कोहरे की चपेट में कश्मीर घाटी, जनजीवन हुआ अस्त-व्यस्त
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कोहरे की चपेट में कश्मीर घाटी, जनजीवन हुआ अस्त-व्यस्त

कश्मीर में शीत लहर ने कड़ा रुख अख्तियार कर लिया है. कोहरे के कारण विज़िबिलिटी कम होने से श्रीनगर हवाई अड्डे पर सभी उड़ानें को रद्द कर दी गईं. 

.(फाइल फोटो)

जम्मू-कश्मीर: कश्मीर घाटी में बढ़ते कोहरे के साथ शीत लहर तेज हो गई है. जिससे आम आदमी के लिए सामान्य काम करना मुश्किल हो गया है. जम्मू और कश्मीर की ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर में पिछले सप्ताह शनिवार से श्रीनगर हवाई अड्डे से सभी उड़ानों को रद्द करना पड़ा है क्योंकि पूरे दिन घाटी भारी कोहरा की चपेट में रही है. घाटी कठोर सर्दियों जिसे स्थानीय रूप से 'चिल्लाई-कलां' के नाम से जाना जाता है, की अवधि शुरू होने से पहले ही कश्मीर में श्रीनगर सहित के कई ग्रामीण इलाकों में ठहरा पानी जमने लगा हैं.

सोमवार को, ट्रैफिक विभाग ने लोगों को धीमी गति से ड्राइव करने और गाड़ी की फोग लाइट्स का उपयोग करने के लिए सलह दी. बढ़ती शीतलहर ने अधिकारियों को कश्मीर क्षेत्र में प्रिमरि स्कूलों को बंद करने के लिए मजबूर कर दिया है और बाकि सभी स्कूलों को जल्द ही सर्दियों की छुटियों के लिए बंद करने पर भी विचार हो रहा है. 

श्रीनगर के निवासियों का कहना है कि उन्होंने वर्षों में कभी शहर में घना कोहरा नहीं देखा और इस तरह के मौसम से काफी ठण्ड हो रही हैं और मुश्किलें भी बड़ी हैं. शबीर अहमद नए कहा " बोहत मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा हैं आम लोगों फोग के कारन बोहत दिकत हो रही सभी उड़ने रद्द होवी बिजली की कटौती हैं पानी काम हैं.   

मिली जानकारी के मुताबिक सोमवार को श्रीनगर से सुबह से कोई उड़ानें कम विज़िबिलिटी के कारण उड़ान नहीं भर सकीं. श्रीनगर-जम्मू राष्ट्रीय राजमार्ग जो घाटी को देश से जोड़ता है, रविवार को बंद रहने के बाद यातायात के लिए खुला दिया गया मगर एकतरफा यातायात के लिए. 

मौसम विभाग ने बुधवार से घाटी में भारी से मध्यम हिमपात की भविष्यवाणी की है, जो उनके अनुसार कोहरे से लोगों को राहत देगा, लेकिन तापमान में और गिरावट होगी.

मौसम विभाग के उप-निर्देशक मुख्तार अहमद ने कहा, "हुमिडिटी 70 प्रतिशत से अधिक है और तापमान शून्य से नीचे है, इसलिए इन दो स्थितियों से कोहरा बढ़ता है." लेकिन आने वाले दिनों में विज़िबिलिटी में सुधार होगा. लेकिन 11 दिसम्बर से पश्चिमी हवाओं के प्रकोप से घाटी में एक बार फिर भरी हिमपत हो सकता हैं, जो यातायात पर प्रभाव डाल सकता हैं साथ ही तापमान में भी और गिरावट होगी. 
 
लद्दाख में द्रास पूरे भारत में सबसे ठंडा स्थान रहा जहां तापमान शून्य से 21.4 डिग्री सेल्सियस नीचे था, जिसने इलाके में ठहरे पानी और नलों को जमा दिया हैं. यही सिथिति लद्दाख के लेह और कारगिल का भी हैं. स्थानीय लोगों के मुताबिक ठण्ड से बचने के लिए लोगों ने पारंपरिक तरीकों को अपनाना शुरू किया हैं.

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