इससे करीब 3 लाख मीटर सिल्क निकलेगा. ज्यादा प्रोडक्शन होगा तो इनकम बढ़ेगी. सरकार का बहुत अच्छा कदम है. कश्मीर फिर से जरूर उभरेगा.

कश्मीर घाटी में रेशम की 38 से ज्यादा किस्मों का उत्पादन किया जाता है. इस बिजनेस से जुड़े कारीगर इस बात से खुश हैं कि वे दुनिया में माने जाने वाले रेशम का उत्पादन करने के लिए फिर से काम कर सकेंगे. इससे कश्मीर का रेशम भी विश्व रेशम बाजार के नक्शे पर आ जाएगा.

कारीगर मईमूना मीर कहती हैं कि बहुत ज्यादा बदलाव हुआ है. इस फैक्ट्री से बहुत सारे लोग पल रहे हैं. हमारा परिवार भी चल रहा है. हम बहुत खुश हैं. जब से यह नई यूनिट शुरू हुई, हमें बहुत उम्मीदें हैं.

जान लें कि कारखाने का रिडेवलपमेंट जम्मू-कश्मीर में रेशम उत्पादन को बढ़ावा देने और स्थानीय लोगों के लिए रोजगार पैदा करने की सरकार की योजना का हिस्सा है.

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